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‘नेटबंदी’ से यूपी का लड़खड़ाया जन-जीवन, बैंकों में प्रभावित है लेनदेन

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‘नेटबंदी’ से यूपी का लड़खड़ाया जन-जीवन, बैंकों में प्रभावित है लेनदेन

जयपुर। नागरिकता संशोधन कानून का विरोध प्रदर्शन का असर सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में हुआ है। पिछले कई दिनों से उत्तर प्रदेश में नेटबंदी ने आम लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। यूपी में कई दिनों से हो रही इंटरनेट बंदी से चाहे सरकारी ऑफिस हो या स्कूल, कॉलेज हो या अन्य कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है। पिछले 2 दिनों से यूपी के लगभग 21 जिलों में नेट बंद है जिससे कई आवश्यक कार्य नहीं हो पा रहे हैं साथ ही करोड़ों का हर रोज नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर सभी बैंकों में लेनदेन न होने की वजह से लाखों ग्राहक परेशान हैं।

हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश शासन ने इंटरनेट सेवा को एहतिहातन शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ संभावित प्रदर्शन को देखते हुए बंद कर रखा है। कोई नहीं जानता कि यूपी में नेट व्यवस्था कब सुचारू हो पाएगी। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 21 जिलों में शुक्रवार मध्यरात्रि तक के लिए इंटरनेट सेवाओं बंद कर दिया है। हालांकि शुरुआत में राज्य के नौ जिलों में इंटरनेट सेवा बंद करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने एक आदेश जारी किया कि शुक्रवार मध्यरात्रि तक 21 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी।

इन जिलों में बंद है इंटरनेट

हिंसा और विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने इन जिलों में इंटरनेट बंद किया है। उनमें लखनऊ, हापुड़, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मेरठ, कानपुर, फिरोजाबाद, बरेली, सहारनपुर, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, बहराइच, मुजफ्फरनगर, संभल, शामली, वाराणसी, आजमगढ़, मुरादाबाद, आगरा और अलीगढ़ शामिल हैं। इससे पहले सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के कारण लखनऊ में छह दिनों के लिए इंटरनेट सेवा बंद की गई थी और पिछले सप्ताह बुधवार रात को ही सेवा बहाल की गई थी। इन जिलों और क्षेत्र में अन्य जगहों पर पुलिस और प्रशासनिक महकमा अलर्ट है। पिछले शुक्रवार को राज्य के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन के दौरान कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी।

प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई

बता दें कि अति संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जा रही है। जगह जगह फ्लैगमार्च किया जा रहा है। ज़िलों के वरिष्ठ अधिकारी मौलानाओं और मुस्लिम संगठनों के नेताओं से मुलाक़ात कर शांत रहने की अपील कर रहे हैं। वहीं लखनऊ में हुई हिंसा के 46 आरोपियों की संपत्ति कुर्क किए जाने का नोटिस भेजा गया है। पुलिस ने सीसी फुटेज के आधार पर राजधानी में 46 उपद्रवियों की पहचान की, जिसके बाद उन्हें नोटिस भेजा गया।

यूपी के हर उस ज़िले में जहां पिछले हफ्ते हिंसा हुई थी, वहां आरोपियों की पहचान कर उनकी तस्वीरें सार्वजनिक की जा रही हैं। हिंसा को लेकर अबतक की कार्रवाई में कुल 1113 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने फैसला किया है कि राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के मामले की जांच विशेष जांच दल करेगा।

हिंसा और विरोध-प्रदर्शन के दौरान 19 की लोगों की हुई मौत

पुलिस ने राज्यभर में हुई हिंसा में 19 लोगों के मारे जाने की बात कही है। मृतकों में फिरोजाबाद के पांच, मेरठ के चार, कानपुर के तीन, संभल और बिजनौर के दो-दो और मुजफ्फरनगर, रामपुर और लखनऊ के एक-एक व्यक्ति शामिल हैं। इसमें 20 दिसंबर को वाराणसी में भगदड़ में मारे गए आठ वर्षीय बच्चे को शामिल नहीं किया गया है। इस मामले में पुलिस का कहना है कि आठ वर्षीय बच्चा पुलिस कार्रवाई में नहीं, बल्कि भगदड़ में उस समय मारा गया, जब प्रदर्शनकारी पीछे हट रहे थे।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार