पुणे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मंगलवार को यहां एक समारोह में प्रतिष्ठित लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जहां महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस, अजीत पवार और पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार भी मौजूद थे।
राकांपा में टूट के बाद शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार किसी एक मंच पर एक साथ नजर आए। वैसे अजीत पवार कुछ समय पूर्व शरद पवार से अपने गुट के कुछ विधायकों के साथ मुलाकातें कर चुके हैं।
पुणे की संस्था लोक मान्य तिलक स्मारक न्यास की ओर से 1983 में स्थापित यह पुरस्कार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा जैसी विभूतियों को प्रदान किया जा चुका है। लोकमान्य की पुण्य तिथि पर पहली अगस्त को दिये जाने वाले इस पुरस्कार के अंतर्गत मोदी को तिलक की पगड़ी, गमछा, केसरी अखबार के प्रथम संस्करण के चित्र के साथ गीता की प्रति वाला स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया।
मंच पर पहुंच कर प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री वरिष्ठ नेता शरद पवार के पास जाकर उनसे हाथ मिलाया और संक्षिप्त संवाद भी किया। इस दौरान दोनों नेता ठहाका लगाते हुए दिखे।
इस अवसर पर श्री मोदी ने कहा कि आज हम सबके आदर्श और भारत के गौरव बाल गंगाधर तिलक जी की पुण्यतिथि है। साथ ही, आज अन्नाभाऊ साठे जी की जन्मजयंती भी है। लोकमान्य तिलक जी तो हमारे स्वतन्त्रता इतिहास के माथे के तिलक हैं। साथ ही, अन्नाभाऊ ने भी समाज सुधार के लिए जो योगदान दिया, वह अप्रतिम है, असाधारण हैं।
प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज, ज्योतिबा फुले और महाराष्ट्र की धरती पर जन्मे अन्य महापुरुषों को याद करते हुए कहा कि पुणे में आप सबके बीच मुझे जो सम्मान मिला है, ये मेरे जीवन का एक अविस्मरणीय अनुभव है। जो जगह, जो संस्था सीधे तिलक जी से जुड़ी रही हो, उसके द्वारा लोकमान्य तिलक नेशनल अवार्ड मिलना, मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं इस सम्मान के लिए हिन्द स्वराज्य संघ का, और आप सभी का पूरी विनम्रता के साथ हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
उन्होंने इस सम्मान को देश की 140 करोड़ जनता को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं देशवासियों को यह विश्वास भी दिलाता हूं कि उनकी सेवा में, उनकी आशाओं-अपेक्षाओं की पूर्ति में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ूंगा। उन्होंने पुरस्कार को मिली धनराशि को दान करने की घोषणा की।
मोदी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोकमान्य के महती योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि अंग्रेज शासकों ने तिलक जी को ‘दि फादर आफ इंडियन अनरेस्ट’ (भारतीय में विद्रोह का जनक) की संज्ञा दी थी। अंग्रेजों ने जब कहा था कि भारत शासन चलाने की क्षमता और योग्यता नहीं रखते तो तिलक जी ने नारा दिया था, ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’।
उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के व्यक्तित्व के उस पहलू की तरफ युवाओं का ध्यान आकृष्ट किया जिसमें वह लोगों से खुद पर विश्वास करने का आग्रक कर उनमें आत्मविश्वास जगाते थे। उन्होंने लोगों में विश्वास भरा कि भारत की जनता गुलामी की बेड़ियों को तोड़ सकती है। मोदी ने कहा कि उन्हें (तिलक जी को) अपने लोगों पर विश्वास था। उन्हें हमारे श्रमिकों, उद्यमियों पर विश्वास था, उन्हें भारत के सामर्थ्य पर विश्वास था।