केवड़िया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी को देखने गुजरात के नर्मदा ज़िले के केवड़िया आने वाले पर्यटकों को ट्रेन यात्रा की सीधी सुविधा देने के लिए यहां नवनिर्मित रेलवे स्टेशन का रविवार को नई दिल्ली से विडीओ कानफ़्रेंसिंग के ज़रिए ई लोकार्पण किया और इससे जुड़ने वाली आठ नई रेल गाड़ियों को आभासी ढंग से हरी झंडी दिखा कर रवाना भी किया।
इस मौक़े पर मोदी ने कहा कि स्टेच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया का श्रेष्ठ पर्यटन केंद्र बना है और उसके कारण स्थानीय आदिवासी युवाओं के लिए रोजगार-स्वरोजगार के नए द्वार खुले हैं। अनेक आदिवासी परिवारों के जीवन स्तर में आमूलचूल बदलाव आया है।
उन्होंने कहा कि वह पहले इस इलाक़े में चलने वाली नैरो गेज ट्रेन से यात्रा कर चुके है। इसकी गति इतनी धीमी होती थी कि आप कहीं भी उतर जाइए, कभी भी चढ़ जाइए। अगर आप साथ-साथ चलते तो लगता था कि आपकी ही स्पीड ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कई दशकों तक रेलवे में टेक्नोलॉजी के अमलीकरण का अभाव और नयी खोज को लागू नहीं करने से रेलवे में कोई परिवर्तन नहीं आया। आज भारतीय रेलवे में आधुनिक टेक्नोलॉजी और शोध का विनियोग होने से उसमें आमूलचूल परिवर्तन आया है।
केवड़िया की परियोजना उसका उत्तम उदाहरण है, जो अनेक मुश्किलों के बीच भी केवल 20 महीने की अल्पावधि में पूरा हुआ है। इससे केवड़िया के इस आदिवासी बहुल क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है।
केवड़िया को देश के विभिन्न हिस्सों के साथ रेल संपर्क सुविधा से जोड़ने से पर्यटकों को यहां आने में सुगमता रहेगी। विभिन्न राज्यों, भिन्न-भिन्न भाषा और वेशभूषा वाले लोगों के यहां आने से लघु भारत का दृश्य दिखेगा और सरदार पटेल का एक भारत, श्रेष्ठ भारत का स्वप्न साकार होगा।
मोदी ने कहा कि केवड़िया के व्यापक विकास के संदर्भ में जब मैं अपनी संकल्पना के बारे में बात करता था, तब कई लोग उसे असंभव करार देते थे। हमने इसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फैमिली टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर स्थापित कर दिया है। अब तक स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए 50 लाख से अधिक लोग आ चुके हैं। यह संख्या अमेरिका के स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से भी कहीं अधिक है।
एक सर्वे के मुताबिक केवड़िया के रेलवे कनेक्टिविटी से जुड़ने के चलते इस स्थल पर रोजाना एक लाख से अधिक सैलानियों के आने की संभावना है। यहां सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में फैला सरदार पटेल जूलॉजिकल पार्क, जंगल सफारी पार्क, आयुर्वेद और योग पर आधारित आरोग्य वन, पोषण पार्क, रात को रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाता ग्लोव गार्डन, कैक्टस और बटरफ्लाई पार्क, सैलानियों के लिए एकता क्रूज और नौजवानों के लिए रिवर राफ्टिंग की सुविधा भी यहां उपलब्ध है। दूसरे शब्दों में कहें तो केवड़िया बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए घूमने-फिरने का बेहतरीन स्थान है।
उन्होंने कहा कि पर्यटन का विकास होने से स्थानीय आदिवासियों को रोजगार और स्वरोजगार के व्यापक अवसर मिले हैं। स्थानीय युवा गाइड बन रहे हैं, कैफे खोल रहे हैं और ज़ू कीपर जैसी स्थानीय स्तर पर नौकरी करने लगे हैं। यही नहीं, एकता मॉल के जरिए स्थानीय महिलाओं की परंपरागत हस्तकला को भी बिक्री का केंद्र मिला है, जिसके कारण आदिवासी कला दुनियाभर में उजागर हुई है। वहां के 200 घरों में पर्यटकों के लिए होम स्टे की भी व्यवस्था की जा रही है, जिसके चलते रोजगार के और भी अवसर पैदा होंगे।
ज्ञातव्य है कि रेलवे के आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा से मात्र क़रीब 5 कम दूरी पर स्थित इस पर्यावरण अनुकूल स्टेशन के निर्माण के लिए लिंक लाइन बिछाने में क़रीब 700 करोड़ रुपए का व्यय किया गया है। स्टेशन भवन को सौर ऊर्जा संचालन के अनुरूप बनाया गया है।
अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ़्रंट से यहां के लिए मोदी ने गत 31 अक्टूबर को ही पानी से उड़ान भरने वाले 15 सीट वाले विमान की सी प्लेन सेवा की भी शुरुआत की थी। मोदी ने डभोई-चांदोद रूपांतरित ब्रॉड गेज रेलवे लाइन, चांदोद-केवड़िया नई ब्रॉड गेज रेलवे लाइन, प्रतापनगर-केवड़िया के नव विद्युतीकृत रेल खंड तथा डभोई जंक्शन, चांदोद और केवड़िया रेलवे स्टेशन की नई इमारतों का ई लोकार्पण किया।
उन्होंने जिन 8 ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया उनमें केवड़िया से वाराणसी महामना एक्सप्रेस (साप्ताहिक), दादर-केवड़िया एक्सप्रेस (दैनिक), अहमदाबाद से केवड़िया, जनशताब्दी एक्सप्रेस (दैनिक), केवड़िया से हजरत निजामुद्दीन, संपर्क क्रांति एक्सप्रेस (सप्ताह में 2 दिन), केवड़िया से रीवा, केवड़िया-रीवा एक्सप्रेस (साप्ताहिक), चेन्नई से केवड़िया, चेन्नई-केवड़िया एक्सप्रेस (साप्ताहिक), प्रतापनगर से केवड़िया- मेमू ट्रेन (दैनिक) और केवड़िया से प्रतापनगर- मेमू ट्रेन (दैनिक) शामिल हैं।
मोदी ने कहा कि रेलवे के पूरे तंत्र में व्यापक बदलाव का कार्य शुरू किया है। यही नहीं, नवोन्मेषी विचारों के आधार पर रेलवे के अनेक क्षेत्र में एक साथ कार्य हो रहा है। जिसमें रेलवे के नए कोच, नई लाइन बिछाने, पुरानी लाइनों का आधुनिकीकरण, गेज परिवर्तन, रेलवे पुलों का निर्माण और सिग्नलिंग जैसे मामलों में नई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है। इसके चलते नई परियोजनाओं के क्रियान्वयन में गति आई है।
इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया गया है कि रेल परियोजनाएं पर्यावरण अनुकूल बने। रेलवे में उत्पादन और खोज के लिए आत्मनिर्भरता पर भी विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप देश में सेमी हाई स्पीड ट्रेन शुरू हुई है। आगामी समय में हाई स्पीड ट्रेन शुरू करने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (समर्पित माल ढुलाई गलियारा) परियोजना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 से 2014 तक यानी 8 वर्षों के दौरान इस प्रोजेक्ट पर मात्र कागजों पर ही काम हुआ, एक किलोमीटर भी ट्रैक नहीं बिछाया गया था। आज 1100 किमी का कार्य पूरा होने जा रहा है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने स्वागत भाषण में कहा कि आज का यह ऐतिहासिक अवसर है। केवड़िया को रेल परिवहन सुविधा से जोड़ने का यह प्रोजेक्ट वर्ष 2018 में मंजूर किया था और केवल 20 महीने के अल्पकाल में रिकार्डब्रेक कार्य कर पूरा किया गया है। अहमदाबाद जनशताब्दी एक्सप्रेस में ‘विस्टा-डोम टूरिस्ट कोच’ (ग्लास-टॉप यानी शीशे की पारदर्शी छत) लगाए गए हैं, जिसमें बैठकर सैलानी प्राकृतिक दृश्यों का लुत्फ उठाने के साथ ही मां नर्मदा के दर्शन भी कर सकेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि इन नवीन रेल सुविधाओं के चलते क्षेत्र में लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठेगा।