सबगुरु न्यूज-सिरोही। भाजपा आरोप लगाती है कि भानुमति का कुनबा जोड़कर चलाई जा रही गहलोत सरकार कमजोर निर्णय क्षमता वाली सरकार है। शायद इस हकीकत को परखकर अफसर सरकार तो सरकार मुख्यमंत्री की साख को भी ताक में रख दे रहे हैं।
इसकी बानगी सिरोही जिले की कांग्रेस नेतृत्व से विहीन पिंडवाड़ा-आबू विधानसभा के माउंट आबू में दिख जाती है। मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटित प्रोजेक्ट के ऊपर जिला कलेक्टर से लेकर उपखण्ड अधिकारी तक किस तरह से गम्भीर हैं इसका उदाहरण माउंट आबू की किचन गार्डन पार्किंग है। जिसके निर्माण की बात तो दूर निर्माण स्थल पर एक ईंट तक नहीं रखी गई है। जबकि इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री ने देश के कई राज्यों के पर्यटकों के सामने किया था।
– नौ महीने बाद भी ईंटे तक नहीं रखी
मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत ने 29 दिसम्बर 2021 को माउंट आबू में करीब 5 करोड़ रुपये की लागत से किचन गार्डन पार्किंग का वर्च्यूल शिलान्यास किया था। इसका टेंडर निकल चुका था। टेंडर के बाद बोर्ड के द्वारा इसके प्रस्ताव को भी पास कर दिया गया था। लेकिन, आज नौ महीने बीतने के बाद भी इसके निर्माण की शुरुआत तो क्या यहां पर एक ईंट तक नहीं रखी गई है।
ये अशोक गहलोत के विकासोन्मुखी होने का सन्देश पर्यटकों में माध्यम से दूसरे राज्यों तक पहुंचाने वाला महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था। जिसके माध्यम से राजस्थान में गहलोत सरकार के कथित वर्च्यूल विकास के धरातल पर आने की वास्तविकता पर्यटकों के माध्यम से दूसरे राज्यों और विशेषकर गुजरात में भी जाती, जहां के विधानसभा चुनाव के वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत खुद हैं।
सबसे खास बात ये कि इस प्रोजेक्ट का वर्च्यूल शिलान्यास मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शरद महोत्सव के उद्घाटन के साथ गुजरात से आये पर्यटकों के सामने की थी। इतना ही नहीं गुजरात और राजस्थान समेत अन्य राज्यों के पर्यटकों के सामने उन्होंने राजस्थान सरकार के पर्यटन विकास में महत्वपूर्ण काम करने की बात भी कही थी। इस विकास की रफ्तार के दावों की धरातल पोल किचन गार्डन पार्किंग खोलती है।
-उदघाटन में थे ये प्रमुख नेता फिर भी ये हाल
मुख्यमंत्री ने जब गत वर्ष किचन गार्डन पार्किंग का वर्च्यूल शिलान्यास किया था, उस समय जिले के कांग्रेस के राज्यसभा सांसद नीरज डांगी और लोकसभा में सांसद पद के प्रत्याशी रतन देवासी उपस्थित थे। इनके अलावा मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा भी थे।
सूत्रों की माने तो अधिकारी हटाने लगाने में जोधपुर के नेता पुत्र के अलावा नीरज डांगी और रतन देवासी का माउंट आबू में सक्रिय हस्तक्षेप रहा है। लोढ़ा का माउंट आबू के लोगों के अनुरोध पर आए मुद्दों में अलावा कभी सीधा हस्तक्षेप नहीं दिखा, जब विधानसभा में वहां की जनसमस्या उठाने का हस्तक्षेप किया तो उसका असर भी सामने आया। डांगी और देवासी के सक्रिय हस्तक्षेप के बावजूद माउंट आबू में मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटित प्रोजेक्ट की ये स्थिति शर्मनाक है।
इनके विपरीत लोढ़ा के हस्तक्षेप वाले सिरोही विधानसभा के प्रोजेक्ट्स बजट आवंटन और कार्य आरम्भ के लिहाज से ज्यादा रफ्तार से चल रहे हैं। सिरोही विधानसभा में सरकार और मुख्यमंत्री के घोषित प्रोजेक्ट्स को निहित स्वार्थ के लिए अटकाने वाले अधिकारियों को बिना देरी के एपीओ होने के उदाहरण भी सामने आए हैं।
इसके विपरीत माउंट आबू में दो आईएएस अधिकारी समेत 5 आयुक्त किचन गार्डन प्रोजेक्ट की ईंट तक नहीं डलवा पाए। सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि इस उद्घाटन में जिले के प्रभारी मंत्री महेंद्र चौधरी भी मौजूद थे लेकिन, उन्होंने भी सिरोही और माउंट आबू में अपने दौरों के दौरान इसके शुरू होने में आने वाली बाधाओं को दूर करने की कोई रुचि नहीं दिखाई। परिणामस्वरूप वाहनों की पार्किग आज भी पर्यटकों के लिये समस्या बनी हुई है।
– गहलोत सरकार काल का कोई विकास नगण्य
<span;>कलेक्टर की बात करें तो माउंट आबू डवलपमेंट का विजन सन्देश नायक के बाद किसी जिला कलेक्टर ने नहीं दिखाया। नक्की परिक्रमा पथ उन्हीं के कार्यकाल के दौरान निकला था। वो वसुंधरा शासन में थे। उपखण्ड अधिकारियों की बात करें तो रविन्द्र गोस्वामी के बाद के उपखण्ड अधिकारी विकास का विकास से ज्यादा स्थानीय राजनीति से निहित स्वार्थ साधते रहे। इन्होंने नो कंस्ट्रक्शन जोन में नेताओं के 5 सितारा होटल बनवाने के अलावा कोई योगदान नहीं दिया।
माउंट आबू में इस किचन गार्डन प्रोजेक्ट की प्रगति की जानकारी के लिए जिला कलेक्टर भंवरलाल, माउंट आबू उपखण्ड अधिकारी कनिष्क कटारिया को कई बार फोन लगाया लेकिन दोनों ही ने फोन नहीं उठाए। आयुक्त शिवपालसिंह भी फोन नहीं उठाने की पूर्व आयुक्त रामकिशोर की परंपरा का निर्वहन कर ही रहे हैं।
इनका कहना है…
किचन गार्डन पार्किंग का कार्य शुरू नहीं होने से पर्यटकों को पार्किंग के लिए मिलने वाली आंशिक राहत में देरी हो रही है। राज्य सरकार ने पैसा पास कर दिया बोर्ड ने प्रस्ताव पारित कर दिया, फिर न जाने स्थानीय स्तर पर क्यों देरी कर रहे हैं।
सुनील आचार्य
नेता प्रतिपक्ष, माउंट आबू।