जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस विधायकों द्वारा राजभवन पर दिए जा रहे धरने को अनैतिक बताते हुए केन्द्र सरकार से दखल देने की मांग की है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने आज यहां प्रदेश मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राजभवन पर धरना देने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने का आग्रह किया है।
पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं राज्य के गृह मंत्री भी है, उन्होंने सभी मर्यादा तोडते हुए राजभवन को घेरने की बात कही है। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्य सरकार की और से 21 दिन पूर्व का पत्र देना होता है। यह राज्यपाल का संवैधानिक अधिकार है कि इस संबंध में राज्यपाल अपने तरीके से काम करेंगे।
कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत स्वयं अपने ही जाल में फंसते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह पहले दिन से ही कह रहे हैं कि सरकार बचने के लिए एक मात्र तरीका है विधानसभा में बहुमत साबित करना लेकिन गहलोत अपने विधायकों की पिछले 12 दिनों से होटल मैं बाडाबंदी कर रखी है। उन्होंने कहा कि गहलोत विधायकों को लेकर राजभवन में धरना दिया है जो अनैतिक कार्य है।
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार को मजबूर होकर राज्य में धारा 356 का उपयोग करना पड सकता है जो राजस्थान के इतिहास में अब तक नहीं हुआ है।
इस अवसर पर विधानसभा में विपक्ष के उपनेता राजेन्द्रसिंह राठौड ने कहा कि राज्य में अब सरकार बचाने को कोई रास्ता कांग्रेस पास नहीं बचा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों को उकसाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज उच्च न्यायायलय के फैसले के बाद गहलोत को आशंका है कि बाडाबंदी समाप्त होते ही सभी विधायक बिखर जाएंगे।
‘सचिन पायलट बन सकते हैं मुख्यमंत्री’
प्रदेश में सियासी गहमागहमी के बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां का यह बयान कि यदि राजस्थान में परिस्थ्तियां बनती हैं तो सचिन पायलट भी सीएम बन सकते हैं खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। पायलट को राष्ट्रीय नेता बताते हुए पूनियां ने कहा कि कांग्रेस को भाजपा पर आरोप लगाने के बजाए अपना घर संभालना चाहिए। सचिन पायलट पिछले डेढ़ वर्ष से प्रदेश के उप मुख्यमंत्री थे, वह पिछले छह वर्ष से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी थे, उन्होंने कोई लक्ष्य रखकर ही इतना बड़ा कदम उठाया है, हालांकि अभी मामला अदालत में है, इसलिए इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, पहले उन्हें तय करना है कि उन्हें क्या कदम उठना है, उसके बाद ही हम अपना निर्णय करेंगे, लेकिन यह स्पष्ट है कि गहलोत सरकार गिरने की स्थिति में आ गई है।
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