सबगुरू न्यूज़ | ब्लूमबर्ग ने दुनिया के ऐसे 16 नेताओं की पहचान की है, जो अपने महत्वपूर्ण कार्यों से वैश्विक मंच पर गुणात्मक असर डाल रहे हैं। ब्लूमबर्ग मीडिया समूह ने ऐसे ही नेताओं का आकलन किया है जो वैश्विक फलक पर 2020 के बाद भी घरेलू मोर्चे पर अजेय रहने के साथ महत्वपूर्ण वैश्विक मसलों पर अहम भूमिका निभाने के कारण असरकारी बने रह सकते हैं। दरअसल इन नेताओं के सत्ता में रहने की संभावित अवधि के आधार पर ही इनका चयन किया गया है। लिहाजा इन 16 नेताओं की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छठे स्थान पर काबिज हैं।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दोबारा राष्ट्रपति पद की शपथ लेने और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के चौथी बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय जगत में यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में कौन सा नेता कितने दिनों तक सत्ता में रहकर देश और दुनिया पर अपना प्रभाव डाल सकता है। वैसे तो दुनिया में आर्थिक और सैन्य आधार पर किसी मुल्क और उसके नेता की ताकत का अनुमान लगाया जाता है। निश्चित रूप से इस मामले में पहले नंबर पर अमेरिका और दूसरे नंबर पर तेजी से चीन अपना स्थान मजबूत करता जा रहा है।
नरेंद्र मोदी (67)
ब्लूमबर्ग मीडिया समूह के अनुसार नरेंद्र मोदी भारत के राजनीतिक क्षितिज पर पूरी तरह से छाए हुए हैं। हालांकि बड़े संरचनात्मक बदलाव के लिए राज्यसभा में उनके पास अपेक्षित बहुमत नहीं है लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद एक के बाद दूसरे राज्यों में लगातार जीतती जा रही है।
बीजेपी की जिताऊ चुनावी मशीनरी के सामने विपक्षी क्षेत्रीय क्षत्रप ढेर हो रहे हैं। विपक्ष में बिखराव, राज्यों में लगातार जीत और पीएम मोदी की अपार लोकप्रियता के कारण 2019 में उनका चुनाव जीतना निश्चित सरीखा लगता है। हालांकि मजबूत विपक्ष की कमी के कारण 2024 के बाद भी उनके सत्ता में बने रहने की भरपूर संभावना है।
मोहम्मद बिन सलमान (32)
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सुल्तान इस सूची में पहले स्थान पर काबिज हैं। हालांकि अभी क्राउन प्रिंस हैं लेकिन प्रभावी ढंग से शासन कर रहे हैं। पिता किंग सलमान ने अपना वारिस घोषित कर दिया है। तेल इकोनॉमी के बाद के दौर की संकल्पना पेश कर रहे हैं। सऊदी अरब को वहाबी इस्लाम की जगह प्रगतिशील मुस्लिम स्टेट बनाने का सपना देख रहे हैं। इस कड़ी में दोस्त कम दुश्मन अधिक बना रहे हैं लेकिन यदि स्वास्थ्य ने साथ दिया तो कम से कम 50 साल तक सत्ता में बने रह सकते हैं।
किम जोंग उन (33)
यदि तख्तापलट या अमेरिका के साथ युद्ध नहीं होता तो अगले कई दशकों तक उत्तर कोरिया की सत्ता में बने रह सकते हैं।
शी जिनपिंग (64)
हाल में राष्ट्रपति के अधिकतम दो बार चुने जाने की समयसीमा को चीन में खत्म कर दिया गया। लिहाजा अब उन पर बंदिश नहीं है और आजीवन राष्ट्रपति बने रह सकते हैं। हालांकि इस संबंध में अभी उन्होंने अपने मंसूबों को जाहिर नहीं किया है। पिछले दिनों दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली है। उनका दूसरा कार्यकाल 2023 में खत्म होगा। उसके बाद ही उनकी योजनाओं के बारे में पता चलेगा।
व्लादिमीर पुतिन (65)
18 साल से लगातार सत्ता में काबिज व्लादिमीर पुतिन को पिछले दिनों चौथे कार्यकाल के लिए चुन लिया गया है। इस तरह 2024 तक सत्ता में बने रहेंगे। इन वर्षों में पुतिन ने यह साबित किया है कि वह रूस के निर्विवाद नेता हैं और उनके खिलाफ रूस में वास्तव में कोई विपक्ष नहीं है। संवैधानिक बाध्यता के कारण उनको 2024 में सत्ता से हटना होगा लेकिन वह इस तरह की एक यथास्थितिवादी व्यवस्था बना सकते हैं जिसके तहत उनके सत्ता से हटने के बाद भी पुतिन का शासन रूस में कायम रहे।
रेसेप तैयप एर्दोगन (64)
ब्लूमबर्ग की सूची में पांचवें स्थान पर हैं। प्रधानमंत्री के बाद 2014 में तुर्की के पहले चुने हुए राष्ट्रपति बने। दो साल पहले इनके खिलाफ तख्तापलट की नाकाम कोशिश हुई। उसके बार विरोध को पूरी तरह से कुचल दिया गया। 2019 में भी जीतने की पूरी संभावना है। यदि संवैधानिक नियमों को बदलने में सफल रहे तो उसके बाद कम से कम एक दशक तक सत्ता में बने रहने की संभावना है।
अन्य नेता
इनके अलावा सूची में अयातुल्लाह अली खामनेई (ईरान), इमैनुएल मैक्रों (फ्रांस), निकोलस मादुरो (वेनेजुएला), डोनाल्ड ट्रंप (अमेरिका), बेंजामिन नेतन्याहू (इजरायल), एंजेला मार्केल (जर्मनी), शिंजो एबे (जापान), एंजेला मर्केल (जर्मनी), टेरीजा मे (ब्रिटेन) और मिकेल तेमिर (ब्राजील) का नाम शामिल है।
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