नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि समाज को धर्म के आधार पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है।
सोनिया गांधी ने यहां संसद भवन एनैक्सी में कई विपक्षी दलों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के बयानों में विरोधाभास है और दोनों मिलकर देशवासियों को गुमराह कर रहे हैं। दोनों लगातार उकसावे वाले बयान दे रहे हैं और हिंसा तथा अत्याचार के प्रति असंवेदनशील बने हुए हैं।
उन्होंने विश्वविद्यालयों में हुई हिंसा का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी- शाह की सरकार की अक्षमता साबित हो गयी है और ये शासन चलाने के योग्य नहीं है। मौजूदा सरकार लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराने में नाकाम रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि असम में एनआरसी विफल साबित हुआ है। सरकार अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी से पहले की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि विरोध का तात्कालिक कारण सीएए और एनआरसी है लेकिन समाज के व्यापक स्तर पर रोष दिखायी दे रहा है।
उन्होंने कहा कि असली मुद्दे अर्थव्यवस्था की गिरती हालत और आर्थिक विकास दर का मंद पड़ना है। समाज के गरीब और वंचित तबके को नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के पास इसका कोई जवाब नहीं है और देश का ध्यान बंटाने के लिए विभाजनकारी और ध्रुवीकरण की राजनीति कर रहे हैं।
श्रीमती गांधी ने कहा कि सरकार दमन करने और घृणा पर उतर आयी है और लोगों को धार्मिक आधार पर बांटा जा रहा है। देश में अफरा तफरी की अभूतपूर्व स्थिति बनी हुई है। संविधान को कमजोर किया जा रहा है और सरकार के अंगों का दुरुपयोग हो रहा है।
उत्तरप्रदेश और दिल्ली में पुलिस के बल प्रयोग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं और छात्रों को खासतौर पर निशाना बनाया जा रहा है। आबादी के एक बड़े हिस्से को प्रताड़ित किया जा रहा है और उनका दमन किया जा रहा है। नागरिकों के सहयोग से देशभर में युवा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की और इसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी गांधी, गुलाम नबी आजाद, एके एंटनी, अहमद पटेल और के सी वेणुगोपाल मौजूद थे। बैठक में शिवसेना, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के सदस्य मौजूद नहीं थे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के पी. के. किंहालीकुट्टी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के शत्रुजीत सिंह, केरल कांग्रेस के एम. थामस काझीक्कदन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट के सिराजूद्दीन अजमल, नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के मीर मोहम्मद फयाज, जनता दल सेक्यूलर के डी. कूपेंद्र रेड्डी, राष्ट्रीय लोकदल के अजित सिंह, हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा के जीतन राम मांझी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा, स्वाभिमान पक्ष के राजू शेट्टी, फाॅरवर्ड ब्लाॅक के जी देवराजन और विदूथलाई चिरुथाईगल काची के थोल तिरुमावलावन ने भी बैठक में हिस्सा लिया।