मनाली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश में मनाली-लेह मार्ग पर निर्मित सामरिक रूप से महत्वपूर्ण और सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल रोहतांग सुरंग आज राष्ट्र को समर्पित की जिससे मनाली और लेह की बीच की दूरी लगभग 46 किलोमीटर कम होने के साथ ही आवागमन का समय भी 4-5 घंटे कम हो जाएगा।
मोदी ने लगभग दस बजे इस सुरंग का उद्घाटन किया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ, राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक ले. जनरल हरपाल सिंह, हिमाचल प्रदेश के अनेक सांसद, विधायक, केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, सुरंग की निर्माता निजी कम्पनी के अधिकारी तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने उद्घाटन के बाद सुरंग के उत्तरी छोर से निगम की एक बस को हरी झंडी दिखा कर इसमें करीब 15 बुजुर्गों को दक्षिण छोर की ओर भी रवाना किया। उन्हें इस मौके पर बीआरओर के महानिदेशक हरपाल सिंह ने इन्हें सुरंग की विशेषताओं, निर्माण तकनीक और इसके सामरिक महत्व की भी जानकारी दी।
मोदी लगभग नौ बजे हैलीकॉप्टर से यहां सासे हेलीपैड पहुंचें जहां रक्षा मंत्री राजनाथ, राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर समेत अन्य गणमान्यों ने उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री इससे पहले दिल्ली से चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचे जहां से वह हैलीकॉप्टर से मनाली के लिये रवाना हुये। मनाली पहुंचने के बाद वह सड़क मार्ग से उद्धाटन के लिए धुंधी में सुरंग के साउथ पोर्टल पहुंचे।
इससे पहले रक्षा मंत्री शुक्रवार को ही यहां पहुंच गए थे तथा उन्होंने, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ सुरंग का निरीक्षण तथा इसके साउथ और नॉर्थ पोर्टल का दौरा और उद्घाटन सम्बंधी तैयारियों का जायजा लिया।
सुरंग के निर्माण का फैसला तीन जून 2000 को लिया गया तथा वर्ष 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सुरंग के लिए सम्पर्क मार्ग का शिलान्यास किया था। वाजपेयी की सरकार जाने के बाद यह परियोजना लगभग हाशिये पर चली गई और वर्ष 2013-14 तक इसके 1300-1400 मीटर हिस्से पर ही काम हुआ। लेकिन वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार के केंद्र में आने पर परियोजना के काम में तेजी आई।
रोहतांग की पीर पंजाल की पहाड़ियों पर लगभग 9.02 किलोमीटर लम्बी घोड़े की नाल के आकार, अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित यह सुरंग मनाली-लेह मार्ग पर लगभग 10040 फुट की उंचाई पर है जिसके निर्माण पर लगभग 3200 करोड़ रूपए की लागत आई है। सुरंग का दक्षिण छोर मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तरी छोर लाहौल घाटी में तेलिंग सिस्सु गांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
इस सुरंग में हर 60 मीटर पर हाईड्रेंट, 150 मीटर पर टेलीफोन की सुविधा, हर 250 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे, हर 500 मीटर पर आपात निकास, हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता की जांच और प्रत्येक 2.2 किलोमीटर पर वाहन मोड़ने की व्यवस्था की गई है। इस सुरंग के दोनों छोरों पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किये गये हैं जहां से हर किसी गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा सकती है।
सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इस सुरंग से सेना और सैन्य साजोसामान आसानी से लेह
लद्दाख क्षेत्र में चीन से तथा कारगिल मेें पाकिस्तान से लगती सीमाओं तक पहुंचाए जा सकेंगे। विश्व में किसी राजमार्ग पर सबसे लम्बी इस सुरंग के निर्माण से मनाली और लेह के बीच की दूरी भी लगभग 46 किलोमीटर कम हो जाएगी तथा लगभग आवागमन का चार-पांच घंटे का समय भी बचेगा। इस सुरंग के माध्यम से मनाली और केलांग का रास्ता मात्र डेढ़ घंटे में तय किया जा सकेगा।
सर्दियों के मौसम में बर्फवारी के कारण राज्य का लाहौल स्पीति जिला और लेह घाटी हर वर्ष लगभग छह माह के लिये देश के शेष हिस्सों से कट जाती है लेकिन इस सुरंग के निर्माण से अब वाहनों का आवागमन पूरे वर्ष सुगमता से हो सकेगा साथ ही मनाली, लाहौल और लेह निवासियों की कठिनाईयां कम होंगी। सुरंग के बनने से लाहौल घाटी सहित चंबा की किलाड़ और पांगी घाटी में विकास की नई गाथा लिखी जाएगी।
लेह लद्दाख में बैठे देश के प्रहरियों तक रसद तथा रोहतांग दर्रे के उस तरफ के निवासियाें को वर्षभर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। सुरंग के बनने से मनाली लेह राजमार्ग पर पर्यटन और इससे जुड़ी ढांचागत गतिविधियां बढ़ेंगी जिनसे राेजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
इस क्षेत्र के बागवानों को अपनी उपज देश के अन्य हिस्सों में पहुंचाने में भी सुगमता होगी। सुरंग के निर्माण से देश और विदेश से अधिकाधिक संख्या में पर्यटक इस क्षेत्र की ओर उमड़ेंगे। मनाली आने वाला पर्यटक अवश्य ही इस सुरंग काे देखने और इसमें से गुजरने की इच्छा रखेगा।