नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि पीएम केयर्स फंड का ईमानदारी से उपयोग किया जा रहा है और अब उच्चतम न्यायालय ने भी इस पर मुहर लगा दी है।
प्रसाद ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पीएम केयर्स फंड की राशि को राष्ट्रीय आपदा कोष में हस्तांतरित करने के निर्देश देने सम्बन्धी याचिका आज खारिज कर दी। न्यायालय ने लम्बी बहस के बाद स्वैच्छिक दान काे लेकर फैसला सुनाया है।
उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स फंड से 3100 करोड़ रुपए की राशि कोरोना से संघर्ष के लिए दी गई हैं। इसमें से कोरोना मरीजो के लिए वेंटिलेटर की सुविधा के लिए 2000 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई है जबकि शहरों से पलायन कर अपने गांव गए मजदूरों के लिए राज्यों को 1000 करोड़ रुपए दिए गए हैं। कोरोना वैक्सीन के अनुसंधान के लिए 100 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
प्रसाद ने कहा कि पीएम केयर्स फंड सार्वजनिक ट्रस्ट है जिसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अध्यक्ष हैं। यह कोष पूरी तरह से पारदर्शी है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार पिछले छह साल से ईमानदारी से काम कर रही है और उस पर भ्रष्टाचार के एक भी आरोप नहीं हैं तथा जनता का आशीर्वाद उसे मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना अभिशाप है लेकिन भारत में इससे मृत्यु दर तुलनात्मक रुप से कम है। इसकी दवा जल्दी आनी चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि मनमोहन सिंह सरकार के दौरान राजीव गांधी फाउंडेशन को राष्ट्रीय आपदा कोष से राशि दी गई थी जबकि यह पारिवारिक फउंडेशन है। उन्होंने कहा कि इस संस्था को चीन और वहां की कम्युनिस्ट पार्टी से भी मदद मिली थी। बाद में राजीव गांधी फाउंडेशन ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत चीन से रिश्ते सुधारने के लिए देश के बाजार को खोलना जरुरी बताया था।
कानून मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोरोना काल के दौरान देश की एकता कमजोर करने की कोशिश की और डाक्टरों तथा स्वास्थ्यकर्मियों के पक्ष में ताली बजाने को मजाक बनाया। दुनिया डाक्टरों के पक्ष में ताली बजाकर उनका हौसला बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि गांधी ने लॉकडाउन की भी आलोचना की और पीएम केयर्स फंड पर भी हमले किए थे।
‘पीएम केयर्स फंड को एनडीआएफ में हस्तांतरित करने की जरूरत नहीं’