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नरेंद्र मोदी उज्जैन में श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद दिल्ली रवाना - Sabguru News
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नरेंद्र मोदी उज्जैन में श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद दिल्ली रवाना

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नरेंद्र मोदी उज्जैन में श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद दिल्ली रवाना

उज्जैन/इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को विश्व प्रसिद्ध उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर के भव्य कॉरिडोर ‘श्री महाकाल लोक’ के लोकार्पण के बाद इंदौर होते हुए देर रात वापस दिल्ली रवाना हो गए।

मोदी रात्रि में साढ़े नौ बजे के आसपास इंदौर विमानतल से विशेष विमान में सवार होकर दिल्ली रवाना हो गए। उनके साथ केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी रवाना हुए हैं। इसके पहले मोदी उज्जैन से हेलीकॉप्टर से यहां विमानतल पर पहुंचे। विमानतल पर मोदी को विधिवत विदाई दी गई।

मोदी लगभग पांच बजे विशेष विमान से गुजरात से इंदौर पहुंचे थे। इसके बाद वे हेलीकॉप्टर से उज्जैन रवाना हुए। उज्जैन में लगभग साढ़े तीन घंटे बिताने के बाद मोदी रात्रि में हेलीकाप्टर से इंदौर पहुंचे थे।

इसके पहले मोदी ने उज्जैन में विश्व के एकमात्र दक्षिणमुखी स्वयंभू शिवलिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर के भव्य कॉरिडोर ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया और महाकाल मंदिर के गर्भगृह में लगभग आधा घंटे रुककर विशेष पूजा-अर्चना की। मंदिर के चार पुजारियों ने मोदी को श्री महाकालेश्वर भगवान की विधिवत पूजा संपन्न करवाई।

मंत्रोच्चार और पूजा के मध्य में मोदी ने मंदिर में साधना भी की। इस दौरान उनके हाथ में माला और भगवान शिव को अतिप्रिय माने जाते बिल्वपत्र भी थे। मोदी लगभग 10 मिनट शिवलिंग के पीछे बैठकर ध्यान की मुद्रा में साधना में लीन रहे। इसके बाद उन्हें विशेष रक्षासूत्र बांधा गया। गर्भगृह से बाहर निकल कर मोदी ने महादेव के अतिप्रिय ‘नंदीश्वर भगवान’ के पास बैठकर ध्यान किया। उन्होंने नंदीश्वर भगवान के पास भी करीब पांच मिनट साधना की।

मंदिर परिसर में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके साथ उपस्थित रहे।

प्रधानमंत्री मोदी ने श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में बनाए गए आध्यात्म और तकनीकी के अदभुत संगम श्री महाकाल लोक परियोजना के पहले चरण का लोकार्पण किया। मोदी ने लगभग 900 मीटर लंबे भव्य श्री महाकाल लोक के प्रवेश द्वार ‘नंदी द्वार’ पर रक्षा सूत्र से बनाए गए शिवलिंग का रिमोट दबा कर लोकार्पण किया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मोदी परिसर में राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ कुछ देर टहले। इस दौरान मुख्यमंत्री चौहान उन्हें लगातार श्री महाकाल लोेक के बारे में जानकारी देते हुए दिखाई दिए।

पैदल चलते हुए मोदी श्री महाकाल लोक परिसर में बनाए गए त्रिपुरासर संहार के दृश्य, सप्तर्षि मंडल परिसर, नवग्रह परिसर और रूद्रसागर के समीप भी गए। हर स्थान पर प्रधानमंत्री विशेष रुचि लेकर यहां के विहंगम और नयनाभिराम दृश्यों का अवलोकन करते दिखाई दिए। इसके बाद मोदी परिसर की सैर के लिए इलेक्ट्रिक वाहन में सवार हुए। इसी वाहन के माध्यम से उन्होंने पूरे महाकाल लोक की सैर की।

श्री महाकाल लोक में शिवपुराण से जुड़ी बहुत सी कथाएं प्रदर्शित की गईं हैं, जिनके बारे में वहां लगे बार कोड के माध्यम से जानकारी ली जा सकती है। यहां 108 स्तंभ बनाए गए हैं, जिनमें शिव तांडव से जुड़ी जानकारी नक्काशी और भित्ति चित्रों के माध्यम से दी गई है। श्री महाकाल लोक बुधवार से श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद अपने संबोधन में श्री महाकाल को बारंबार प्रणाम करते हुए कहा कि सिंहस्थ के समय में उनके मन में जो विचार आए थे, आज उन्हें मूर्त रूप मिल गया है। उन्होंने कहा कि पिछले सिंहस्थ (वर्ष 2016) के समय वे उज्जैन आए थे। उसी दौरान क्षिप्रा नदी के तट पर उनके मन में लगातार मंथन का दौर चल रहा था। उसी मंथन में एक विचार इस कल्पना का भी आया था और उस समय का भाव आज श्री महाकाल लोक के रूप में चरितार्थ हो गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने श्री महाकालेश्वर और उज्जयिनी नगरी की महिमा बताते हुए कहा कि यहां 84 शिवलिंग, चार महावीर, छह विनायक, आठ भैरव, अष्ट मातृका, नवग्रह, 10 विष्णु, 11 रूद्र, 12 आदित्य, 24 देवियां और 88 तीर्थ हैं, जिनके केंद्र में राजाधिराज श्री महाकाल विराजमान हैं। उन्होंने कहा कि यहां सब कुछ अलौकिक, अविश्वसनीय और असाधारण है।

इसी क्रम में उन्होंने कहा कि वे मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार का अभिनंदन करते हैं, जिन्होंने लगातार समर्पण के साथ इस सेवा कार्य को पूरा किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उज्जैन ज्योतिषीय गणना का भी केंद्र रहा है। यहां श्रीकृष्ण ने भी शिक्षा प्राप्त की। उज्जैन के कण-कण में ईश्वरीय ऊर्जा और इतिहास सिमटा है। उन्होंने कहा कि श्री महाकालेश्वर मंदिर देश का एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है, जहां की भस्म आरती समूचे विश्व में प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि हर भक्त जीवन में एक बार भस्मारती के दर्शन करना चाहता है।