शिमला । हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जारी अटकलों पर उस समय विराम लग गया जब पंडित सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा ने विद्युत मंत्री के पद से अपना इस्तीफा आज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भेज दिया।
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता ने यहां बताया कि शर्मा ने अपना इस्तीफा मंडी में सीएम कार्यालय में सौंपा। उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजे त्यागपत्र में कहा है कि वह उनके तथा भाजपा नेताओं के बीच बढ़ती कडुवाहट तथा तनावपूर्ण स्थिति को समाप्त करना चाहते थे। पार्टी की ओर से बढ़ते दबाव के चलते मुख्यमंत्री द्वारा उनका इस्तीफा जल्द मंजूर किये जाने की संभावना है। ठाकुर ने कल कहा था कि शर्मा को अपनी स्थिति सार्वजनिक करनी चाहियेे। यदि वो अपने पुत्र आश्रय शर्मा के लिये प्रचार करते हैं तो उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ सकता है।
शर्मा ने इस्तीफा देने से पहले पार्टी से आग्रह किया कि उन्हें अन्य सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों के लिये प्रचार करने की अनुमति दी जाये। ज्ञातव्य है कि लोकसभा का बिगुल बजते ही पंंडित सुखराम ने अपने पोते आश्रय शर्मा के लिये मंडी सीट से टिकट दिये जाने की मांग शुरू कर दी। भाजपा की ओर से टिकट दिये जाने से इंकार करने पर सुखराम ने कांग्रेस से साठगांठ शुरू कर दी और एक दिन वे अपने पोते के साथ दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से मिले तथा उनके मंडी सीट कांग्रेस की झोली में डालने के आश्वासन के बाद आश्रय को कांग्रेस का टिकट तो मिल गया लेकिन राज्य की भाजपा सरकार में मंत्री अनिल शर्मा की मुश्किलें शुरू हो गयीं और आज उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कल कहा था कि अनिल शर्मा भाजपा के सदस्य होने के नाते अपना नैतिक दायित्व निभाएं तथा लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए कार्य करें। जीवन के अंतिम पड़ाव में पंडित सुखराम पौत्र मोह से ग्रस्ति होकर अपना, अपने पुत्र का और अपने पौत्र का राजनीतिक भविष्य संकट में डाल रहे हैं। सुखराम के लिए परिवार का हित सर्वाेपरि है।