नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के उन्नाव का सामूहिक बलात्कार मामला मंगलवार को उच्चतम न्यायालय पहुंच गया। पेशे से वकील मनोहर लाल शर्मा ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके पूरे मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच का आदेश देने और पीड़िता को सहायता राशि उपलब्ध कराये जाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
याचिकाकर्ता ने पीड़िता के परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग भी की है। इस याचिका में कहा गया है कि आरोपी सत्ताधारी पार्टी का विधायक है, इसलिए पुलिस का इस मामले में निष्पक्ष जांच करना संदिग्ध नजर आता है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि पीड़िता के पिता की मौत पुलिस उत्पीड़न से हुई है, इसलिए मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।
उन्नाव सामूहिक बलात्कार मामले में भारतीय जनता पार्टी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर आरोपी हैं। गौरतलब है कि पिछले वर्ष चार जून को माखी थाना क्षेत्र के एक गांव से 17 साल की किशोरी को गांव के ही शुभम् और उसका साथी कानपुर के चौबेपुर निवासी अवधेश तिवारी ने अगवा कर लिया था।
पीड़िता की मां ने माखी थाने में तहरीर दी, जिसमें विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर पड़ोस की एक महिला के जरिये बहाने से उसे घर बुलाकर बलात्कार करने और इसके बाद उसके गुर्गों द्वारा सामूहिक बलात्कार करने का आरोप लगाया। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की थी।
पीड़िता ने 11 जून 2017 को अदालत की शरण ली थी। न्यायालय के आदेश पर अवधेश तिवारी, शुभम् तिवारी एवं अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इसमें विधायक और आरोपी महिला का नाम नहीं था।
इस वर्ष तीन अप्रेल को विधायक के भाई अतुल सिंह ने मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बनाया, लेकिन पीड़िता के पिता ने एक न मानी, जिसकी वजह से उसकी बेरहमी से पिटाई की गई और फर्जी मुकदमा लिखवाकर जेल भिजवा दिया। गत आठ अप्रेल को पीड़िता ने परिवार समेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर आत्मदाह की कोशिश की। नौ अप्रेल को पीड़िता के पिता की उन्नाव जेल में मौत हो गई।