रोम। ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरू पोप फ्रांसिस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत आने के निमंत्रण को विनम्रता पूर्वक स्वीकार कर लिया है हालांकि इसके लिए अभी कोई तारीख या समय तय नहीं हुआ है।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शनिवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पोप फ्रांसिस ने प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा दिये गये निमंत्रण को महानतम उपहार करार दिया और कहा कि आपने मुझे महानतम उपहार दिया है। मैं भारत की यात्रा करने के लिए उत्सुक हूं।
श्रृंगला ने कहा कि प्रधानमंत्री एवं पोप की मुलाकात ‘एक बहुत निजी मुलाकात’ थी जो बहुत ही गर्मजोशी एवं स्पष्टवादिता वाली थी। दोनों नेताओं ने अनेकानेक मुद्दों एवं विषयों पर बात की जिनमें कोविड महामारी में भारत ने कैसे स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना किया, जलवायु परिवर्तन तथा अनेक सामुदायिक सहायता कार्यक्रमों में उठाये गये अनूठे कदमों की जानकारी दी। यह भी बताया कि इराक, यमन, अफगानिस्तान सहित विश्व भर में परेशान लोगों को सुरक्षित निकाला।
उन्होंने बताया कि पोप ने प्रधानमंत्री को वेटिकन में बहुत से स्मृति चिह्नों के बारे में बताया। वेटिकन में सदियों पुरानी धार्मिक एवं यादगार वस्तुओं का बहुत समृद्ध संग्रह है।
यह पूछे जाने पर कि बातचीत में धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठा था, विदेश सचिव ने कहा कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई। ऐसे बाहरी मुद्दों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया। बातचीत पूरी तरह से गर्मजोशी से भरी एवं सौहार्द्रपूर्ण रही। उन्होंने बताया कि बैठक का तय समय 20 मिनट था लेकिन यह करीब एक घंटे तक चली।
यह पूछे जाने पर कि क्या पोप की यात्रा की कोई तारीख तय हुई है, विदेश सचिव ने कहा कि दोनों नेताओं ने तारीखों के बारे में बात नहीं की। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृपया अपनी सुविधा से यथाशीघ्र भारत आयें। तारीख कूटनीतिक माध्यमों से तय की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस यात्रा का महत्व हम सब जानते हैं। भारत के लिए पोप का आगमन और पोप के लिए भारत की यात्रा, दोनों ही पहलुओं से यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण यात्रा होने वाली है। पोप की आखिरी भारत यात्रा 1999 में हुई थी। तब पोप जॉन पॉल द्वितीय भारत गए थे।
श्रृंगला ने कहा कि पोप भारत की यात्रा के विचार से बहुत खुश हैं क्योंकि वह कभी भी भारत नहीं गए हैं, उनके मन में भारत को लेकर बहुत ही काेमल भावना है। तभी उन्होंने भारत आने के निमंत्रण को महानतम उपहार कहा है।
मोदी सबसे पहले पोप से एकांत में मिले और फिर प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में शामिल हुए जिसमें वेटिकन के विदेश मामलों के मंत्री कार्डिनल पीत्रो पैरोलिन और वेटिकन के विदेश संबंध मंत्री आर्कबिशप पॉल रिचर्ड गालागेर शामिल थे।