नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने तीर्थनगरी हरिद्वार के गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या और उनकी पत्नी शैलबाला पांड्या के खिलाफ तथाकथित दुराचार एवं उत्पीड़न को लेकर दायर जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है और तीन माह के अंदर जांच पूरी कर आरोपपत्र अदालत में दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने मंगलवार को मामले की सुनवाई के बाद पीड़िता को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सरकार को निर्देश भी दिए हैं। अधिवक्ता विवेक शुक्ला की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज अदालत में अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि पुलिस इस मामले की जांच में लापरवाही बरत रही है।
अधिवक्ता शुक्ला ने बताया कि अदालत ने सरकार को निर्देश दिये कि पीड़िता इस प्रकरण के सिलसिले में जब भी प्रदेश में आये तो उसे सुरक्षा मुहैया कराई जाए। डा पांड्या और उनकी पत्नी शैलबाला पांड्या पर छत्तीसगढ़ की एक महिला ने गत मई में यौन शोषण तथा उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला ने इस मामले को लेकर दिल्ली में मामला दर्ज कराया है।
महिला का आरोप है कि 2010 में जब वह शांतिकुंज स्थित गायत्री परिवार आश्रम में रसोई परिचारिका के रूप में काम करती थी तब डा पांड्या और उनकी पत्नी शैलबाला ने कथित रूप से उसका यौन शोषण किया। दिल्ली पुलिस ने यह मामला जांच के लिए हरिद्वार पुलिस के सुपुर्द कर दिया था।