नयी दिल्ली | पेट्रोल और डीजल की दिनों-दिन बढ़ रही कीमतों के बीच वैक्लपिक ईंधन के रूप में इथेनॉल के प्रयोग से न केवल प्रदूषण पर लगाम लगेगी, बल्कि वर्तमान में उपलब्ध ईंधनों से कम से कम 30 प्रतिशत सस्ता होने के कारण इससे आम उपभोक्ताओं को बड़ी राहत भी मिल सकती है।
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के इस दौर में ऊर्जा के क्षेत्र में इथेनॉल के प्रयोग पर जोरदार चर्चा चल रही है जो पर्यावरण के लिए वरदान हो सकता है। नीति आयेग के अनुसार, इथेनॉल का इस्तेमाल कर अगले पाँच-सात साल में डीजल की खपत में कम से कम 20 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है जिससे सालाना 26,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
हाईड्रोजन आधारित इस ईंधन को प्राकृतिक गैस, कोयला, बायोमास, शहरों के ठोस कचरे, कार्बन डाईऑक्साइड से बनाया जा सकता है। इथेनॉल के प्रयोग से परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है और यह डीजल का विकल्प बन सकता है। इसे रसाई गैस और पेट्रोल में मिलाकर उनकी कीमत भी कम की जा सकती है और विमानों के परिचालन में भी इसका उपयोग हो सकता है। चीन, इटली, स्वीडन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, जापान और कई यूरोपीय देशों में इथेनॉल का उपयोग किया जा रहा है। चीन में तो परिवहन क्षेत्र में 10 प्रतिशत इथेनॉल का उपयोग हो रहा है।