भुज। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने गृह राज्य गुजरात के कच्छ क्षेत्र के एक दिवसीय दौरे के दौरान विश्व के सबसे बड़े अल्ट्रा मेगा हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी पार्क (नवीकरणीय ऊर्जा पार्क) का शिलान्यास किया।
प्रधानमंत्री ने समुद्र के खारे पानी को पीने तथा अन्य उपयोग योग्य बनाने वाले चार डिसेलिनेशन प्लांट का भी कच्छ के धोरडो स्थित टेंट सिटी से ई शिलान्यास किया।
प्रधानमंत्री भुज हवाई अड्डे से सीधे धोरडो पहुंचें और कच्छ की सरहद पर स्थित बड़े रण में सौर एवं पवन ऊर्जा के दुनिया के सबसे बड़े 30 हजार मेगावाट क्षमता का हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी पार्क का वर्चुअल तरीके से भूमिपूजन किया।
लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपए के निवेश वाला यह संयंत्र 70 हज़ार हेक्टेयर से भी अधिक में फैला होगा और बहरीन और सिंगापुर जैसे देशों जितना बड़ा होगा। इससे एक लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा। मोदी ने इस मौक़े पर कहा की इससे प्रति वर्ष पांच करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन कम होगा जो नौ करोड़ पेड़ लगने के बराबर होगा। इस ग्रीन एनर्जी संयंत्र से बिजली का औसत ख़र्च कम करने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने समुद्र के खारे पानी को शुद्ध मीठे पानी में परिवर्तित करने वाले चार डिसेलिनेशन प्लांट का भी वर्चुअल तरीके से भूमिपूजन किया। ये कच्छ के मांडवी के गुंदियाली के अलावा सौराष्ट्र के गांधीवी-द्वारका, घोघा-भावनगर और सूत्रापाडा-सोमनाथ में स्थापित होंगे। इनकी क्षमता क्रमशः 10 करोड़ लीटर प्रतिदिन, 7 करोड़ लीटर, 7 करोड़ लीटर और 3 करोड़ लीटर प्रति दिन होगी। मांडवी का संयंत्र दो साल में पूरा होगा और इस पर 800 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
मोदी ने अमूल ब्राण्ड से जुड़ी कच्छ जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ लिमिटेड यानी सरहद डेयरी की ओर से अंजार और भचाऊ के बीच 129 करोड़ रुपए की लागत से आकार लेने वाले दो लाख लीटर क्षमता वाले दूध के चिलिंग प्लांट का भूमिपूजन भी किया। इसकी क्षमता बाद में बढ़ा कर चार लाख लीटर प्रतिदिन की जाएगी। धोरडो में प्रधानमंत्री ने कच्छ के किसानों और वहां खेती करने वाले पंजाबी मूल के किसानों और स्थानीय हस्तकला कारीगरों से भी मिले।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब राज्य सरकार की ओर से 8.37 करोड़ रुपए की सहायता से कच्छ जिले में वर्ष 2013-14 में दो लाख लीटर की प्रोसेसिंग क्षमता का पहला डेयरी प्लांट स्थापित किया गया था।
पहले इस प्लांट के कच्चे दूध को गांधीनगर स्थित अमूल डेयरी में भेजा जाता था और वहां से प्रोसेस के बाद उसे वापस कच्छ भेजा जाता था। अब, इस प्लांट के जरिए और दो लाख लीटर दूध तथा छाछ को प्रोसेस कर अमूल ब्रांड के तहत कच्छ में बेचा जाएगा।