भोपाल। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व के बड़े मंचों पर संवाद के लिए हिंदी का उपयोग करके हिंदीभाषियों का उत्साहवर्धन करते हुए अब ‘ब्रेन-ड्रेन’ (प्रतिभा पलायन) के सिद्धांत को ‘ब्रेन-गेन’ (प्रतिभा संरक्षण) में बदल दिया है।
शाह ने आज यहां हिंदी भाषा में मेडिकल की पढ़ाई की अभूतपूर्व पहल का शुभारंभ किया। पिछले कई महीनों से चल रही इस परियोजना के तहत एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पुस्तकों को हिंदी भाषा में तैयार किया गया है। इस समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में शाह ने कहा कि 21वीं सदी में ब्रेन-ड्रेन का सिद्धांत रहा। भारतीय छात्रों को विदेशी भाषा में पढ़ाया गया, लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी इस सिद्धांत को ‘ब्रेन-गेन’ में बदल रहे हैं। भारतीय छात्रों को उनकी अपनी भाषा में पढ़ा कर उनके चिंतन और अनुसंधान की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है।
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने भी इस बात पर जोर दिया था कि सिर्फ अंग्रेजी से कुछ नहीं होगा, अपनी भाषा में पढ़ कर ही विद्यार्थी देश की सच्ची सेवा कर सकेंगे।
शाह ने कहा कि हर व्यक्ति का मन सोचने, विश्लेषण करने और परिणाम तक पहुंचने की प्रक्रिया को मातृभाषा में ही पूरी करता है। हमारे देश में अगर पढ़ाई और अनुसंधान मातृभाषा में हों तो भारतीय विद्यार्थी समग्र विश्व में अनुसंधान के क्षेत्र में भारत का डंका बजाएंगे।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को काफी अहमियत दी गई है। इसी क्रम में उन्होंने मध्यप्रदेश का विशेष संदर्भ देते हुए कहा कि इस पहलू को सबसे पहले मध्यप्रदेश ने ही जमीन पर उतारा है। इस शिक्षा नीति के बाद अपनी भाषाओं में परीक्षाएं देने की व्यवस्था को भी लागू किया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के बड़े मंचों पर अपना संबोधन हिंदी में ही दिया है। ये समूचे विश्व के लिए एक संदेश है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 2014-15 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 थी, जो अब बढ़कर 596 हो गई है। इसी तरह आईआईटी की संख्या 16 से बढ़कर 23, आईआईएम की 13 से बढ़कर 30, आईआईआईटी की नौ से बढ़कर 25 और देश भर में कुल विश्वविद्यालयों की संख्या 723 से बढ़कर एक हजार 43 हो गई है।
अंग्रेजी और बौद्धिक क्षमता का आपस में कोई संबंध नहीं
अमित शाह ने आज कहा कि कुछ लोगों ने अंग्रेजी का प्रचार-प्रसार करते हुए इसे बौद्धिक क्षमता से जोड़ दिया, लेकिन इन दोनों चीजों का आपस में कोई संबंध नहीं है। शाह ने आज हिंदी भाषा में मेडिकल की पढ़ाई की अभूतपूर्व पहल का शुभारंभ किया। पिछले कई महीनों से चल रही इस परियोजना के तहत एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पुस्तकों को हिंदी भाषा में तैयार किया गया है। इस समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी उपस्थित रहे।
इस दौरान शाह ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोगों ने अंग्रेजी का प्रचार-प्रसार करते हुए इसे बौद्धिक क्षमता से जोड़ दिया, जबकि दोनों चीजों का आपस में कोई लेना-देना नहीं है। बौद्धिक क्षमता मातृभाषा का उपयोग करने से ही निखरती है।
उन्होंने भोपाल के मंच से देश भर के युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि अपनी भाषा में पढ़ाई से ही क्षमताएं बढ़ेंगी। युवा अंग्रेजी की ग्रंथि से बाहर निकलें और हिंदी के उपयोग पर खुद को कमतर समझने की सोच को ना पालें।
उन्होंने कहा कि अब केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार है, जिसमें सभी अपनी-अपनी भाषा में प्रदर्शन कर सकते हैं। अब शोध और अनुसंधान के कार्य को भी हिंदी भाषा में ही प्रेरित किया जा रहा है। देश के 10 राज्यों में इंजीनियरिंग की पुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है।