आज रविवार यानी दीपावली का दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जवानों के साथ दीपावली मनाएंगे। अपने परंपरागत रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने आज देश की जनता को संबोधित करते हुए पहले तो दीपावली की शुभकामनाएं दी उसके बाद कई मुद्दों पर खुलकर बात भी की। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में सरदार पटेल और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी याद किया।
अयोध्या मसले पर आने वाले फैसले पर भी पीएम ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है। मोदी ने सरदार पटेल को याद करते हुए कहा भारत के पहले गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल ने, रियासतों को, एक करने का ऐतिहासिक काम किया। एक तरफ उनकी नजर हैदराबाद, जूनागढ़ और अन्य राज्यों पर केन्द्रित थी वहीं उनका ध्यान दक्षिण में लक्षद्वीप पर भी था। पीएम मोदी ने आगे कहा लक्षद्वीप कुछ द्वीपों का समूह है। 1947 में भारत विभाजन के तुरंत बाद हमारे पड़ोसी की नज़र लक्षद्वीप पर थी और उसने अपने झंडे के साथ जहाज भेजा था। सरदार पटेल ने बगैर समय गंवाए तुरंत, कठोर कार्यवाही शुरू कर दी थी।
पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को याद करते हुए कहा कि 31 अक्टूबर को श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी। देश को उस वक्त बड़ा सदमा लगा था। मैं आज उनको श्रद्धांजलि देता हूं।
अयोध्या विवाद को लेकर आने वाले फैसले पर पीएम ने संयम बरतने की अपील की
अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर अगले महीने आने वाले फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने ‘मन की बात’ में 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के दौरान देश में बने माहौल का जिक्र करते हुए कहा कि तब न्यायपालिका की गरिमा का सम्मान किया। पीएम मोदी ने कहा कि सभी वर्गों ने तनाव कम करने की कोशिश की। ये बातें हमेशा याद रखनी चाहिए, ये हमें बहुत ताकत देती है। मोदी ने कहा मुझे याद है कि सितंबर 2010 में जब राम-जन्मभूमि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया, जरा उन दिनों को याद कीजिए कैसा माहौल था। कितने लोग मैदान में आ गए थे।
उस परिस्थिति का अपने-अपने तरीकों से फायदा उठाने के लिए लोग खेल खेल रहे थे। माहौल में गर्माहट पैदा करने के लिए किस-किस प्रकार की भाषा जाती थी। कुछ बयानबाजों और बड़बोलों ने सिर्फ और सिर्फ खुद को चमकाने के इरादे से न जाने क्या-क्या बोल दिया था। कैसी-कैसी गैर जिम्मेवार बातें की थी। पीएम मोदी ने कहा, ”न्यायपालिका की गरिमा को सम्मान दिया गया और कहीं पर भी गर्माहट और तनाव का माहौल नहीं बनने दिया। मालूम हो कि साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों (सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान) में बांटने का आदेश दिया था। इसी फैसले के खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट में इसी मसले पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की। सर्वोच्च न्यायालय 15 नवंबर को अयोध्या मसले पर अपना फाइनल फैसला सुना सकती है।
शंभू नाथ, गौतम वरिष्ठ पत्रकार