लखनऊ। जात-पात से विरत होकर मानवता के धर्म के पालन की सीख देने वाले महान संत कबीर दास के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष ने एक- दूसरे पर महापुरुषों के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
मोदी ने गुरुवार को कबीर की निर्वाण स्थली मगहर में 24 करोड़ रुपए की लागत वाली संत कबीर शोध अकादमी का शिलान्यास करने के बाद आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष विशेषकर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि महापुरुषों के नाम पर राजनीति की जा रही है। समाजवाद और बहुजन की बात करने वालों का सत्ता के प्रति लालच साफ दिखाई दे रहा है।
सत्ता का लालच ऐसा है कि आपातकाल लगाने वाले और उसका विरोध करने वाले एक साथ आ गए हैं। ये समाज नहीं, सिर्फ अपने और अपने परिवार का हित देखते हैं। कुछ दलों को शांति और विकास नहीं बल्कि कलह और अशांति चाहिए। उनको लगता है जितना असंतोष और अशांति का वातावरण बनाएंगे, उतना राजनीतिक लाभ होगा।
सपा और बसपा ने पलटवार करते हुये कहा कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कवायद में श्री मोदी महान संत के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं और वह महान संत के देश भर में फैले करोड़ों अनुयायियों को अपना वोट बैंक बनाने की जुगत में है, पर लाेग अब उनके झांसे में आने वाले नहीं हैं।
मोदी ने भोजपुरी भाषा में अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि इस पावन भूमि को प्रणाम करत बानी। यह हमारा सौभाग्य है कि आज हम यहां आइल बानी। मगहर आकर मन को विशेष संतोष मिला। मैंने उस गुफा को देखा जहां कबीर साधना किया करते थे। यहीं पर संत कबीर, गुरु नानक और गुरु गोरखनाथ ने आध्यत्मिक चर्चा की थी।
उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि सत्ता के लालच में ये लोग जमीन से कट चुके हैं। इन्हें अंदाजा नहीं कि संत कबीर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर को मानने वाले हमारे देश का स्वभाव क्या है। राजनीतिक फायदे के लिए कुछ दल देश में असंतोष और अशांति का वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
बसपा प्रमुख मायावती ने मोदी के भाषण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव नजदीक आते ही प्रधानमंत्री को सन्त कबीर की याद आ रही है। यह वोट बैंक की राजनीति नहीं ताे आैर क्या है। सन्त कबीर अपनी वाणी और कर्मों से अमर हैं। वे लोगों के दिलों में वास करते हैं। भाजपा को उनके नाम पर सस्ती लोकप्रियता वाली राजनीति करने से बाज आना चाहिए। जनता ऐसे स्वार्थ की राजनीति को ख़ूब अच्छी तरह से समझने लगी है और वह ज़्यादा धोखा खाने को तैयार नहीं लगती है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोदी के मगहर दौरे पर कटाक्ष करते हुए सपा-बसपा गठबंधन से घबराई भारतीय जनता पार्टी संत कबीर दास के देश भर में फैले करोड़ों अनुयायियों को अपना वोट बैंक बनाने की जुगत में है। यह दुःख और क्षोभ की बात है कि भाजपा अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए महापुरुषों का इस्तेमाल करने में भी संकोच नहीं कर रही है।
उन्हाेंने कहा कि भाजपा की राजनीति और नीति-कार्यक्रम सब सत्ता के इर्द-गिर्द घूमते हैं। वर्ष 2019 में केन्द्र में सत्ता की वापसी के लिए भाजपा-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कुछ भी करने को तैयार हैं। समाज को तोड़कर, जाति-धर्म का उन्माद पैदा कर और जनजीवन में आतंक फैलाकर भी सत्ता पाने में भाजपा-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को गुरेज नहीं है।