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बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जमीन देने वालों को पाँच गुणा ज्यादा कीमत देने को तैयार-पीयूष
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बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जमीन देने वालों को पाँच गुणा ज्यादा कीमत देने को तैयार-पीयूष

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बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जमीन देने वालों को पाँच गुणा ज्यादा कीमत देने को तैयार-पीयूष
Piyush ready to pay five times more to the landlords for bullet train project
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नयी दिल्ली । रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण में आ रही समस्याओं को खारिज करते हुये आज कहा कि इसके लिए सकारात्मक बातचीत चल रही है तथा सरकार सहमति के आधार पर जमीन देने वालों को पाँच गुणा ज्यादा कीमत तक देने के लिए तैयार है।

गोयल ने लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा की अभी (अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन) परियोजना पर काम करते हुये एक साल ही हुये हैं। जमीन अधिग्रहण के लिए बातचीत अच्छी चल रही है और हमें जल्द जमीन मिल जाने की उम्मीद है। हम सहमति के आधार पर जमीन देने वालों को उसकी पाँच गुणा तक कीमत देने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने बताया कि परियोजना के लिए बड़ौदा में भारतीय रेल ने राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन को 4.92 हेक्टेयर जमीन हस्तांतरित कर दी है। मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने भी बांद्रा कुर्ला परिसर में 0.9 हेक्टेयर जमीन परियोजना के लिए हस्तांतरित करने की स्वीकृति दी है। परियोजना को वर्ष 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन इसे एक साल पहले पूरा करने का सरकार का प्रयास है।

रेल मंत्री ने कहा कि सरकार देश में हाई-स्पीड ट्रेनों का जाल बिछाना चाहती है। उसने परियोजना के लिए जापान से 0.1 प्रतिशत ब्याज दर पर 50 साल के लिए ऋण लिया है जिसमें पहले 15 साल कोई भुगतान नहीं करना होगा। इस सौदे में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की भी बात है जिससे भविष्य में भारत इन ट्रेनों का निर्यात भी कर सकेगा।

रेल मंत्री ने कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे के इस तर्क को खारिज कर दिया कि एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये में महज 500 किलोमीटर का बुलेट ट्रेन कॉरिडोर विकसित करने की बजाय इस पैसे को हजारों किलोमीटर की आम ट्रैक बिछाने में खर्च किया जा सकता था जिससे आम लागों को लाभ होता। उन्होंन कहा कि इससे देश को फायदा होगा। यह समग्र रुख है जिसे “आप नहीं समझ सकते।”

उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन कॉरिडोर में किसानों के लिए भी अलग ट्रेनें चलायी जायेंगी जिससे उनकी फसल जल्द एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजी जा सकेगी। गोयल ने बताया कि जापान से मिलने वाला ऋण इस परियोजना विशेष के लिए है और उसका इस्तेमाल किसी अन्य परियोजना या कार्य में नहीं किया जा सकता।