भावभीनी श्रद्धांजलि
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सुषमा स्वराज का निधन
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कल ही मैने गीत लिखा था,कैसे तुम्हें सुनाऊँ?
बिलखि रहा है हृदय हमारा,मैं रोऊँ या गाऊँ?
फॉरेन में कोई फँसता था ,उसे बचाया करती थी,
संकट में कोई भी हो,माँ-सा दुलराया करती थी,
जाति-धर्म से ऊपर उठकर,प्यार लुटाया करती थी,
कितना भी संकट हो तुम हरदम मुसकाया करती थी।
सिसक रहा था महाकाल भी,”मैं कैसे ले जाऊँ” ।
बिलख रहा है हृदय हमारा, अब रोऊँ या गाऊँ ?
माँ की ममता ऐसी थी,जैसे तू पन्ना धाई
गार्गी जैसी विदुषी थी तू,मन से लक्ष्मीबाई
अटल बिहारी जैसी पटुता,इंदिरा जैसी वाणी
कोटि-कोटि दिल तोड़,भला क्यों तुमने लिया विदाई?
फूट-फूट धरती रोवे, ‘यूँ’ सुता कहाँ मैं पाऊँ
बिलख रहा है हृदय हमारा, मैं रोऊँ या गाऊँ ?
पक्ष-विपक्ष सभी के दिल में,देखो सन्नाटा है,
जश्न मनाते भारतवासी के दिल पर चाँटा है,
मृदु बानी, मुसकान तुम्हारी हरदम तड़पाएगी,
बिना धार वाली चाकू से यम ने हिय काटा है,
हे भारत माता की लाडो,क्या कह तुझे बुलाऊँ?
बिलख रहा है हृदय हमारा,मैं रोऊँ या गाऊँ?
सुरेश मिश्र
तन की शमां किस घड़ी बुझ जाएगी किसको खबर
मौत कब करले आलिंगन
इंसान को करके ज़बर
व्यवहार ही तेरा तुझे पहचान ये दिलाएगा
ज़र्रा ज़र्रा होगा दुख में आँसुओं से तर ब तर
वक़्त का रुख कब बदल जाए ये हमको क्या पता
मांगें कब और आए कब ये मौत सब है बेखबर