जींद। नौकरी बहाली के लिए गत कई दिन से आंदोलनरत पीटीआई शिक्षकों पर उचाना में पुलिस ने आज बल का प्रयोग किया जो उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के कार्यक्रम में विरोध जताने पहुंचे थे।
पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए प्रदर्शनकारी पीटीआई शिक्षकों को खदेड़ दिया। शिक्षक उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के समक्ष अपना विरोध जताने पहुंचे थे लेकिन पुलिस ने उन तक पहुंचने से पहले ही उन्हें समारोह स्थल से हटा दिया। बाद में शिक्षकों ने ताली और थाली बजाकर विरोध प्रदर्शन किया।
दोपहर करीब 12 बजे चौटाला का जींद की उचाना मंडी में कार्यक्रम था। उनके पहुंचने से पहले ही बड़ी संख्या में पीटीआई शिक्षक वहां पहुंच गए। उनके कार्यक्रम स्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस भी तैनात थी। जब पीटीआई कार्यक्रम स्थल की दिशा में बढ़ने लगे तो पुलिस ने उनके साथ धक्का-मुक्की की और हल्का बल प्रयोग कर उन्हें उपमुख्यमंत्री के कार्यक्रम से कुछ दूरी पर बने मंडी के शेड के नीचे एकत्रित कर दिया जहां इन्होंने नारेबाजी के साथ तालियां और थालियां बजाकर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद चौटाला कार्यक्रम में आए तो वह सीधे पीटीआई शिक्षकों से मिलने पहुंचे। उन्होंने उनका ज्ञापन लिया। इसके बाद ही चौटाला अपने कार्यक्रम में पहुंचे।
उल्लेखनीय है कि इसी हफ्ते कैथल में भी पीटीआई शिक्षकों पर लाठीचार्ज हुआ था जहां इन्होंने शिक्षामंत्री कंवरपाल गुर्जर का घेराव किया था। इसके बाद पुलिस ने उन्हें उठाकर हटाया और लाठीचार्ज किया। इससे खफा होकर शिक्षकों ने अंबाला हिसार नेशनल हाईवे को जाम कर दिया था। इस दौरान कई महिला शिक्षक धूप और गर्मी की वजह से बेहाल हो गई और बेहोश हो गई। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रदेश के 1983 पीटीआई शिक्षक बर्खास्त किए जाने के विरोध में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
वर्ष 2010 में राज्य की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई शिक्षक भर्ती किए गए थे। भर्ती के बाद कुछ लोगों ने इसे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है। ऐसे में महज मौखिक परीक्षा के आधार पर नियुक्ति कर ली गई। आरोप लगा था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में बुरी तरह असफल रहे। उन्हें 30 में से 10 नम्बर भी नहीं आए।
इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया। इन सबके मद्देनजर न्यायालय ने पीटीआई भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी जिसके विरोध में शिक्षक उच्चतम न्यायालय चले गए। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को सही बताया था अर्थात भर्ती को रद्द कर दिया था।