पितृपक्ष इस वर्ष 14 सितंबर शुरू हो गए है और 28 सितंबर तक रहेंगे। इस दौरान पितरों को मुक्ति दी जाती है। ऐसी धार्मिक मान्यता है भाद्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि को प्रपोष्ठी श्राद्ध के दिन ऋषि मुनियों का तर्पण किया जाता है। बता दें, श्राद्ध के जरिए पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है। पिंड दान (Pind Daan) व तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है।
क्या होते है पितृ
ऐसे व्यक्ति जो धरती पर जन्म लेने के बाद जीवित नहीं है। उनकी मृत्यु के बाद पिंड दान किया जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए भाद्रपद महीने के पितृपक्ष में उनको तर्पण दिया जाता है।
पितृ पक्ष में पितरों को खुश करें
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, पितृ पक्ष में कुछ सावधानियां बरतनी जरुरी है। इस दौरान मृत्यु प्राप्त व्यक्तिों की मृत्यु तिथियों के अनुसार इस पक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध दो प्रकार के होते हैं। पार्वण श्राद्ध व एकोदिष्ट श्राद्ध। इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार अच्छा खाना बनाएं। खाने में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल न करें।
श्राद्ध की तिथियां
13 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध , 14 सितंबर- प्रतिपदा, 15 सितंबर- द्वितीया, 16 सितंबर- तृतीया, 17 सितंबर- चतुर्थी, 18 सितंबर- पंचमी, महा भरणी, 19 सितंबर- षष्ठी, 20 सितंबर- सप्तमी, 21 सितंबर- अष्टमी, 22 सितंबर- नवमी, 23 सितंबर- दशमी, 24 सितंबर- एकादशी, 25 सितंबर- द्वादशी, 26 सितंबर- त्रयोदशी, 27 सितंबर- चतुर्दशी, 28 सितंबर- सर्वपित्र अमावस्या।