नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को स्वतंत्रता से ज्यादा स्वच्छता प्रिय होने का जिक्र करते हुए मंगलवार को कहा कि उनकी 150वीं जयंती पर उन्हें स्वच्छ तथा स्वस्थ भारत की कार्यांजलि देनी है।
मोदी ने यहां राष्ट्रपति भवन में ‘गांधी एट 150’ के नाम से बापू की 150वीं जयंती वर्ष की शुरुआत और ‘महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन’ के समापन के संयुक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बापू का सपना स्वच्छता से संकल्पित था। आजादी की लड़ाई के समय गांधी जी ने कहा था कि स्वच्छता और स्वतंत्रता में वह स्वच्छता को प्राथमिकता देंगे।
सवाल यह है कि महात्मा गांधी बार-बार स्वच्छता पर इतना जोर क्यों देते थे। सिर्फ इसलिए नहीं कि स्वच्छता से बीमारी नहीं होती, बल्कि इसलिए कि जब हम गंदगी को दूर नहीं करते तो अस्वच्छता हमें परिस्थितियों को स्वीकार करने की प्रवृति की ओर ले जाती है। अस्वच्छता चेतना को जकड़ देती है। बापू का स्वच्छता जनांदोलन जड़ता से चेतनता की ओर ले जाने का प्रयास था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह गांधी जी के विचारों के प्रभाव का ही परिणाम था कि चार पहले 15 अगस्त 2014 को लाल किले से उन्होंने 02 अक्टूबर 2019 को उनकी 150वीं जयंती तक देश को खुले में शौच से मुक्त करने का अभियान शुरू करने की घोषणा की थी।
उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मैंने उनके मार्ग पर चलते हुए ‘स्वच्छ भारत’ अभियान को जनांदोलन बना दिया है। महात्मा गांधी को 150वीं जयंती पर स्वच्छ और स्वस्थ भारत की कार्यांजलि देनी है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की मौजूदगी में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि स्वच्छता और साफ-सफाई भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा है।
भारत संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है और स्वच्छता के साथ ही पोषण पर भी जनांदोलन शुरू कर चुका है। उन्होंने गुटेरेस को आश्वस्त किया कि एसडीजी को हासिल करने में भारत की अग्रणी भूमिका होगी।
आज के दिन को संकल्प और संतोष का अवसर बताते हुए मोदी ने कहा कि स्वच्छता के क्षेत्र में जो परिणाम आए हैं वह और अधिक करने की प्रेरणा देते हैं। इस अभियान के लिए सरकारी दफ्तरों में बाबूगिरि नहीं सिर्फ गाँधीगिरि दिखी।
उन्होंने कहा कि चार साल पहले देश में स्वच्छता का स्तर 38 प्रतिशत था वह अब बढ़कर 94 प्रतिशत पर पहुंच चुका है। देश के पांच लाख से ज्यादा गांव और 25 राज्य खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। इन सबका परिणाम यह हुआ है कि वर्ष 2014 में जहां दुनिया भर में खुले में शौच करने वाले 60 प्रतिशत लोग भारत में थे अब उनकी संख्या घटकर मात्र 20 प्रतिशत रह गई है।
उन्होंने दावा किया कि इन चार वर्षों में सिर्फ शौचालय ही नहीं बने हैं, 90 प्रतिशत शौचालयों का नियमित इस्तेमाल भी हो रहा है। जो गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं वहां लोग फिर से पुराने तौर-तरीके न अपना लें इसके लिए उनकी आदत में बदलाव किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अभियान की घोषणा के समय कई लोगों ने कहा था कि इतना पैसा कहां से आएगा। सरकार ने पैसे से ज्यादा इस सामाजिक बदलाव को प्राथमिकता दी। स्वच्छ भारत अभियान के कारण गाँवों में बीमारियां कम हो गई हैं, इलाज पर लोगों का खर्च कम हो गया है। करोड़ों भारतवासियों ने इस अभियान को आशा का प्रतीक बना दिया है।
उन्होंने कहा कि चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन के बाद दिल्ली घोषणापत्र में चार ‘पी’ का मंत्र निकलकर सामने आया है। ये मंत्र हैं- पॉलिटिकल लीडरशिप (राजनीतिक नेतृत्व), पब्लिक फंडिंग (जन वित्त पोषण), पार्टनरशिप (सहभागिता) और पीपुल्स पार्टिशिपेशन (जनभागीदारी)।