नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने कहा है कि कोराेना वायरस ‘कोविड-19’ जैसी संक्रामक बीमारी से लड़ने में समाज की अहम भूमिका है और जिस किसी को भी कोरोना वायरस के लक्षण हैं, उसे इस बीमारी को छिपाने के बजाय सामने आकर सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में इसके उपचार की सुविधा का लाभ लेना चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिस भी व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण दिखाई पड़े, उसे इस बीमारी को छिपाना नहीं चाहिए बल्कि सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में जाकर अपना उपचार कराना चाहिए और ऐसा करके वह व्यक्ति ने केवल न केवल खुद को बचाएगा बल्कि अपने परिजनों और समाज को बचाने में भी योगदान दे सकेगा।
उन्होंने बताया कि देश इस समय एक संक्रामक रोग का सामना कर रहा है और इस समय सबको सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा तभी इस बीमारी से बचा जा सकेगा नहीं तो जिस ‘पीक’ की बात जून-जुलाई में आने की कही जा रही है, वह कभी भी आ सकती है।
अग्रवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमण कोई कलंक नहीं है और जिस किसी को भी यह बीमारी होती है उसे पूरे उपचार के बाद ही घर भेजा जाता है, लेकिन देखने में आया है कि आसपास के लोग उससे उपेक्षित भरा रवैया अपनाने लगते हैं, जो उचित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी को यह ध्यान रखना होगा कि हमारी लड़ाई बीमारी से है, बीमार से नहीं।
पिछले 24 घंटों में देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना संक्रमण के 4213 नए मामले सामने आने के बाद देश के विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में इससे अब तक 67,152 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 2206 लोगों की मौत हुई है। अब तक 20917 लोग ठीक हुए हैं और उन्हें विभिन्न अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है। पिछले 24 घंटों में कोरेाना संक्रमित 1559 लोग स्वस्थ हो गये हैं और इन्हें मिलाकर मरीजों के ठीक होने की दर 31़ 15 प्रतिशत हो गई है।
अग्रवाल ने कहा कि इस समय देश में सभी लोगों को साफ-सफाई के मानकों का पालन करते हुए और अपनी और दूसरों की रक्षा करनी है। ऐसा करने से ही संक्रामक रोग के प्रसार को रोका जा सकता है। अगर लोग जरूरी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करेंगे तो कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी से इनकार नहीं किया जा सकता। अगर लोग दिशा-निर्देश का पालने करेंगे तो हो सकता है कि कोरोना प्रसार काफी हद तक नियंत्रित कर लिया जाए।
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी कहा गया था कि अप्रैल या मई में भारत में कोरोना मामलों की चरम अवस्था होगी लेकिन लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के मानकों का पालन करते हुए हमने काफी हद तक विषाणु के प्रसार को कम कर दिया है और अगले महीनों में भी इसी तरह की सावधानी बरतनी होगी। देश में इस समय अनेक क्षेत्रों में कोरोना के सर्वाधिक मामले आ रहे हैं और सरकार का ध्यान उनसे निपटने की रणनीति पर है।
अग्रवाल ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री इन दिनों विभिन्न राज्यों में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग से बातचीत कर पूर्वोत्तर राज्यों के हालात का जायजा लिया। इसके अलावा वह रविवार को पूर्वी दिल्ली के मंडोली जेल में बनाए गए कोविड केयर सेंटर भी गए थे।
पूर्वोत्तर राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि टेस्टिंग सुविधाओं, सर्विलांस, संपर्क सूत्रों की तलाश और स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे में सुधार करके कोरोना वायरस से जीता जा सकता है और समय रहते भारत ने जो तैयारियां की थी उनकी बदौलत भारत किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
अग्रवाल ने बताया कि डॉ हर्षवर्धन ने पूर्वोत्तर राज्यों को सलाह दी थी कि अपना यह स्तर बनाये रखने के लिए अब देश के अन्य हिस्सों से आने वाले प्रवासी श्रमिकों, छात्रों और विदेशों से आने वाले लोगों की पूर्ण जांच और होम अथवा संस्थागत क्वारंटीन को सुनिश्चित करने पर ध्यान देना होगा तथा इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पूरा पालन करना होगा।
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