इंफाल। मणिपुर उच्च न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से विधायकों की सदस्यता के सवाल पर गुरुवार को सुनाए जाने वाले फैसले पर रोक लगाते हुए इसे कल टालने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति के एच नोबिन सिंह ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि विस अध्यक्ष की ओर से आज जो आदेश सुरक्षित रखा गया है, वह कल तक नहीं सुनाया जाएगा।
बुधवार को एन बिरेन सिंह सरकार को गंभीर झटका देते हुए नौ विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके कारण शुक्रवार को होने वाले राज्य सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में सीधी टक्कर का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष वाई खेमचंद ने कांग्रेस के सात सदस्यों की विधानसभा सदस्यता के मामले पर आज ही फैसला सुनाने की घोषणा कर दी थी। पहले इसकी तारीख 22 जून तय की गई थी।
इन विधायकों के भाजपा में शामिल होने के कारण विधानसभा में प्रवेश करने से रोक लगी हुई है। खेमचंद ने इन विधायकों के भाग्य का फैसला 22 जून को करने की घोषणा की थी लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि इस मामले पर न्यायाधिकरण आज चर्चा करेगा लेकिन उच्च न्यायालय के निर्देश के कारण खेमचंद काे अपने आदेश पर आज रोक लगानी पड़ी। न्यायालय के आदेश के कारण इन सातों विधायकों के विधान सभा परिसर में प्रवेश पर पहले से ही रोक है।
इबोबी ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार आंतरिक तकरार और नौ विधायकों के समर्थन वापस ले लिए जाने के कारण अल्पमत में आ गयी है। सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को अध्यक्ष के समक्ष एक विशेष अनुरोध के साथ रखा गया है। प्रस्ताव पर बहस और विचार करने तथा उसे पारित करने के लिए जल्द से जल्द सदन का विशेष सत्र बुलाये जाने का राज्यपाल से आग्रह किया गया है।
उन्होंने राज्यपाल से मणिपुर विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करने का आग्रह किया। श्री सिंह ने कहा कि मणिपुर उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के सात विधायकों के सदन में प्रवेश करने पर रोक लगा दी है।
उन्होंने कहा कि एसपीएफ के पास 26 सदस्य हैं जिनमें कांग्रेस के 20, एनपीपी के चार, तृणमूल कांग्रेस के एक और एक निर्दलीय विधायक है जबकि भाजपा के समर्थन में अब 23 सदस्य ही रह गये हैं जिनमें 18 भाजपा, चार एनपीएफ और एक लोकजनशक्ति पार्टी के हैं।
गौरतलब है कि राज्य की भाजपा नीत गठबंधन सरकार से उसके नौ विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है जिसके बाद एन बीरेन सिंह की सरकार संकट में आ गयी है। भाजपा के तीन विधायकों ने पार्टी छोड़ने के साथ ही विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है।
पार्टी और विधायक पद से त्याग पत्र देने वाले भाजपा सदस्यों में सैमुअल जेंदाई (तमेंगलॉन्ग, विधानसभा सीट), टी.टी. हाओकिप (हेंगलेप, विधानसभा सीट) तथा कोईबम सुभाष चंद्र (नाओरिया प्रखंगलाक्पा (विधानसभा सीट) शामिल हैं। इन तीनों ने विधासभा अध्यक्ष वाई. खेमचंद को अपना त्याग पत्र सौंप दिया है।
राज्य के मंत्री एवं गठबंधन सरकार में सहयोगी पार्टी एनपीपी के चार सदस्यों ने भी बुधवार को इस्तीफा दे दिया था। मंत्री पद से इस्तीफा देने वालों में उप मुख्यमंत्री वीई. जॉय कुमार, युवा कल्याण एवं खेल मंत्री लेपापा हाओकिप, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री एल. जयंत कुमार और मत्स्य मंत्री एन. कायिसी शामिल हैं। इन लोगों मुख्यंंत्री सिंह को अपना इस्तीफा सौंपा। साथ ही तृणमूल विधायक टी. रोबिन्द्रो तथा निर्दलीय विधायक मोहम्मद अशबुद्दीन ने भी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।
कांग्रेस के पूर्व विधायक श्याम कुमार को भाजपा में शामिल होने के कारण अयोग्य ठहराये जाने के बाद 60 सदस्यों वाली विधानसभा में अभी 59 सदस्य हैं। वहीं कांग्रेस से सात सदस्यों को भाजपा में शामिल होने के कारण विधानसभा में इनके प्रवेश पर रोक लगी हुई है।
विधानसभा अध्यक्ष खेमाचंद ने इन विधायकों के भाग्य का फैसला 22 जून को करने की घोषणा की है, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि इन मामले पर न्यायाधिकरण आज चर्चा करेगा।
इबोबी ने कांग्रेस के सात सदस्यों को अयोग्य ठहराये जाने के बाद उत्पन्न स्थिति को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि उनके पास बहुमत है क्योंकि भाजपा के सिर्फ 18 सदस्य हैं और उसे पांच अन्य सदस्यों का समर्थन हासिल है। इस तरह से भाजपा के पास 23 सदस्यों को समर्थन है।
कांग्रेस के सात सदस्यों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद भी 26 सदस्य रहेंगे। राज्य में शुक्रवार को राज्यसभा का भी चुनाव होने वाला है। इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से टी. मंगीबाबबू तथा भाजपा की ओर से मणिपुर के पूर्व राजा महाराज लेइशेम्बा चुनाव मैदान में हैं।