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झूठे आरोपों के शस्त्र के सामने 140 करोड़ देशवासियों का विश्वास मेरा कवच : मोदी - Sabguru News
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झूठे आरोपों के शस्त्र के सामने 140 करोड़ देशवासियों का विश्वास मेरा कवच : मोदी

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झूठे आरोपों के शस्त्र के सामने 140 करोड़ देशवासियों का विश्वास मेरा कवच : मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अदानी मामले के संबंध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी एवं अन्य विपक्षी दलों के आरोपों को नज़रअंदाज करते हुए आज कहा कि वह नौ साल से अपनी सरकार की कुछ ठोस आलोचना का इंतजार कर रहे हैं लेकिन इसकी बजाय उन्हें झूठे आरोप एवं गालियां ही मिलीं हैं।

मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि उनके पास 140 करोड़ देशवासियों के विश्वास का सुरक्षा कवच है और किसी झूठ के शस्त्र से इस कवच को भेदा नहीं जा सकता है। उन्हें दी गई गालियों एवं आरोपों को करोड़ों भारतीयाें से होकर गुजरना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के समाज में सकारात्मकता का संस्कार है। भारतीय समाज नकारात्मकता को सहन तो कर सकता है, स्वीकार कभी नहीं कर सकता।

प्रधानमंत्री ने अदानी मामले को लेकर गांधी के दावों के संदर्भ में संकेत में सिर्फ यह कहा कि जो लोग 2014 के बाद भारत के कमजोर होने का दावा करते रहे हैं। वे ही आज सरकार पर पड़ोसी देशों को धमका कर फैसले कराने का आरोप लगा रहे हैं। उन्हें पहले यह तय करना चाहिए भारत मजबूत हुआ है या कमजोर।

उन्होंने 2004 से 2014 के बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के शासनकाल को बरबादी का दशक करार दिया और 2020-30 को भारत का दशक बताया। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर तीखा तंज कसते हुए कहा कि अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अध्ययन कराने का शौक रखने वालों का याद रखना चाहिए कि आने वाले समय में बड़े बड़े विश्वविद्यालय कांग्रेस के पराभव एवं उसे डुबाेने वालों के बारे में भी शोध करेंगे।

प्रधानमंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विपक्ष के संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया और धन्यवाद प्रस्ताव को पारित कर दिया। मोदी ने कहा कि जब राष्ट्रपति जी के भाषण पर चर्चा मैं सुन रहा था, तो मुझे लगा कि बहुत सी बातों को मौन रहकर स्वीकार किया गया है। यानी, राष्ट्रपति जी के भाषण के प्रति किसी को ऐतराज नहीं है।

राष्ट्रपति जी ने अपने भाषण में कहा था, जो भारत अपनी अधिकांश समस्याओं के लिए दूसरों पर निर्भर था, वो आज दुनिया की समस्याओं के समाधान का माध्यम बन रहा है। राष्ट्रपति जी ने यह भी कहा था… देश की एक बड़ी आबादी ने जिन सुविधाओं के लिए दशकों तक इंतजार किया, वे इन वर्षों में उसे मिलीं। देश सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की समस्याओं से मुक्ति चाहता था, वो मुक्ति उसे अब मिल रही है।

उन्होंने कहा कि सदन में हंसी-मजाक, टीका-टिप्पणी, नोंक-झोंक होती रहती है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज राष्ट्र के रूप में गौरवपूर्ण अवसर हमारे सामने खड़े हैं। गौरव के क्षण हम जी रहे हैं। 100 साल में आई हुई यह भयंकर महामारी, दूसरी तरफ युद्ध की स्थिति, बंटा हुआ विश्व…इस स्थिति में भी, संकट के माहौल में, देश जिस प्रकार से संभला है, इससे पूरा देश आत्मविश्वास और गौरव से भर रहा है।

उन्होंने कहा कि आज दुनिया की हर विश्वसनीय संस्था, हर विशेषज्ञ, जो भविष्य का अच्छे से अनुमान भी लगा सकते हैं, उन सबको आज भारत को लेकर बहुत आशा और काफी हद तक उमंग है। इसका कारण है कि भारत में अस्थिरता नहीं है। कोरोना संकट के बीच हम विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभरे हैं। महामारी के दौर में हमने 150 से ज्यादा देशों को संकट के समय दवाई और वैक्सीन पहुंचाई। यही कारण है कि आज कई देश वैश्विक मंचों पर खुले मन से, भारत का धन्यवाद देते हैं, भारत का गौरवगान करते हैं।

मोदी ने कहा कि कोरोनाकाल में बहुत से देश अपने नागरिकों की आर्थिक मदद करना चाहते थे, लेकिन असमर्थ थे। यह भारत है यहां एक सेकंड से भी कम समय में लाखों-करोड़ों रुपए देशवासियों के खातों में जमा कर रहा था। एक समय देश छोटी-छोटी तकनीक के लिए तरसता था। आज देश तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत में नई संभावनाएं हैं।

कोरोनाकाल ने पूरी दुनिया की आपूर्ति श्रृंखला को हिलाकर रख दिया। आज भारत उस कमी को पूरा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है। कई लगों को यह बात समझने में काफी देर हो जाएगी। भारत आज विनिर्माण हब के रूप में उभर रहा है। दुनिया भारत की इस समृद्धि में अपनी समृद्धि देख रही है। लेकिन निराशा में डूबे हुए कुछ लोग इस देश की प्रगति को स्वीकार ही नहीं कर पा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2004 से 2014 आजादी के इतिहास में घोटाला का दशक रहा। दस साल भारत के हर कोने में आतंकवादी हमलों का सिलसिला चलता रहा। हर नागरिक असुरक्षित था। 10 साल में कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक देश हिंसा का शिकार था। उन 10 सालों में भारत की आवाज वैश्विक मंचों पर इतनी कमजोर थी कि दुनिया सुनने को तैयार नहीं थी। उन्होंने कहा कि संप्रग की पहचान यह थी कि इन्होंने हर मौके को मुसीबत में पलट दिया।

तकनीक के समय ये 2जी घोटाले में फंसे रहे और सिविल न्यूक्लियर डील के समय ये ‘कैश फॉर वोट’ में फंसे रहे। राष्ट्रमंडल खेलों के वक्त भी ये घोटालों में फंसे रहे। राष्ट्रमंडल खेल घोटाले में पूरा देश बदनाम हो गया। इन्होंने मौके को मुसीबत में पलट दिया।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर सीना तान कर हमले करने का इनके पास सामर्थ नहीं था और 10 साल तक देश के लोगों का खून बहता रहा। 2014 से पहले के दशक को ‘बरबादी के दशक’ के नाम से जाना जाएगा और 2030 का दशक अब भारत के दशक के नाम से जाना जाएगा। देश में हर क्षेत्र में, हर सोच में आशा ही आशा नजर आ रही है। सपने और संकल्प लेकर चलने वाला देश है। उन्होंने कहा कि लेकिन कुछ लोग ऐसे निराशा में डूबे हुए हैं कि क्या कहें…।

काका हाथरसी ने कहा था- आगा-पीछा देख कर, क्यों होते गमगीन। जैसी जिसकी भावना वैसा दिखे सीन…। प्रधानमंत्री ने गांधी का नाम लिए बिना कहा कि कल कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा ईकोसिस्टम और उनके समर्थक उछल रहे थे। और खुश होकर कहने लगे, ये हुई न बात! ऐसे लोगों के लिए बहुत अच्छे ढंग से कहा गया है…

ये कह-कह कर हम दिल को बहला रहे हैं, वो अब चल चुके हैं, वो अब आ रहे हैं…

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में आलोचना का बहुत महत्व होता है। लोकतंत्र की जननी होने के कारण भारत में आलोचना को लोकतंत्र की मजबूती एवं सवंर्धन के लिए एक शुद्धि यज्ञ माना जाता है। दुर्भाग्य से इन्होंने 9 साल आलोचना करने की जगह आरोप में गंवा दिए। चुनाव हार जाओ तो ईवीएम को गाली, चुनाव आयोग को गाली… अदालत में फैसला पक्ष में नहीं आया तो उच्चतम न्यायालय की आलोचना, भ्रष्टाचार की जांच हो रही हो तो जांच एजेंसियों को गाली, सेना अपना पराक्रम दिखाए तो सेना को गाली… सेना पर आरोप। कभी आर्थिक प्रगति की चर्चा हो.. तो यहां से निकल रिजर्व बैंक को गाली।

उन्होंने कहा कि बीते 9 साल में रचनात्मक आलोचना की जगह आलोचना के लिए आलोचना ने ले ली है। सदन में भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसियाें के बारे में विपक्ष के लोगों के सुर खूब मिल रहे हैं। देश में चुनावों की जगह ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने विपक्षी दलों को एक मंच पर ला दिया है।

उन्होंने कहा कि यहां कुछ लोगों को हार्वर्ड स्टडी का बड़ा शौक है। कोरोनाकाल में कांग्रेस ने कहा था कि भारत की बर्बादी पर हार्वर्ड में स्टडी होगी। बीते वर्षों में हार्वर्ड में एक बहुत बढ़िया स्टडी हुई है, उसका टॉपिक है, भारत की कांग्रेस पार्टी का अभ्युदय एवं पराभव। मुझे विश्वास है कि भविष्य में कांग्रेस की बर्बादी एवं उसे डुबाने वालों पर सिर्फ हार्वर्ड में ही नहीं, विश्व के बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में अध्ययन होना ही है। इन जैसों के लिए कवि दुष्यंत कुमार ने बहुत अच्छी बात कही है- तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल यह है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं।

अदानी के बारे में आरोपों के संदर्भ में मोदी ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि बिना सिर-पैर की बातें करने के आदि होने के कारण इनको यह भी याद नहीं रहता कि पहले क्या कहा था। खुद का विरोधाभास दूर करना चाहिए। जो लोग 2014 से कोस रहे हैं कि भारत कमजोर हो रहा है, भारत का वजूद कम हो रहा है तो वो भारत इतना मजबूत कैसे हो गया कि दूसरे देशों को धमका कर फैसला करा ले। पहले तय करो कि भारत कमजोर हुआ है या मजबूत हुआ है।

उन्होंने कहा कि जो अहंकार में डूबे रहते हैं, उनको लगता है कि मोदी को गाली देकर ही हमारा रास्ता निकलेगा। गलत आरोप लगा कर ही आगे बढ़ पाएंगे। मोदी पर देश का यह भरोसा अखबार की सुर्ख़ियों और टीवी पर चमकते चेहरों से नहीं हुआ है। जीवन खपा दिया है… पल-पल खपा दिया है। देश के लिए खपा दिया है… देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए खपा दिया है। देशवासियों का जो मोदी पर भरोसा है वो इनकी समझ के दायरे से बाहर है और इनकी समझ से ऊपर की बात है।

उन्होंने सवाल किया कि देश में मुफ्त अनाज पाने वाले क्या कभी इनकी गालियों पर भरोसा करेंगे? राशन कार्ड से राशन पाने वाले गलत आरोपों पर कैसे भरोसा करेंगे? जिन 11 करोड़ किसानों के खाते में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की तीन किश्तें गई हैं, वे गालियों पर क्या भरोसा करेंगे। तीन करोड़ गरीबों को पक्के मकान मिले हैं, वे कैसे आपकी गालियों पर कैसे भरोसा करेंगे। 11 करोड़ लोगों को शौचालय मिले हैं, आजादी के 75 साल बाद घरों में पहली बार नल से पानी लेने वाले, आयुष्मान भारत से इलाज कराने वाले दो करोड़ परिवार कैसे विश्वास करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इनकी गालियां और इनके आरोपों को उन कोटि-कोटि भारतीयों से होकर के गुजरना पड़ेगा, जिनको दशकों तक मुसीबत में जिंदगी जीने के लिए इन्होंने मजबूर किया था। कुछ लोग अपने लिए और अपने परिवार के लिए जी रहे हैं, लेकिन मोदी देश के 25 करोड़ परिवारों के लिए जी रहा है। 140 करोड़ देशवासियों के विश्वास का सुरक्षा कवच मेरे पास है और ये अपने झूठ के शस्त्र से इस कवच को भेद नहीं सकते हो।

उन्होंने कहा कि मुझे सार्वजनिक जीवन में चार पांच दशक हो गये हैं। मैं हिन्दुस्तान के गांवों में गुजरा इन्सान हूं। लंबे कालखंड तक परिव्राजक की तरह जीया हूं। हर स्तर के परिवार, भारत के हर भूभाग, समाज की हर भावना से परिचित हूं। भारत के समाज में सकारात्मकता का संस्कार है। भारतीय समाज नकारात्मकता को सहन तो कर सकता है, स्वीकार कभी नहीं कर सकता है। भारतीय समाज खुशमिजाज, सहनशील एवं सृजनशील समाज है। जो लोग सपने लेकर बैठे हैं, ऐसे लोग 50 बार सोचें, अपने तौर तरीकों पर विचार करें। उन्हें आत्मचिंतन की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बिना जीवन नहीं होता, लेकिन चुनौतियों से ज्यादा सामर्थ्यवान है देशवासियों का जज्बा। दुनिया के तमाम देशों व हमारे पड़ोस में जिस तरह के हालात हैं, ऐसे समय में कौन हिंदुस्तानी गौरव नहीं करेगा कि उनका देश दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि समय सिद्ध कर रहा है… जो कभी यहां (सत्ता पक्ष) बैठते थे वो वहां (विपक्ष) जाने के बाद भी फेल हुए हैं, लेकिन देश पास होता जा रहा है।

राहुल गांधी की यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जो हाल में जम्मू-कश्मीर घूम कर आए हैं वो भी अब देख सकते हैं कि कितनी आन-बान-शान से घूम सकते हैं। पिछली शताब्दी में मैं भी यात्रा लेकर कश्मीर गया था और आतंकियों ने पोस्टर लगाए थे कि- कौन है ऐसा,जिसने मां का दूध पिया है जो लाल चौक पर तिरंगा लहराएगा। मैंने उस वर्ष 23 जनवरी को ऐलान किया था कि 26 जनवरी को मैं आऊंगा, बिना सुरक्षा और बुलेट प्रूफ जैकेट के आऊंगा और तिरंगा लहराऊंगा.. लालचौक पर फैसला होगा कि किसने मां का दूध पिया है। जम्मू कश्मीर में शांति आई है। थियेटर हाउसफुल हैं। पर्यटकों की संख्या रिकॉर्ड पार कर गई है। जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र का उत्सव मनाया जा रहा है। हर घर तिरंगा का सफल कार्यक्रम हुआ है।

उन्होंने कहा कि जो लोग गांधी के नाम की राजनीति करते हैं, वे एक बार गांधी को पढ़ तो लें। उन्होंने कहा था कि अगर लोग अपने कर्त्तव्य का पालन कर लें तो उससे दूसरे के अधिकारों की रक्षा हो जाएगी। कर्त्तव्य एवं अधिकारों की लड़ाई नहीं हो सकती है।

मोदी ने कहा कि झूठे एवं गंदे आरोपों को सुनने का धैर्य रखने का सामर्थ्य बड़ी बात है। लेकिन सच को सुनने का सामर्थ्य नहीं है तो इससे पता चलता है कि वे कितनी निराशा के गर्त में हैं। उन्होंने कहा कि हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं… विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यह देश अमर-अजर है। आइए, हम चल पड़ें… 2047 में एक विकसित भारत बना कर रहेंगे। आइए, एक संकल्प और सपना लेकर चलें। देश आज यहां से एक नई उमंग… नए विश्वास के साथ आगे चल पड़ा है।