अजमेर। अजमेर के पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में सौर उर्जा से किए जा रहे विद्युत उत्पादन से प्रबंधन को प्रतिमाह डेढ़ से दो लाख रूपए की बचत हो रही है।
काॅलेज के एसोसिएटेड प्रोफेसर सुशील बिस्सू ने बताया कि काॅलेज के विकास समिति के कोष से स्थापित किए गए एक सौ किलोवाट के इस सौलर उर्जा संयंत्र से प्रतिमाह 13000 यूनिट बिजली उत्पादित होती है।
उन्होंने बताया कि काॅलेज में हर माह लाखों रूपए के विद्युत खर्च को देखते हुए काॅलेज प्रशासन ने परिसर में अपना खुद का सौलर उर्जा संयत्र स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके तहत अक्टूबर 2016 में काॅलेज विकास समिति के कोष से साठ लाख रूपए व्यय कर एक सौ किलोवाट का सौलर उर्जा संयंत्र स्थापित किया गया। तीस एकड़ क्षेत्र में फैले इस महाविद्यालय में वर्तमान में इस सौलर संयत्र से कॉलेज के सभी तरह के पंखे, कूलर, एसी आदि चल रहे हैं।
बिस्सू ने बताया कि महाविद्यालय परिसर में लगे इस प्लांट से उत्पादित बिजली से प्रतिवर्ष 18 से 20 लाख की बचत होती है और सौलर प्लांट पर खर्च की गयी राशि से तुलना करें तो इसकी लागत आगामी दो वर्ष में पूरी तरह से वसूली हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में अभी भी प्रतिमाह 25 हजार रूपए तक का बिजली का बिल आता है जिसमें से 18000 रूपए तो केवल सरचार्ज के रूप में होते है। इसे देखते हुए प्रशासन की ओर से संयत्र की क्षमता बढाने पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि अतिरिक्त जरूरत के लिए लगाए जाने वाले संयत्र के लिए 20 लाख रूपए लगेंगे जो काॅलेज विकास समिति द्वारा ही वहन किया जायगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किए जा रहे है उसके बाद ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जायगा।
उन्होंने बताया कि अजमेर जिले के नसीराबाद में भी 25 किलोवाट का सौलर ऊर्जा संयंत्र लगा हुआ है इसके अलावा राजस्थान के अलवर, सिरोही सहित लगभग एक दर्जन राजकीय माहविद्यालयों में विद्युत उत्पादन के लिए ऐसे संयंत्र लगे हुए हैं।