आणंद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश के सामने अब अभाव का संकट नहीं बल्कि विपुलता की चुनौती है। मोदी ने रविवार को अमूल के एक संयंत्र के उद्घाटन के बाद किसानाें और सहकारी क्षेत्र के लोगों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि एक समय था जब देश में हम अभाव के प्रभाव में जीते थे। तब अभाव के चलते सोचने की प्रक्रिया अलग थी। अब ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि आज संकट अभाव का नहीं बल्कि चुनौती विपुलता की है। इतनी बड़ी मात्रा में किसान पैदावार करता है कि कभी कभी बाजार भाव गिर जाता है। किसान का भी नुकसान हो जाता है। पहले उत्पादन बहुत कम होता था। हम गेहूं भी बाहर से लाकर पेट भरते थे। जब श्वेत क्रांति की तरह कृषि क्रांति भी हुई तो उत्पादन बढ़ गया।
मोदी ने कहा कि अब जरूरी है कि उत्पाद को बाजार कैसे मुहैया कराया जाए तथा उसमें मूल्यवर्धन यानी वैल्यू एडिशन कैसे किया जाए। सहजन के पत्ते के पाउडर बेच कर खासी कमाई करने वाले अपने एक पूर्व परिचित का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश में टमाटर का उत्पादन बहुत होता है और यह खराब भी जल्दी हो जाता है पर अगर इससे कैचप बना दिया जाए तो यह महीनों तक खराब नहीं होगा और दुनिया के बाजार में बिकने से किसान को फायदा होगा।
उन्होंने अमूल का उदाहरण देते हुए कहा जिस तरह से दूध की प्रोससिंग ने पशुपालन को ताकत दी और गुजरात जैसे पूर्व में दस में से सात साल तक अकाल झेलने वाले राज्य में किसानों को कमाई का वैकल्पिक जरिया दिया उसी तरह आने वाले दिनों में कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग को बल देना है।
मोदी ने इससे पहले सहकारिता क्षेत्र की भी सराहना की और कहा कि इसकी वजह से समाज पर आधारित समाजवाद और धन्नासेठों के लिए पूंजीवाद के अलावा अर्थव्यवस्था का एक तीसरा विकल्प भी मौजूद है।