नई दिल्ली। एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के खिलाफ याचिकाकर्ता की आपत्तिजनक टिप्पणी से नाराज सुप्रीमकोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक घोटाले से संबंधित याचिका की सुनवाई नौ अप्रेल तक के लिए शुक्रवार को मुल्तवी कर दी।
केंद्र सरकार के सबसे बड़े विधि अधिकारी (एटर्नी जनरल) मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश एएम खानविलकर और न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष पीएनबी घोटाला मामले की अदालत की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग का विरोध किया।
वेणुगोपाल ने दलील दी कि पीएनबी धोखाधड़ी मामले की जांच जारी है और सरकार नहीं चाहती कि जांच शीर्ष अदालत की देखरेख में की जाए। एटर्नी जनरल ने पेशे से वकील विनीत ढांडा की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि क्या यह न्यायोचित है कि कोई व्यक्ति जनहित याचिका दायर करके यह कहे कि जांच की स्थिति के बारे में अदालत को अवगत कराया जाना चाहिए। अदालतों द्वारा समानांतर जांच नहीं की जा सकती।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सरकार जांच की स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में क्यों नहीं अदालत के समक्ष पेश करती है। वेणुगोपाल ने कहा कि अदालतें अब इस तरह के आदेश समय-समय पर जारी करती रही हैं, लेकिन इससे जांच एजेंसियों का मनोबल गिरता है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील जेपी ढांडा ने दावा किया कि इस जनहित याचिका में अदालत की निगरानी में जांच की मांग नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि शायद एटर्नी जनरल ने याचिका पढ़ी नहीं है। सीनियर ढांडा ने न्यायालय को एटर्नी जनरल से यह पूछने को कहा कि क्या वेणुगोपाल ने याचिका पढ़ी है। इस पर न्यायाधीश खानविलकर ने सीनियर ढांडा से पूछा कि आपने आखिर यह कैसे मान लिया कि एटर्नी जनरल ने आपकी याचिका नहीं पढ़ी है? जेपी ढांडा ने कहा कि अदालत खुद वेणुगोपाल से पूछ ले।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम एक वकील से भी यह नहीं पूछ सकते कि उसने याचिका का सारांश पढ़ा है या नहीं। हम एटर्नी जनरल से ऐसा कैसे पूछ सकते हैं? यह कैसी भाषा है? कृपया, अदालत की गरिमा बनाए रखें। आपको केवल यही कहना चाहिए था कि आपकी याचिका में ऐसी मांग नहीं की गई है।
न्यायाधीश खानविलकर ने भी कहा कि आपको जनहित याचिका दायर करने की अनुमति मिली है, इसका यह मतलब नहीं कि आप कुछ भी कह सकते हैं। इसके बाद न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए मामले की सुनवाई नौ अप्रेल के लिए मुल्तवी कर दी। न्यायालय ने कहा कि हम इसकी सुनवाई आज नहीं करेंगे। कोई व्यक्ति एटर्नी जनरल को यह नहीं कह सकता कि उन्होंने याचिका पढ़ी है या नहीं। इस तरह की दलीलें अस्वीकार्य हैं।
याचिकाकर्ता ने पीएनबी घोटाले के आरोपियों नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को दो माह के भीतर भारत वापस लाने के निर्देश देने का अनुरोध न्यायालय से किया है।