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अंतरिक्ष संपदाओं के विनिर्माण का गढ़ बनेगा भारत : मोदी - Sabguru News
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अंतरिक्ष संपदाओं के विनिर्माण का गढ़ बनेगा भारत : मोदी

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अंतरिक्ष संपदाओं के विनिर्माण का गढ़ बनेगा भारत : मोदी
PM Modi hopeful about India becoming manufacturing hub of space assets soon
PM Modi hopeful about India becoming manufacturing hub of space assets soon

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी महत्वपूर्ण है और देश जल्द ही अंतरिक्ष संपदाओं के विनिर्माण का गढ़ बनेगा।

प्रधानमंत्री ने आज अंतरिक्ष क्षेत्र के प्रमुख उद्योगों, स्टार्टअप और शिक्षा क्षेत्र की अंतरिक्ष गतिविधियों में भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए उनके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया।

मोदी ने कहा कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार सिर्फ कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि परीक्षण सुविधाओं और लॉन्चपैड की उपलब्धता सहित हर चरण में प्रतिभागियों के लिए सहायता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक तंत्र लागू कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि इन सुधारों के माध्यम से, सिर्फ भारत को एक प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष बाजार बनाने का ही प्रयास नहीं किया गया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्ष कार्यक्रम का लाभ गरीब से गरीब व्यक्ति को भी हासिल हो। उन्होंने प्रतिभागियों से समाज और देश के हित के लिए निडर होकर सोचने और काम करने के लिए कहा।

प्रधानमंत्री ने संचार और नौपरिवहन में अंतरिक्ष क्षेत्र के महत्व पर बल देते हुए प्रतिभागियों को को भरोसा दिलाया कि वे अंतरिक्ष अनुसंधान के इस दौर में इसरो के साथ भागीदार के रूप में काम करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही देश अंतरिक्ष संपदाओं के विनिर्माण केन्द्र के रूप में सामने आएगा।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसी वर्ष जून में अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने और अंतरिक्ष गतिविधियों में भारत के निजी क्षेत्र की भागीदारी को सक्षम बनाने का ऐतिहासिक फैसला किया था। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन तथा प्रमाणीकरण केंद्र (इन-स्पेस) के निर्माण के साथ, सुधारों से निजी कंपनियों और स्टार्ट-अप्स के लिए समान अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।

इसके बाद, कई उपक्रमों ने अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत इन-स्पेस के पास प्रस्ताव जमा किए हैं। प्रस्तावों में सैटेलाइट कन्स्टेलेशन, छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान, ग्राउंड स्टेशन, भू-स्थानिक सेवाएं, प्रणोदन प्रणालियां और उपयोगी उत्पाद सहित व्यापक गतीविधियां शामिल हैं।

मोदी ने प्रतिभागियों से अभी तक के अपने अनुभव के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की संभावनाओं के विस्तार के फैसले से इस क्षेत्र में नई पीढ़ी की सार्वजनिक-निजी भागीदारी की शुरुआत हुई है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को इस दिशा में सरकार की तरफ से पूर्ण और दिल से समर्थन देने का भरोसा दिलाया।

उन्होंने कहा कि व्यावसायिकता और नीतियों में पारदर्शिता के साथ-साथ सरकार के फैसले लेने की प्रक्रिया अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ने वाली कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित होगी। कंपनियों की रॉकेट और उपग्रह बनाने की योजना पर विचार करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक बड़ा बदलाव है और इससे भविष्य में अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की स्थिति और मजबूत होगी।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में निजी निवेश से उच्च तकनीक कुशल लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिससे आईआईटी/एनआईटी और अन्य तकनीक संस्थानों की प्रतिभाओं को व्यापक अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा, उन्हें भरोसा है कि जिस तरह से भारतीय प्रतिभाएं विश्व स्तर पर सूचना एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं, वैसे ही अंतरिक्ष क्षेत्र में वे ऐसा करने में सक्षम हो जाएंगी।

अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो चेयरमैन डॉ. के सिवान ने प्रधानमंत्री को इन-स्पेस से स्वीकृति हासिल करने के लिए उद्योग से मिले विभिन्न प्रस्तावों और अंतरिक्ष विभाग से मिले समर्थन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष गतिविधियों के संचालन के लिए 25 से ज्यादा उद्योग पहले ही डीओएस से संपर्क कर चुके हैं।

संवाद के दौरान, प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री को सुधारों पर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराया।
उन्होंने निजी भागीदारी के लिए क्षेत्र को खोलने के कदम के लिए प्रधानमंत्री का आभार प्रकट किया, साथ ही कहा कि इससे भारत को अंतरिक्ष तकनीक में एक महाशक्ति बनने में सहायता मिलेगी। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान में एक सक्रिय भागीदार के रूप में काम करने के लिए संकल्प जाहिर किया।

उन्होंने परियोजनाओं के लिए इसरो द्वारा दी जा रही सहायता और मार्गदर्शन की सराहना की। साथ ही कहा कि इसरो के साथ निजी एजेंसियों की भागीदारी के परिणाम स्वरूप प्रति वर्ष न सिर्फ ज्यादा रॉकेट प्रक्षेपित किए जा सकेंगे, बल्कि इससे रॉकेट इंजनों के विकास में नई तकनीक विकास भी आकार लेंगे। उन्होंने बच्चों को इस क्षेत्र की तरफ आकर्षित करने को उनके लिए इसरो के केन्द्रों को खोले जाने का भी सुझाव दिया है।