विजय सिंह मौर्य
एक अनार सौ बीमार वाली हालत इन दिनों अजमेर विकास प्राधिकरण की चेयरमैनी हासिल करने के लिए भागदौड़ करने वालों की हो रखी है। एक के बाद एक दावेदारों की लंबी होती जा रही फेहरिस्त इस बात की गवाह है कि फाइनल नाम का ऐलान होने से पहले कहीं सिर फुटव्वल की नौबत ना आ जाए।
अब तक ‘मैं बड़ा नेता’ के दावे ठोकने के बाद अब जातिगत समीकरण की जुगाली करने लगे हैं। अजमेर के कई विज्ञप्तिबाज कांग्रेस नेता भी गुलाबी नगरी में डेरा डाले हुए हैं। अजमेर शहर में एक भी विधायक सीट कांग्रेस की झोली में डालने की हैसियत ना रखने वाले गांधीवादी, पायलट और जादूगर के चहेते एडीए चेयरमैन बनने का ख्वाब संजोए हुए हैं।
अब नई सुर्री मैं माली… मैं माली… की छोड़ी गई है। कहा जा रहा है चुनावी हार-जीत में बड़ा उलटफेर करने वाले माली समाज को बीजेपी ने वोट बैंक मानकर खूब उपकृत किया। सामान्य सीट की मेयर सीट को थाली में सजाकर माली समाज के सुपुर्द कर दिया था। लाल बिल्डिंग की मेयरी सीट से धर्मेन्द्र गहलोत के हटने के बाद माली समाज को फिलहाल देने के लिए बीजेपी के पास कुछ नहीं रहा।
उधर, कांग्रेस के सच्चे सिपाहियों को लगता है कि हींग लगे ना फिटकर की तर्ज पर एडीए की चेयरमैनी सौंपकर बीजेपी के माली वोट बैंक में सेंध लगाई जा सकती है, ऊपर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी अपने इस सुझाव से खुश किया जा सकता है क्योंकि गहलोत खुद माली समाज से हैं। लिहाजा कुछ कांग्रेसियों ने एडीए का सिंहासन माली समाज के किसी होनहार बिरवान को देने की पुपाड़ी बजाना शुरू कर दिया है।
इधर, इस पुपाड़ी की पीं-पीं ने लोरी का काम करना शुरू कर दिया है… कांग्रेसी माली सपने की दुनिया में पहुंच रहे हैं…एडीए चेयरमैन का चैम्बर नयाबाड़ा के हाथ लगेगा या गुलाबबाड़ी के…सपने में ही यह पहेली सुलझाने की कशमकश चल रही है।
ऐसे दावेदारों के साथ संकट यह है कि बायीं करवट सोते हैं तो खुद को भावी चेयरमैन पाते हैं और दायीं करवट बदलते हैं तो किसी सिंधी कांग्रेसी का चेहरा सामने आकर सपना तोड़ देता है।
अब देखना यह है कि एडीए का बगीचा कौनसा समाज सींचता है..!