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दो पटरियों पर आगे बढ़ रहा है इंफ्रास्ट्रक्चर का काम : मोदी - Sabguru News
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दो पटरियों पर आगे बढ़ रहा है इंफ्रास्ट्रक्चर का काम : मोदी

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दो पटरियों पर आगे बढ़ रहा है इंफ्रास्ट्रक्चर का काम : मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिमी समर्पित मालवहन गलियारा (डीएफसी) के 306 किलोमीटर लंबे न्यू रेवाड़ी-न्यू मदार सेक्शन को राष्ट्र को समर्पित किया और कहा कि डीएफसी देश के अलग-अलग शहरों के विकास का आधार बनेंगे।

मोदी ने आज एक वर्चुअल कार्यक्रम में न्यू रेवाड़ी-न्यू मदार सेक्शन पर देश की पहली डबल डेकर मालगाड़ी को भी हरी झंडी दिखाकर हरियाणा के न्यू अटेली से राजस्थान के न्यू किशनगढ़ के लिए रवाना किया जिसमें एक के ऊपर एक कंटेनरों को रखा गया था। इससे मालगाड़ी की मालवहन क्षमता दुगुनी हो गई है।

उन्होंने कहा कि आज देश में इंफ्रास्ट्रक्चर का काम दो पटरियों पर चल रहा है। एक से आम नागरिकों को व्यक्तिगत जीवन में लाभ हो रहा है तो दूसरी पटरी पर देश के उद्योगों के विकास का इंजन तेजी से आगे बढ़ रहा है।

मोदी ने कहा कि एक पटरी व्यक्ति के निजी जीवन में विकास को आगे बढ़ा रही है, दूसरी पटरी से देश के विकास इंजन को नई ऊर्जा मिल रही है। आज देश में सामान्य मानवी के लिए घर, टॉयलेट, पानी, बिजली, गैस, सड़क, इंटरनेट जैसी हर सुविधा को उपलब्ध कराने का अभियान चल रहा है।

पीएम आवास योजना, स्वच्छ भारत अभियान, सौभाग्य, उज्ज्वला, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना जैसी अनेक योजनाओं से करोड़ों भारतीयों का जीवन सरल और सहज हो रहा है। दूसरी पटरी का लाभ देश के विकास के इंजन यानी हमारे उद्यमी, हमारे उद्योगों को हो रहा है।

आज हाइवे, रेलवे, एयरवे, वॉटरवे की कनेक्टिविटी पूरे देश में पहुंचाई जा रही है, तेज़ी से पहुँचाई जा रही है। बंदरगाहों को, परिवहन के अलग-अलग माध्यमों को आपस में जोड़ा जा रहा है, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी पर फोकस किया जा रहा है।

न्यू रेवाड़ी-न्यू मदार खंड का 79 किलोमीटर हरियाणा के रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिलों में है जबकि शेष 227 किलोमीटर राजस्थान के अजमेर, सीकर, नागपुर और अलवर जिलों में है। इस खंड में नौ नए रेलवे स्टेशन हैं जिन्हें डीएफसी के लिए बनाया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने 29 दिसंबर को पूर्वी डीएफसी का 351 किलोमीटर लंबा न्यू भावपुर-न्यू खुर्जा खंड राष्ट्र को समर्पित किया था।

मोदी ने कहा कि आज का दिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, हरियाणा और राजस्थान के किसानों, उद्यमियों, व्यापारियों के लिए नयी उम्मीदें, नए अवसर लेकर आया है। डीएफसी सिर्फ आधुनिक मालगाड़ियों के लिए आधुनिक रूट भर ही नहीं हैं। ये देश के तेज़ विकास के कॉरिडोर भी हैं। ये कॉरिडोर, देश के अलग-अलग शहरों में विकास के नए केंद्र हैं जो विकास का आधार भी बनेंगे।

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, रेल मंत्री पीयूष गोयल, भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी और हरियाणा तथा राजस्थान के कई केंद्रीय मंत्री, सांसद एवं विधायक भी इस मौके पर मौजूद थे।

गहलोत ने केंद्र सरकार से राजस्थान के भिवाड़ी में भी डीएफसी का एक स्टेशन बनाने की माँग की। उन्होंने कहा कि डीएफसी से राजस्थान के किसानों, उद्यमियों और दूसरे लोगों को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने राजस्थान से जुड़ी रेलवे की लंबित परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की प्रधानमंत्री से अपील की। श्री मनोहर लाल ने हरियाणा से रेलवे से जुड़े कामों के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री ने डीएफसी परियोजना को 21वीं सदी में भारत के लिए बदलावकारी प्रगति की संज्ञा देने हुये कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों के कड़े परिश्रम के बाद आज इसका एक बड़ा हिस्सा हकीकत बन चुका है।

उन्होंने कहा कि पूर्वी डीएफसी के न्यू भाऊपुर-न्यू खुर्जा सेक्शन पर मालगाड़ियों की गति 90 किलोमीटर प्रति घंटा से ऊपर तक दर्ज की गई है जो मालगाड़ियों की पुराने औसत गति की तुलना में करीब-करीब तीन गुना ज्यादा है। भारत को पहले के मुकाबले विकास की यही गति चाहिए और देश को ऐसी ही प्रगति चाहिए।

डबल डेकर मालगाड़ी को उन्होंने बहुत बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि भारत इस सामर्थ्य वाले दुनिया के गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है। इसके लिए उन्होंने देश के इंजीनियरों, तकनीशियनों और श्रमिकों की तारीफ की और उन्हें बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वी डीएफसी ने यह दिखाना शुरू कर दिया है कि देश के अलग-अलग हिस्सों के सामर्थ्य को ये कैसे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि न्यू भाउपुर-न्यू खुर्जा सेक्शन पर एक तरफ पंजाब से हज़ारों टन अनाज की खेप लेकर गाड़ी निकली, वहीं दूसरी तरफ झारखंड से, मध्य प्रदेश के सिंगरौली से हज़ारों टन कोयला लेकर मालगाड़ी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, पंजाब और हरियाणा पहुंची।

यही काम पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर भी उत्तर प्रदेश, हरियाणा से लेकर राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में करेगा। हरियाणा और राजस्थान में खेती और उससे जुड़े व्यापार को तो आसान बनाएगा ही, साथ ही महेंद्रगढ़, जयपुर, अजमेर, सीकर जैसे अनेक जिलों में उद्योगों को नई ऊर्जा भी देगा।

इन राज्यों की विनिर्माण इकाइयों और उद्यमियों के लिए काफी कम लागत पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक तेजी से पहुंचने का मार्ग खुल गया है। गुजरात और महाराष्ट्र के बंदरगाहों तक तेज़ और सस्ती कनेक्टिविटी मिलने से इस क्षेत्र में निवेश की नयी संभावनाओं को बल मिलेगा।

बीते 10-12 दिन में किसानों के खाते में सीधे 18 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए जाने, दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड की शुरूआत, ड्राइवरलेस मेट्रो का आगाज, गुजरात के राजकोट में एम्स और ओडिशा के संबलपुर में आईआईम के स्थायी परिसर के काम की शुरुआत, राष्ट्रीय परमाणु टाइमस्केल और ‘भारतीय निर्देशक द्रव्य प्रणाली’ राष्ट्र को समर्पित किए जाने, देश की पहली राष्ट्रीय पर्यावरण मानक प्रयोगशाला के शिलान्यस, 100 किसान रेल, आदि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब नए साल में देश का आगाज अच्छा है, तो आने वाला समय और भी अच्छा होगा।

मोदी ने कहा कि 2021 की शुरुआत के माहौल में आरम्‍भ से ही भारत की यह तेजी, आत्मनिर्भरता के लिए यह गति, ये सारी बातें देख-सुनकर कौन हिन्‍दुस्‍तानी होगा, कौन मां भारती का लाल होगा, कौन भारत को प्रेम करने वाला व्‍यक्ति होगा, जिसका माथा गर्व से ऊंचा न हो।

उत्तर प्रदेश के दादरी से मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह के बीच 1,504 किलोमीटर लंबे पश्चिमी डीएफसी पर मालगाड़ियों के परिचालन शुरू होने से हरियाणा के रेवाड़ी, मानेसर, नारनौल, फुलेरा और राजस्‍थान के किशनगढ़ की औद्योगिक इकाइयों को काफी फायदा होगा। राजस्थान के काठूवास में स्‍थ‍ित कॉनकोर के कन्‍टेनर डिपो का भी बेहतर उपयोग हो सकेगा। इससे गुजरात में स्थित कान्‍डला, पिपावाव, मुंद्रा और दाहेज बंदरगाहों से सामान की ढुलाई भी आसान हो जाएगी।

जापान सरकार के आर्थिक सहयोग से बनाए जा रहे पश्चिमी डीएफसी में ओवरहेड विद्युत तारों की ऊंचाई अधिक रखी गई है जिससे दुमंजिले कंटेनरों की ढुलाई हो सके। इस ट्रैक पर डबल स्टेक कंटेनरों वाली लॉन्ग हॉल मालगाड़ियाँ 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से दौड़ेंगीं। इस गलियारे को भारतीय रेल की अनुसंधान इकाई ने डिजाइन किया है।

इस मालवहन गलियारे से उत्तर भारत में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टक हब तथा दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा जुड़ेंगे। इस साल के अंत रेवाड़ी से दादरी के बीच लाइन चालू हो जाएगी। इस प्रकार से कानपुर से गुजरात के बंदरगाह के बीच सीधे मालवहन कनेक्टिविटी स्थापित हो जाएगी।

पूर्वी और पश्चिमी डीएफसी का निर्माण जून 2022 तक पूरा होना है। पहले इसे दिसंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन कोविड-19 के दौरान काम बाधित होने से अब निर्माण की समय सीमा बढ़ा दी गई है। इस पर मालगाड़ियों की अधिकतम गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।

देश में अधिकतम 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मालगाड़ियाँ चल रही थी, लेकिन डीएफसी के दो सेक्शन के उद्घाटन के बाद से गाड़ियों की अधिकतम गति सीमा 90 किलोमीटर प्रति घंटे से ऊपर रह रही है। डीएफसी परियोजना पूरी होने के बाद मालगाड़ियों की औसत गति भी 26 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़कर 75 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाएगी।