नई दिल्ली। राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के वर्षों पुराने विवाद पर फैसला आने तक राज्य में राज्यसभा चुनाव परिणाम स्थगित करने के हाईकोर्ट के गुरुवार को इनकार के बाद इस फैसले के खिलाफ एक याचिका सुप्रीमकोर्ट में दायर कर शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई गई।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हेमंत नाथ ने राजस्थान उच्च न्यायालय के नौ जून के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई, जिसे पीठ ने ठुकरा दी और इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश के समक्ष गुहार लगाने को कहा।
याचिकाकर्ता ने शुक्रवार को होने वाले राजस्थान चुनाव में छह विधायकों द्वारा डाले गए वोटों को अलग रखने और चुनाव के नतीजे घोषित नहीं करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
याचिकाकर्ता ने 2019 में कांग्रेस पार्टी में शामिल होने वाले बसपा के छह विधायकों की अयोग्यता से संबंधित याचिका के निपटारे तक राज्यसभा चुनाव परिणामों की घोषणा पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी।
उच्चतम न्यायालय में तत्काल सुनवाई की गुहार लगाते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राज्यसभा चुनाव से संबंधित यह याचिका बेहद जरूरी मामला है। कृपया इसे सूचीबद्ध करें।
पीठ ने याचिका पर तत्काल विचार करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को शीघ्र सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के समक्ष उल्लेख करने और उच्चतम न्यायालय रजिस्ट्री से संपर्क कर अपनी बात रखने को कहा।
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव के कुछ महीनों के भीतर ही बसपा के छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। विधानसभा अध्यक्ष ने उन विधायकों को कांग्रेस का विधायक घोषित कर दिया था। उधर, विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद बसपा ने दावा किया कि पार्टी का राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस में विलय नहीं हुआ है।