देवरिया । उत्तर प्रदेश में देवरिया के तत्कालीन जिलाधिकारी के पत्र में स्पष्ट निर्देश के बावजूद पुलिस लापरवाही बरतते हुए तथाकथित संस्था में बालक-बालिकाओं को भेजती रही।
तत्कालीन जिलाधिकारी सुजीत कुमार के 19 सितम्बर 2017 के पत्र में सपष्ट निर्देश के बाद भी पुलिस बालक और बालिकाओं को मनमाने ढंग से कथित मां विन्ध्यवासिनी संस्थान में भेजती रही।
जिलाधिकारी के पत्र में कहा गया था कि स्वेच्छिक संगठन के नौ अगस्त 2017 के पत्र संख्या 9144-648 के क्रम में जिले के कुछ थानों द्वारा अवैध रूप से बच्चों को देने का प्रकरण प्रकाश में आया है,जो खेदजनक है और किशोर न्याय अधिनियम 2015 की विभिन्न धाराओं एवं नियमों का उल्लघंन है। उन्होंने कहा कि जिले में किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत न्यायपीठ बाल कल्याण समिति शहर के खरजरवा साकेत नगर में संचालित है। जिसे बच्चों के संरक्षण,पुर्नवासन का एक मात्र अधिकार प्राप्त है।
कुमार ने अपने पत्र में लिखा था कि स्वेच्छिक संगठन मां विन्ध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित बालगृह बालिका, बालगृह शिशु तथा विशेष दत्तक ग्रहण इकाई का संचालन किया जा रहा है। जिसे निदेशालय महिला कल्याण उत्तर प्रदेश लखनऊ के पत्र 17 जुलाई 2017 के अनुसार उक्त स्वेच्छिक संगठन की सीबीआई जांच के लिये चिन्हित होने के कारण इसकी संचालित इकाई की मान्यता स्थगित कर दी गई है। ऐसी स्थिति में उक्त संस्थान में रहने वाले बच्चों को दूसरे जिलों की संस्थाओं में भेजा जाये, लेकिन पुलिस लापरवाही से बालक बालिकाओं को गिरिजा त्रिपाठी की तथाकथित संस्था में भेजती रही।
सूत्रों के अनुसार इस गोरख धंधे में देवरिया में एक वेल्कम ग्रुप भी काम करता था, जिसमें शामिल लोग तरह तरह के रूप बनाकर सामाजिक सेवा के नाम पर अधिकारियों के यहां चक्र लगाते दिखते थे,लेकिन बालिका गृह कांड के बाद हो रही जांच के बाद इस वेल्कम ग्रुप के तथाकथित लोग अब कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।