नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी कांग्रेस पार्टी को टुकड़े-टुकड़े गैंग का लीडर बताने के एक दिन बाद मंगलवार को कहा कि इस पार्टी की सोच पर ‘अर्बन (शहरी) नक्सलियों’का कब्जा हो गया है।
मोदी ने संसद की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति राम नाथ कांविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्य सभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कांग्रेस पर जोरदार हमला करते हुए यह भी कहा कि देश की इस सबसे पुरानी पार्टी को यदि ‘नेशन’ (राष्ट्र शब्द) असंवैधनिक लगने लगा है तो अपना नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस से बदल कर ‘इंडियन फेडरेशन ऑफ कांग्रेस’कर लेना चाहिए।
धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सरकार पर महंगायी, बेरोजगारी, आर्थिक प्रबंघ और छोटी मझोली इकाइयों के समक्ष संकट के लिए विपक्ष की ओर से सरकार की आलोचना का पुरजोर जवाब दिया और संघीय व्यवस्था को नुकसान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करने के आरोपों के जबाव में कांग्रेस पर तीखे प्रहार किए।
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस का संघवाद पर बार बार सवाल उठाये जाने को लेकर उस पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि उसे अपना नाम ‘इंडियन नेशनल कांग्रेस’ से बदल कर ‘फेडरेशन आफ कांग्रेस’ कर लेना चाहिए। कांग्रेस के सदस्य जब प्रधानमंत्री की इस बात का कड़ा विरोध कर सदन से जाने लगे तो प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में सिर्फ सुनाना ही नहीं होता है सुनना भी होता है। सालों तक उपदेश देने की आदत के कारण कांग्रेस को बातें सुनने में मुश्किल हो रही है।
उन्होंने सोमवार को लोकसभा में भी इसी तरह कांग्रेस पर देश के लोगों के बीच एकता के भाव से खतरनाक खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए उसे टुकड़े टुकड़े गैंग की लीडर कहा था। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा परिवारवादी पार्टियों से है। कांग्रेस एक परिवार के आगे कुछ सोचती ही नहीं। जब किसी पार्टी में परिवारवाद हावी हो जाता है तो सबसे पहला नुकसान होता है कि उसमें प्रतिभाएं मर जाती हैं।
उन्होंने क्षेत्रवाद को भड़काने के विपक्ष के प्रयासों को जोरदार तरीके से खारिज करते हुए कहा संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि प्रशासनिक सुविधा के लिए राज्यों में बांटा जा सकता है लेकिन देश अभिन्न रुप से एक है।
उन्होंने कहा कि संघीय व्यवस्था को सबसे ज्यादा नुकसान किसी पार्टी ने नुकसान पहुंचाया तो वह कांग्रेस थी । हवाई अड्डे से सरकारें बदल दी गईं। उन्होंने कहा आन्ध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यतंत्री टी अंजैया के साथ ऐसा हुआ था जब एक प्रधानमंत्री के बेटे को हवाई अड्डे पर वहां का प्रबंध पसंद नहीं आया था। इसी तरह से कर्नाटक के मुख्यमंत्री वीरेन्द्र पाटिल जब बीमार थे तब उन्हें अपमानित किया गया था।
उन्होंने कहा कि हमारी सोच कांग्रेस की तरह संकीर्ण नहीं है। क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान होना चाहिए और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा किया जाना चाहिए। राज्य की प्रगति होनें से ही देश की तरक्की होती है। देश समृद्ध होगा तो राज्य समृद्ध होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि दशकों तक केन्द्र में सरकार बनाने वाली कांग्रेस ने राज्यों के साथ दमन किया। करीब एक सौ बार चुनी हुयी राज्य सरकारों को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया। एक प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल के दौरान 50 राज्य सरकारों को उखाड़ फेंका और अब उसी की सजा भुगत रही है। उन्होंने कहा कहा कि कांग्रेस की नीति राज्य सरकारों को अस्थिर और बर्खास्त करने की रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि फारुख अब्दुल्ला, देवीलाल और चौधरी चरण सिंह की सरकार को बर्खास्त किया गया और बाला साहेब ठाकरे को बदनाम किया गया। पचास के दशक में केरल की वामपंथी सरकार को बर्खास्त किया गया। एनटीआर और मुलायम सिंह यादव को अस्थिर करने का प्रयास किया गया।
मोदी ने राज्यों के विभाजन के समय कांग्रेस की स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि आन्ध्र प्रदेश के विभाजन के समय सदन में मिर्च स्प्रे तक किया गया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय तीन राज्यों का गठन किया गया था लेकिन कोई विरोध नहीं हुआ। आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोगों के बीच अब भी कटुता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की नीति रही है- बदनाम करो, अस्थिर करो और बर्खास्त करो। उन्होंने कहा कि सरकार संघवाद से बदलाव की ओर चल रही है और राज्यों को प्रोत्साहन दे रही है। जीएसटी परिषद संघवाद का सबसे सुंदर ढांचा है जिसमें तमाम निर्णय आम सहमति से होते हैं। देश के 100 आकांक्षी जिले में विकास के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रहे हैं तथा बहुत कम समय में एक राज्य को छोड़कर अधिकतर जिलों में विकास कार्य वहां के औसत विकास से अधिक हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने कोरोना काल में मुख्यमंत्रियों के साथ 23 बैठकें करके फैसले किए गए। उन्होंने कहा कि उनका संघवाद सहयोगवादी एवं प्रतिस्पर्धावादी संघवाद है।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार पर इतिहास बदलने के आरोप लगाए जाते हैं। यह सोच उन लोगों की है जो सोचते हैं कि ‘हिंदुस्तान 1947 पैदा हुआ है’ और इस देश में लोकतंत्र उनकी मेहरबानी से है। मोदी ने कहा कि भारत में संवाद और लोकतंत्र की पुरानी परंपरा है। उन्होंने कहा कि 1857 की आजादी की पहली लड़ाई में आदिवासी क्षेत्रों का योगदान हमें पढ़ने को नहीं मिला। हम उसकी याद दिला रहे हैं।
हम इतिहास बदल नहीं रहे बल्कि जो 50 साल का ही इतिहास जानते हैं उनहें सौ साल के इतिहास से परिचय कराना चाहते हैँ। जो सौ साल का इतिहास जानते हैं, उन्हें और पीछे 200 सौ साल का इतिहास दिखा रहे हैं। कुछ लोगों के लिए इतिहास का मतलब एक परिवार का इतिहास है। उन्होंने कहा ‘ देश के गौरवशाली इतिहास को भूलना देश के लिए ठीक नहीं होता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सदन में बारबार कहा जाता है कि यदि कांग्रेस न होती तो क्या होता? उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश की आजादी के बाद कांग्रेस को समाप्त करने की सलाह दी थी। यदि उनकी इच्छा मान ली गई होती तो कांग्रेस न होती। कांग्रेस न होती तो लोकतंत्र परिवरावाद से मुक्त होता। यदि कांग्रेस नहीं होती तो देश विदेशी चश्मे के बजाय स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता। कांग्रेस न होती तो देख में इमरजेंसी लागू न होती।
कांग्रेस न होती तो देश में दशकों तक भ्रष्टाचार संस्थागत रूप न लेता। कांग्रेस न होती तो जातिवाद और क्षेत्रवाद नहीं फैला। कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार नहीं होता और इसके साथ ही सालों तक पंजाब में आतंकवाद की आग में न जलता। कांग्रेस न होती तो कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ने की नौबत न आती। कांग्रेस न होती तो बेटियों को तंदूर में जलाने की घटनाएं नहीं होतीं। कांग्रेस न होती तो देश में सामान्य आदमी को मूल सुविधाओं से लिए इतने साल इंतजार न करना होता।
अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले के आरोप को मोदी ने किया खारिज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर किए जा रहे हमले के आरोपों को मंगलवार को खारिज करते हुए कहा है कि यह काम कांग्रेस के शासन के समय होता था।
श्री मोदी ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्य सभा में धन्वयाद प्रस्ताव पर चर्चा के करीब पौने दो घंटे के जबाव में मोदी ने कहा कि आपतकाल के दौरान पार्श्वगायक किशोर कुमार की कुछ बातों को लेकर आकाशवाणी पर उनके गानों के प्रसारण को रोक दिया गया था।
प्रधानमंत्री ने स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के हाल में निधन की चर्चा करते हुए करते हुए कहा कि इससे पूरा देश दुखी है। उनका परिवार गोवा से जुड़ा है। उनके भाई हृदय मंगेशकर ने एक बार बीर सावरकार की देश भक्ति की एक कविता को संगीत दे दिया था। उसके आठ दिन के अंदर उन्हें आकाशवाणी की नौकरी से निकाल दिया गया। इसी तरह गीतकार मज़रूह सुल्तानपुरी को नेहरु की आलोचना पर एक बार जेल काटनी पड़ी। अभिव्यक्ति के कारण ही धर्मपाल जी को दंडित किया गया था।