नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्यों लोगों को गैस चैंबरों में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है?
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिल्ली के मुख्य सचिव को सख्त फटकार लगते हुए कहा कि आप प्रदूषण को लेकर क्या कर रहे है, क्या यही देश की राजधानी है।
न्यायालय ने फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली नरक है। दिल्ली की जनता कब तक इसको बर्दाश्त करेगी। दिल्ली के मुख्य सचिव ने कहा कि यहां केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच अधिकार क्षेत्र का भी विवाद है।
न्यायालय ने कहा कि हम गवर्नेन्स की बात नही कर रहे हैं इसके लिए केंद्र सरकार भी ज़िम्मेदार है। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पराली जलाने को लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार की जमकर खिंचाई की। पीठ ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सरकारों में कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई देती। कईं आदेश के बावजूद पराली जलाने के मामले लगातार बढ़े हैं ऐसे में क्यों न सरकारों पर जुर्माना लगाया जाए।
न्यायालय नेे दिल्ली सरकार और केंद्र को निर्देश दिया कि वे अपने मतभेदों को एक तरफ रखें और शहर के विभिन्न हिस्सों में एयर प्यूरिफाइंग टॉवर स्थापित करने के लिए 10 दिनों के भीतर एक साथ बैठें और योजना को अंतिम रूप दें।
प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीसीपी को दिल्ली में चलने वाली फैक्टरी से दिल्ली के प्रदूषण पर पड़ने वाले असर के बारे रिपोर्ट देने को कहा।
न्यायालय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से दिल्ली की फैक्टरी के बारे में विस्तार से जानकारी देने को कहा। प्रदूषण मामले में पंजाब के मुख्य सचिव भी पेश हुए। पीठ ने पंजाब के मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या हम इस तरह से जनता को मरने के लिए छोड़ सकते है।
पीठ ने पंजाब के मुख्य सचिव से पूछा कि हमारे आदेश के बाद भी पराली जलाने की घटना में इज़ाफ़ा कैसे हुआ। शीर्ष अदालत ने पंजाब के मुख्य सचिव से पूछा कि आप इसको रोकने में कामयाब क्यों नही हुए, क्या यह प्रशासन की असफलता नहीं है।