नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार स्वास्थ्य सुविधाएं तथा कम कीमत पर चिकित्सा उपलब्ध कराने को लेकर प्रतिबद्ध है और देश में जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से सस्ती दवाएं उपलब्ध करा कर पिछले एक साल के दौरान लोगों के एक हजार करोड़ रुपए की बचत की गई है।
मोदी ने जन औषधि दिवस के अवसर पर वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जन औषधि केन्द्रों के संचालकों तथा लाभार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार गरीबों और मध्यम वर्ग को उत्तम स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है।
चिकित्सा खर्च को कम करने के लिए 850 से अधिक दवाओं के मूल्य नियंत्रित किए गए हैं तथा हुदय रोग और घुटना प्रत्यारोपण में लगने वाले उपकरणों को सस्ता किया गया है। इससे एक साल में लोगों की एक हजार करोड़ रुपए की बचत की गई है।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल के दौरान पांच हजार जन औषधि केन्द्रों की स्थापना की गई है जहां गुणवत्तापनूर्ण दवाएं बाजार से 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती मिलती है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार के दौरान इस योजना पर ध्यान नहीं दिया गया जिसके कारण वर्ष 2008 से 2014 के दौरान केवल 80 जन औषधि केन्द्र खुल सके। पिछली सरकार योजनाओं के साथ ‘टोकन एप्रोच’ रखती थी जबकि उनकी सरकार ‘टोटल एप्रोच’ रखती है। पिछली और उनकी सरकार में यह अंतर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीमारी से केवल एक व्यक्ति को कष्ट नहीं होता है बल्कि पूरा परिवार परेशान हो जाता है। गरीबों और मध्यम वर्ग को बीमारी सामाजिक-आर्थिक रुप से जकड़ लेती है और उन्हें मुसीबत का सामना करना पड़ता है।
मोदी ने कहा कि आजादी के 65 साल बाद तक देश में केवल सात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) खोले गए जबकि पिछले पांच साल के दौरान 15 एम्स बन गए हैं या बन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अधिक संख्या में पेशेवर चिकित्सक तैयार करने के लिए एमबीबीएस और चिकित्सा में स्नातकोत्तर की 31000 सीटें बढाई गई हैं।
इस अवसर पर उन्होंने जन औषधि केन्द्रों से नियमित रुप से दवा लेने वाले लोगों से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि जन औषधि केन्द्र न केवल रोजगार उपलब्ध कराते हैं बल्कि यह मानवता की सेवा भी है।