वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में साढ़े चार साल में बदलाव करके दिखाने का दावा करते हुए आज कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार पर लगाम लगा कर करीब सात करोड़ फर्जी नागरिकों की पहचान करके करीब चार लाख 91 करोड़ रुपए बचा लिए।
मोदी ने यहां 15वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए यह खुलासा किया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविन्द्र जगन्नाथ उपस्थित थे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते साढ़े चार वर्षों में भारत ने दुनिया में अपना स्वभाविक स्थान पाने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। पहले लोग कहते थे कि भारत बदल नहीं सकता। हमने इस सोच को ही बदल दिया है। हमने बदलाव करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री की भ्रष्टाचार को लेकर कही एक बात सबको याद है। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार दिल्ली से जो पैसा भेजती है, उसका सिर्फ 15 प्रतिशत ही लोगों तक पहुंच पाता है।
मोदी ने कहा कि इतने वर्ष तक देश पर जिस पार्टी ने शासन किया, उसने देश को जो व्यवस्था दी थी, उस सच्चाई को उन्होंने स्वीकारा था। लेकिन अफसोस ये रहा कि बाद के अपने 10-15 साल के शासन में भी इस लूट को, इस लीकेज को बंद करने का प्रयास नहीं किया गया। देश का मध्यम वर्ग ईमानदारी से टैक्स देता रहा और 85 प्रतिशत की ये लूट भी चलती रही।
उन्होंने कहा कि हमने टेक्नोल़ॉजी का इस्तेमाल करके इस 85 प्रतिशत की लूट को 100 प्रतिशत खत्म कर दिया है। बीते साढ़े चार वर्षों में 5 लाख 78 हजार करोड़ रुपए यानि करीब-करीब 80 अरब डॉलर हमारी सरकार ने अलग-अलग योजनाओं के तहत सीधे लोगों के बैंक खाते में ट्रांसफर किए हैं। किसी को घर के लिए, किसी को पढ़ाई के लिए, किसी को स्कॉलरशिप के लिए, किसी को गैस सिलेंडर के लिए, किसी को अनाज के लिए, ये राशि दी गई है।
अगर देश पुराने तौर तरीकों से ही चल रहा होता, तो आज भी इस 5 लाख 78 हजार करोड़ रुपए में से 4 लाख 91 हजार करोड़ रुपए लीक हो रहे होते। अगर हम व्यवस्था में बदलाव नहीं लाए होते ये राशि उसी तरह लूट ली जाती, जैसे पहले लूटी जाती थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साढ़े चार साल में उनकी सरकार ने करीब सात करोड़ ऐसे फर्जी लोगों को पहचान कर उन्हें व्यवस्था से हटाया है जो कभी जन्मे ही नहीं थे। लेकिन ये सात करोड़ लोग सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे।
उन्होंने कहा कि पूरे ब्रिटेन में, पूरे फ्रांस में या पूरे इटली में जितने लोग हैं, ऐसे अनेक देशों की जनसंख्या से ज्यादा तो हमारे यहां वो लोग थे, जो सिर्फ कागजों में जी रहे थे और कागजों में ही सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे। इन सात करोड़ फर्जी लोगों को हटाने का काम हमारी सरकार ने किया है। ये उस बदलाव की एक झलक है, जो पिछले साढ़े चार वर्षों में देश में आना शुरू हुआ है। उन्होंंने कहा कि ये कार्य पहले भी हो सकता था, लेकिन नीयत नहीं थी, इच्छा-शक्ति नहीं थी।
मोदी ने कहा कि ये देश में बड़े पैमाने पर हो रहे परिवर्तन की, न्यू इंडिया के नए आत्मविश्वास की एक झांकी भर है। भारत के गौरवशाली अतीत को फिर स्थापित करने के लिए 130 करोड़ भारतवासियों के संकल्प का ये परिणाम है और इस संकल्प में प्रवासी भारतीय भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि आज भारत अनेक मामलों में दुनिया की अगुवाई करने की स्थिति में है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइसा) ऐसा ही एक मंच है। इसके माध्यम से हम दुनिया को ‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ की तरफ ले जाना चाहते हैं। ये हमारे उस लक्ष्य का भी हिस्सा है जिसके तहत हम भारत की समस्याओं के ऐसे समाधान तैयार कर रहे हैं, जिनसे दूसरे देशों की मुश्किलें भी हल हो सकें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास के सूत्र पर चलते हुए बीते साढ़े 4 वर्ष में भारत दुनिया की तेज़ी से बढ़ती आर्थिक शक्ति ताकत हैं तो खेलकूद में भी हम बड़ी शक्ति बनने की तरफ निकल पड़े हैं। आज ढांचागत विकास के बड़े और आधुनिक संसाधन बन रहे हैं तो अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी रिकॉर्ड बना रहे हैं।
आज हम दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्ट अप इको सिस्टम बनने की तरफ बढ़ रहे हैं तो दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम आयुष्मान भारत भी चला रहे हैं। आज हमारा युवा मेक इन इंडिया के तहत रिकॉर्ड स्तर पर मोबाइल फोन, कार, बस, ट्रक, ट्रेन बना रहा है, तो वहीं खेत में रिकॉर्ड अन्न उत्पादन भी हो रहा है।
उन्होंने कहा कि दुनिया आज भारत की बात और सुझावों को पूरी गंभीरता के साथ सुन भी रही है और समझ भी रही है। पर्यावरण की सुरक्षा और विश्व की प्रगति में भारत के योगदान को दुनिया स्वीकार कर रही है। संयुक्त राष्ट्र के सबसे बड़े पर्यावरण पुरस्कार चैम्पियन्स ऑफ दि अर्थ के साथ-साथ सोल शांति पुरस्कार का मिलना इसी का परिणाम है।