ग्रेटर नोएडा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26/11 के मुबई आतंकवादी हमले का मुंहतोड़ जवाब नहीं देने के लिए तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंध सरकार की कड़ी आयोचना करते हुए शनिवार को कहा कि उस हमले का उसी समय माकूल जवाब दिया जाता तो ‘आतंकवाद का नासूर ’ इतना बड़ा नहीं होता।
मोदी ने यहां विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकापर्ण और शिलान्यास करने बाद एक सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि 26/11 के हमले के बाद सेना उसका बदला लेने के लिए पूरी तरह तैयार थी लेकिन दिल्ली से सुरक्षा बलों को इजाजत नहीं दी गई। उस समय देश को कुछ करने की जरुरत थी क्योंकि दुनिया के लोग उसके साथ थे।
उन्होंने कहा कि मुबई के बाद पुणे और वाराणसी में भी आतंकवादी हमले हुए। वर्ष 2011 में मुबई में फिर से आतंकी हमले किए गए और इसके बाद 2013 में हैदराबाद में इसी तरह के हमले हुए। इन हमलों के तार सीमा पार से जुड़े थे और इनमें सैकड़ो लोग मारे गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने इन हमलों के बाद भी आतंकवाद पर अपनी नीति नहीं बदली, सिर्फ गृह मंत्री बदले जाते थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘रिमोट केंट्रोल’ की सरकार के कारण पाकिस्तान की यह सोच बनी कि भारत पर हमले किए जाओ, कुछ नहीं होगा। अब हमारी सेना की ओर से पहले ‘सर्जिकल स्ट्राईक’ और फिर ‘एयर स्ट्राइक’ किए जाने से पाकिस्तान को लगने लगा है कि यह पहले वाला भारत नहीं है।