जयपुर। पत्रिका समाचार पत्र समूह द्वारा जवाहर लाल नेहरू मार्ग पर निर्मित गेटवे ऑफ राजस्थान (द पत्रिका गेट) के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरिए प्रस्तावित लोकार्पण का विरोध शुरू हो गया है। जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) ने मोदी को पत्र लिखकर उक्त कार्यक्रम में भागीदारी ना करने की अपील की है। मोदी 8 सितंबर को वीडियो कांन्फ्रेंस के जरिए जयपुर में पत्रिका गेट का लोकार्पण करने वाले हैं।
इस प्रतिष्ठित गेट का निर्माण पत्रिका समाचार पत्र समूह द्वारा जवाहर लाल नेहरू मार्ग पर किया गया है। राजस्थान पत्रिका के आधिकारिक प्रवक्ता ने आज बताया कि समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विशिष्ट अतिथि होंगे। इस अवसर पर मोदी राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी द्वारा रचित दो ग्रंथोें का भी विमोचन करेंगे।
पत्रिका गेट राजस्थान के सभी इलाकों के वास्तुशिल्प और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाले अनूठे स्मारक के रूप में बनकर तैयार हुआ है। पत्रिका समूह ने जयपुर विकास प्राधिकरण की ‘मिशन अनुपम’ योजना के तहत पत्रिका गेट का निर्माण कराया है।
जयपुर के व्यस्ततम जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर निर्मित इस गेट के जरिए समूचे राजस्थान की कला, शिल्प एवं सांस्कृतिक विरासत को एक ही जगह समेटने का प्रयास किया गया है। मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया एवं दिल्ली के इंडिया गेट की तरह ही ‘पत्रिका गेट’ जयपुर की शान बढ़ाने वाला होगा।
इसलिए हो रहा विरोध
इस बीच जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में आग्रह किया है कि वे राजस्थान पत्रिका के जयपुर में 8 सितम्बर को होने वाले लोकार्पण समारोह का आतिथ्य ना स्वीकारें। पत्र में जार के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि राजस्थान पत्रिका राज्य का प्रमुख समाचार पत्र है। पत्रिका समूह के मुखिया गुलाब कोठारी हैं और प्रबन्ध निदेशक उनके पुत्र नीहार कोठारी व सिद्धार्थ कोठारी हैं।
पत्रिका समूह ने जयपुर के प्रमुख स्थल जवाहर सर्किल पर गेटवे ऑफ राजस्थान के नाम से एक दरवाजा बनाने के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण से निजी भागीदारी योजना के तहत मंजूरी ली थी। यह गेट जवाहर सर्किल के एंट्री प्वाइंट पर बनना था ताकि एयरपोर्ट से आने और जाने वाले राजस्थानी शैली के बने दरवाजे होकर निकले, लेकिन पत्रिका समूह ने तय एमओयू व नियमों के विपरीत जाकर ना केवल जवाहर सर्किल गार्डन प्वाइंट पर सड़क व पार्क की जमीन पर विवादास्पद विशाल दरवाजे का निर्माण कर लिया। इसकी सरकार व सक्षम एजेन्सी से स्वीकृत नहीं ली साथ ही दरवाजे पर विज्ञापन प्रदर्शित करने और व्यायसायिक गतिविधियां संचालन का अधिकार भी प्राप्त कर लिया।
हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन
पत्र में बताया गया है कि पत्रिका समूह के इस गैर कानूनी कृत्य के खिलाफ शहर के एक जागरूक नागरिक गोपाल शर्मा ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका डीबी सिविल रिट संख्या 13250/2010 दायर की थी। याचिका आज भी राजस्थान हाईकोर्ट में लंबित चल रही है। याचिका के अनुसार पत्रिका को दरवाजा बनाने से पहले एमएनआईटी व टाऊन प्लानिंग से मंजूरी लेनी थी, लेकिन यह मंजूरी नहीं ली गई।
याचिकाकर्ता गोपाल शर्मा ने उक्त दरवाजे को नियम विरुद्ध व अवैध मानते हुए इसे गिराने की गुहार कर रखी है। हाईकोर्ट में पत्रिका समूह ने इस जगह का व्यावसायिक उपयोग नहीं करने की अंडरटेकिंग भी दे रखी हैं। यह दरवाजा सभी नियम और कानून की अवहेलना करके बनाया गया है। इसे तत्काल ध्वस्त किया जाना चाहिए। ऐसे विवादास्पद निर्माण का आप माननीय प्रधानमंत्री व माननीय मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पण करना उचित और गरिमा के अनुकूल नहीं होगा। बल्कि पत्रिका समूह इसका नाजायज फायदा शासन व कानून पर डालकर उठाएगा।
प्रधानमंत्री के आहवान को दिखाया ठेंगा
पत्र में जानकारी दी गई है कि कोविड़ महामारी के दौरान प्रधानमंत्री के किसी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकालने के आह्वान के बावजूद पत्रिका समूह के मुखिया गुलाब कोठारी व उनके पुत्रों ने अपना शोषण का रंग दिखाते हुए 23 मार्च को लॉकडाउन लगते ही मार्च महीने के वेतन में से मात्र पन्दह हजार रुपए पत्रकार व गैर पत्रकारों को तनख्वाह के दिए। तब से अब तक पत्रकारों व गैर पत्रकारों को वेतन आधा सा कर दिया है।
बडी संख्या में पत्रकारों को नौकरी से निकाला
करीब 750 से ज्यादा पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मियों को पत्रिका समूह निकाल चुकी है। अभी भी नौकरी से निकाला जा रहा है। यह तो तब स्थिति है, जब राज्य व केन्द्र सरकार के विज्ञापन बराबर समाचार पत्रों को मिल रहे हैं। मालिकों ने अपने समाचार पत्रों के पेज आधे कर दिए हैं, बल्कि मूल्य पुराना ही वसूल रहे हैं। प्रसार संख्या तो बताने लायक भी नहीं बची है। श्रम कानूनों का उल्लंघन करते हुए निकाले गए कर्मचारियों को पूरा वेतन व तय मुआवजा नहीं दिया जा रहा है।
मजीठिया आयोग की सिफारिशों का नहीं दिया लाभ
इतना ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित मजीठिया आयोग की सिफारिशों के अनुरूप वेतन भत्ते भी नहीं दिए है। मजीठिया वेजबोर्ड के सैकड़ों मुकदमे राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, दिल्ली व दूसरे राज्यों में चल रहे हैं। पत्रिका के पत्रकार और गैर पत्रकार आज भी लेबर कोर्ट, हाईकोर्ट में अपने कानूनी अधिकारों के लिए मुकदमें लड़ रहे हैं।
कोरोना महामारी में भी अपने ही कर्मचारियों का शोषण करके अपनी नीचता (शब्द नहीं है इस परिवार के लिए) को प्रदर्शित करने वाले पत्रिका समूह के मुखिया गुलाब कोठारी के लोकार्पण समारोह में आपकी उपस्थिति उचित नहीं है।
पत्र में कहा गया है कि गुलाब कोठारी व इनके पुत्रों को आप भी भलीभांति जानते हैं। जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब जयपुर के बिडला सभागार में आयोजित राजस्थान पत्रिका के समारोह में ही आपने गुलाब कोठारी व उनके प्रबंधन के कृत्यों को याद करते हुए जो खरी-खरी सुनाई थी, वो सैकड़ों पत्रकारों व कर्मियों को आज भी याद है। उम्मीद करते हैं कि आप भी नहीं भूलें होंगे।
राज्य की जागरुक जनता, संस्थाएं, राजनेता और नौकरशाही राजस्थान पत्रिका के कोठारी परिवार से भली भांति परिचित हैं। कोठरी परिवार ने पूरे राज्य में अपने नौकरों, कपड़े धोने वालों व चालकों एवं लीगल सेल के लोगों के नाम से अरबों रुपयों की अवैध बेनामी सम्पत्ति जुटा रखी है। अधिकांश बेनामी संपत्तियां कोठारी समूह के कुछ चुनिंदा लोगों के नाम से है ना कि राजस्थान पत्रिका प्राइवेट लिमिटेड या कोठारी परिवार के लोगों के नाम से।
यदि जांच करवाई जाए तो कोठारी परिवार की अवैध संपत्तियों का खुलासा हो सकता है। इस राष्ट्रहित के कार्य में हमारा संगठन व पत्रकार आपका सहयोग करने को तैयार हैं। आशा है कि आप इस संबंध में उचित निर्णय लेकर पत्रकार, प्रदेशवासियों और देश को अनुगामी संदेश देंगे।
राकेश कुमार शर्मा
प्रदेश अध्यक्ष, जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार)
एक्स चीफ रिपोर्टर राजस्थान पत्रिका जयपुर संस्करण व मजीठिया वेजबोर्ड पक्षकार