वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माने जाने वाली वाराणसी लोकसभा सीट पर लगातार दूसरी बार शानदार जीत हासिल की है और अपनी ही जीत का रिकॉर्ड तोड़ा।
मोदी ने यह सीट चार लाख 79 हजार 505 मतों के अंतर से जीती है। उन्हें कुल छह लाख 74 हजार 664 मत मिले। उनकी निकटम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन की उम्मीदवार शालिनी यादव को एक लाख 95 हजार 159 मत मिले। कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय एक लाख 52 हजार 548 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
इस सीट पर कुल 27 उम्मीदवारों ने अपना राजनीतिक किस्मत आजमाई थी, जिनमें से कई उत्तर प्रदेश के बाहर के हैं। कुल 11 उम्मीदवारों ने मतों के मामले में चार अंकों का आंकड़ा भी पार नहीं किया है। इस क्षेत्र में इस बार 4037 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया।
शास्त्रीय संगीत में बनारस घराने को जन्म देने वाली इस धरती पर श्री मोदी ने पहली बार 2014 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें पांच लाख 81 हजार से अधिक मत मिले थे और उनकी जीत का अंतर तीन लाख 71 हजार से अधिक मतों का था।
उस चुनाव में उनका सीधा मुकाबला आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से हुआ था। केजरीवाल को दो लाख नौ हजार से अधिक मत मिले थे। उस समय भी कांग्रेस की ओर से अजय राय उम्मीदवार थे, जिन्हें मात्र 75614 वोट मिले थे।
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सपा और बसपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और ये दोनों पार्टियां मिलाकर कुल एक लाख पांच हजार मत ही पा सकी थी।
बनारसी साड़ी के लिए विश्व विख्यात वाराणसी में 1989 से 1999 तक लगातार भाजपा का कब्जा रहा, जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्र ने कामयाबी पायी थी। वर्ष 2009 के चुनाव में भाजपा के मुरली मनोहर जोशी यहां से निर्वाचित हुए थे। उन्होंने बसपा के मुख्तार अंसारी को दो लाख तीन हजार से अधिक मतों से पराजित किया था।
अंसारी एक लाख 85 हजार से अधिक वोट लाने में सफल रहे थे। इस चुनाव में सपा की ओर से अजय राय उम्मीदवार थे, जबकि कांग्रेस ने राजेश कुमार मिश्र को मैदान में उतारा था।
शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खां की कर्मभूमि रहे इस क्षेत्र में वर्ष 1996 से 1999 तक भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल का कब्जा रहा। वह 1996 के अलावा 1998 और 1999 के चुनाव में भी निर्वाचित हुए थे। इस सीट पर 1996 और 1998 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर थे।
संत कबीर, बल्लभाचार्य, रविदास और स्वामी रामानन्द को लेकर विख्यात इस क्षेत्र में 1991 में चुनाव में भाजपा के शिरीष चंद्र दीक्षित ने जीत हासिल की थी। इससे पहले 1989 के चुनाव में भाजपा के एन एस मुदीराज ने कांग्रेस के श्याम लाल यादव को एक लाख 70 हजार मतों से पराजित किया था।