बासंवाड़ा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐतिहासिक स्थल मानगढ़ धाम के विकास के लिए चार राज्यों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्यपद्रेश को केन्द्र सरकार के साथ मिलकर काम करने की जरुरत बताते हुए कहा है कि मिलकर केन्द्र सरकार के नेतृत्व में इसे और नई ऊंचाई पर ले जाना है।
मोदी आज यहां मानगढ़ धाम की गौरवगाथा कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मानगढ़ भव्य विस्तार की प्रबल इच्छा हम सभी में हैं। मानगढ़ धाम के विकास के लिए केन्द्र सरकार और इन चार राज्यों को मिलकर काम करना होगा और केन्द्र सरकार के नेतृत्व में मानगढ़ धाम के विकास के आयाम स्थापित करने होंगे। उन्होंने इन चार राज्यों की सरकारों से आग्रह किया है कि वे इस दिशा में विस्तृत चर्चा करे और एक रोडमेप तैयार करे, ताकि गोविंद गुरु का स्थल भी पूरे विश्व में अपनी महचान बनाए।
उन्होंने कहा कि मैं विश्वास दिलाता हूं कि मानगढ धाम का विकास इस क्षेत्र को नई पीढी के लिए प्रेरणा का एक जागरुक स्थल बनायेगा, कई दिनों से हमारी चर्चा चल रही है, जितना जल्दी जितना ज्यादा क्षेत्र हम निर्धारित करेंगे तो फिर सब मिलकर केन्द्र सरकार के नेतृत्व में हम और इसका विस्तार कर सकते, इसे चाहे राष्ट्रीय स्मारक कह दो या अन्य नाम, नाम तो कोई दे देंगे लेकिन केन्द्र सरकार और इन चारों राज्यों की जनजाति समाज का इससे सीधा संबंध हैं।
उन्होंने कहा कि इन चार राज्यों एवं केन्द्र सरकार को मिलकर इसे और नई ऊंचाई पर ले जाना हैं और इस दिशा में केन्द्र सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम सब मानगढ़ धाम की धूणी से प्रेरणा लेकर निकले, यही मेरी प्रार्थना है।
मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से आदिवासियों के संघर्ष और बलिदान को आजादी के बाद लिखे गए इतहास में जो जगह मिलनी चाहिए वह नहीं मिली। आजादी अमृत महोत्सव में आज देश उस कमी को पूरा कर रहा है। उस दशकों पहले की भूल का सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का अतित, इतिहास, वर्तमान और भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता।
उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई के इतिहास का पन्ना आदिवासी वीरता से भरा पड़ा है और 1857 की क्रांति से पहले विदेशी हुकूमत के खिलाफ आदिवासी समाज ने स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल फूंका था। इसी तरह भगवान बिरसा मूंडा ने लाखों आदिवासियों में क्रांति की ज्वाला प्रज्जवलित की, हालांकि बहुत कम आयु में वे चले गए, उनकी ऊर्जा उनकी देश भक्ति और उनका हौंसला क्रांतियों का आधार बना। इसी धरती पर आदिवासी महाराणा प्रताप के साथ खड़े होकर उनकी ताकत बने।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सब आदिवासी समाज के योगदान के ऋणी है जिन्होंने भारत के चरित्र को संजोया, आज समय है देश इस योगदान के लिए आदिवासी समाज की सेवा कर उनका धन्यवाद करे। पन्द्रह नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर देश जनजातीय गौरव दिवस मनाएगा।
उन्होंने देश में आदिवासी विस्तार और भूमिका इतनी बड़ी है कि हमें उनके लिए समर्पित भाव से काम करने की जरुरत बताते हुए कहा कि विविधता से भरे आदिवासी समाज के लिए काम किया जा रहा है और उन्हें शिक्षा एवं रोजगार के अवसरों से जोड़ा जा रहा है। आदिवासी युवाओं को आधुनिक शिक्षा का अवसर देने के लिए एकलव्य विद्यालय खेाले जा रहे है।
उन्होंने कहा कि सोमवार शाम को ही अहमदाबाद से उदयपुर के लिए ब्राडगेज लाइन पर रेल को हरी झंडे दिखाने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि इससे आदिवासी क्षेत्र जुड़ जाएंगे वहीं इससे राजस्थान के पयर्टक को लाभ मिलेगा और राज्य का विकास होगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में पड़ रहे क्षेत्र में गोविंद गुरु ने अंतिम क्षण बिताए जहां क्षेत्र की सेवा करने का मौका मिला, पहले जब आते थे तो पूरा विरान क्षेत्र था, आज संतोष हुआ कि चारों तरफ हरियाली नजर आ रही है और क्षेत्र को हराभरा बना दिया गया है। इसके लिए उन्होंने यहां के लोगों का अभिनंदन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब विकास होगा, सड़के बनेगी, गोविद गुरु की शिक्षा का विस्तार भी हुआ है जो महान सेनानी एवं भारतीय परंपराओं एवं आदर्शों के प्रतीक थे। वह लाखों आदिवासियों के सेनायक थे, जिन्होंने अपने परिवार को खो दिया लेकिन हौसला नहीं खोया। गोविंद गुरु ने देश हर आदिवासी एवं कमजोर भारतवासी को अपना परिवार बनाया। उन्होंने शोषण के खिलाफ अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका, वह समाज सुधारक, आध्यात्मिक गुरु, संत एवं लोकनेता थे। उन्होंने कहा कि गोविंद गुरु के चिंतन आज भी उनकी धूणी के रुप में अखंड रुप से प्रज्जवलित हो रहा है। सम्प सभा के आदर्श आज भी एकजुटता, प्रेम, भाईचारा की प्रेरणा दे रहे हैं।
मोदी ने कहा कि वर्ष 1913 में जो नरसंहार हुआ वह अंग्रेजों की क्रूरता की प्रकाष्ठा थी और मानगढ़ की पहाड़ी पर 1500 आदिवासियों को घेर कर जघन्य हत्या करने का पाप किया गया। मोदी ने शुरु में कहा कि उन्हें खुशी है कि मानगढ़ की पवित्र धरती पर आकर उन्हें सिर झुकाने का अवसर मिला है।
मुख्यमंत्री के नाते अशोक गहलोत जी और हम साथ साथ काम करते रहे, गहलोत जी मुख्यमंत्री की जमात में सबसे वरिष्ठ थे अभी भी जो बैठे उनमें गहलोत वरिष्ठ मुख्यमंत्री हैं उनका कार्यक्रम में आना, आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हम सब के लिए प्रेरक एवं सुखद है। कार्यक्रम को गहलोत, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संबोधित किया।