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भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं : मोदी - Sabguru News
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भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं : मोदी

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भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं : मोदी

संयुक्त राष्ट्र। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत में कहा कि पूरी दुनिया का आतंकवाद के खिलाफ एकमत और एकजुट होना अनिवार्य है क्योंकि आतंकवाद के नाम पर विभाजित विश्व संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों को ठेस पहुंचा रहा है।

मोदी ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक अधिवेशन को संबोधित करते हुए विश्वशांति के लिए भारत के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उसने संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अभियानों में सर्वाधिक योगदान एवं बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं, शांति का संदेश दिया है। इसलिए हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी।

आतंकवाद को दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए उन्होंने कहा कि यह किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया और मानवता के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नाम पर बंटी दुनिया उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचा रही है जिनके आधार पर संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ है इसलिए मानवता की खातिर आतंकवाद के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत और एकजुट होना अनिवार्य है। भारत जिन विषयों को उठा रहा है, जिन नए वैश्विक मंचों के निर्माण के लिए वह आगे आया है, उसका आधार वैश्विक चुनौतियां हैं, वैश्विक विषय हैं और गंभीर समस्याओं के समाधान का सामूहिक प्रयास है।

मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के सुधारों और सुरक्षा परिषद के विस्तार की पैरवी करते हुए कहा कि 21वीं सदी की आधुनिक टेक्नोलॉजी, समाज, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सामूहिक परिवर्तन ला रही है। इन परिस्थितियों में एक बिखरी हुई दुनिया किसी के हित में नहीं है। ना ही हम सभी के पास अपनी-अपनी सीमाओं के भीतर सिमट जाने का विकल्प है। इस नये दौर में बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र को नयी शक्ति, नयी दिशा देनी ही होगी।

उन्होंने कहा कि सवा सौ साल पहले भारत के महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व धर्म संसद के दौरान विश्व को एक संदेश दिया था। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यही संदेश है- सदभावना एवं शांति।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में एकल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक को रोकने संबंधी एक विज्ञापन का उल्लेख करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र की इमारत की दीवार पर मैंने पढ़ा- नो मोर सिंगल यूज प्लास्टिक। मुझे सभा को ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आज जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं, उस वक्त हम पूरे भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए एक बड़ा अभियान चला रहे हैं।

उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में भारत के प्रयासों का उल्लेख किया और इससे हो रहे नुकसान के लिए विकसित देशों को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि अगर इतिहास और प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के नजरिये से देखें तो ग्लोबल वार्मिंग में भारत का योगदान बहुत ही कम रहा है। लेकिन इसके समाधान के लिए कदम उठाने वालों में भारत एक अग्रणी देश रहा है।उन्होंने कहा कि भारत ने वर्ष 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 450 गीगावाट करने का लक्ष्य रखा है। उसने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठजोड़ के गठन की पहल की।

मोदी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्राकृतिक आपदाएं अब पहले की तुलना में जल्दी-जल्दी आ रही हैं और उनकी भयावहता भी पहले से ज्यादा हो गई है। नई-नई तरह की प्राकृतिक आपदाएं भी सामने आ रही हैं। इन आपदाओं से नुकसान कम से कम हो इसके लिए जरूरी है कि हम ऐसे आधारभूत ढांचे तैयार करें जो इन आपदाओं में भी सुरक्षित रह सकें। उन्होंने ‘कोएलिशन फॉर डिजास्टर रिजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर’ से जुड़ने के लिए दुनिया के देशों का आह्वान किया।

मोदी ने भारत में सतत विकास लक्ष्यों के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब एक विकासशील देश, दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान सफलता पूर्वक संपन्न करता है, सिर्फ 5 साल में 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाकर अपने देशवासियों को देता है, तो उसके साथ बनी व्यवस्थाएं पूरी दुनिया को एक प्रेरक संदेश देती हैं।

जब एक विकासशील देश, दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम सफलतापूर्वक चलाता है, सिर्फ 5 साल में 37 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खोलता है, तो उसके साथ बनी व्यवस्थाएं, पूरी दुनिया के गरीबों में एक विश्वास पैदा करती हैं।

उन्होंने कहा कि एक विकासशील देश दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना सफलतापूर्वक चलाता है, 50 करोड़ लोगों को हर साल पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देता है, तो उसके साथ बनी संवेदनशील व्यवस्थाएं पूरी दुनिया को एक नया मार्ग दिखाती हैं।

जब एक विकासशील देश, अपने नागरिकों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पहचान कार्यक्रम चलाता है, उनको बायोमीट्रिक पहचान देता है, उनका हक पक्का करता है, भ्रष्टाचार को रोककर करीब 20 अरब डॉलर से ज्यादा बचाता है, तो उसके साथ बनी आधुनिक व्यवस्थाएं, पूरी दुनिया के लिए एक नई उम्मीद बनकर आती हैं।

उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में हम जल संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ ही 15 करोड़ घरों को पानी की आपूर्ति से जोड़ने वाले हैं। वर्ष 2022 में जब भारत स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा, तब तक हम गरीबों के लिए दो करोड़ और घरों का निर्माण करने वाले हैं।

विश्व ने भले ही तपेदिक से मुक्ति के लिए वर्ष 2030 तक का समय रखा हो, लेकिन हम 2025 तक भारत को तपेदिक मुक्त करने के लिए काम कर रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर ये सब हम कैसे कर पा रहे हैं, आखिर नए भारत में बदलाव तेजी से कैसे आ रहा है?

मोदी ने कहा कि हमारी प्रेरणा है- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास। हम 130 करोड़ भारतीयों को केंद्र में रखकर प्रयास कर रहे हैं लेकिन ये प्रयास जिन सपनों के लिए हो रहे हैं, वो सारे विश्व के हैं, हर देश के हैं, हर समाज के हैं। प्रयास हमारे हैं, परिणाम सारे संसार के लिए हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है, जिसकी अपनी जीवंत परंपराएं हैं, जो वैश्विक सपनों को अपने में समेटे हुए है। हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति, जीव में शिव देखती है।

तमिल कवि कणियन पूंगुन्ड्रनार की एक पंक्ति ‘यादुम् ऊरे, यावरुम् केड़िर।’ को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी स्थानों के लिए अपनेपन का भाव रखते हैं और सभी लोग हमारे अपने हैं। उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं से परे, अपनत्व की यही भावना, भारत भूमि की विशेषता है।

भारत ने बीते पांच वर्षों में, सदियों से चली आ रही विश्व बंधुत्व और विश्व कल्याण की उस महान परंपरा को मजबूत करने का काम किया है, जो संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का भी ध्येय रही है। भारत जिन विषयों को उठा रहा है, जिन नए वैश्विक मंचों के निर्माण के लिए भारत आगे आया है, उसका आधार वैश्विक चुनौतियां हैं, वैश्विक विषय हैं और गंभीर समस्याओं के समाधान का सामूहिक प्रयास है।