अजमेर। गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में रविवार शाम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय तथा आईजीएनसीए एवं डॉक्टर हेडगेवार स्मृति सेवा प्रन्यास के तत्वावधान में जवाहर रंगमंच पर प्रबुद्ध जन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य भारतीय सिख संगत के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरुचरण सिंह गिल ने उद्बोधन में बताया कि गुरु नानक देव जी ने आध्यात्मिक लोकतंत्र से विश्व कल्याण के विचार को प्रमुखता दी थी। उन्होंने नानक देव जी के जीवन से संबंधित विभिन्न घटनाओं का जिक्र करते हुए वर्तमान समय में उनके जीवन दर्शन की प्रासंगिकता की व्याख्या की। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन काल में चार यात्राएं कीं, जिन्हें उदासियां कहा जाता है। ये चारों उदासियां सामाजिक समरसता का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
गिल ने बताया कि गुरु नानक देव जी ने समाज को संदेश देने के लिए संवाद का रास्ता अपना तथा गुरमत संगीत के माध्यम से रखी। गुरु नानक ने मानवता के सूत्रों में पुरुषार्थ करना, बैठकर खाना और नाम जपने का अहम माना। गुरु नानक देव जी के आध्यात्मिक जीवन से संबंधित खंडों का जिक्र करते हुए गिल ने बताया कि धर्म खंड में प्रकृति के नियमों के अनुसार चलना है, ज्ञान खंड में परमात्मा की रचना के बारे में जानना तथा अहंकार से दूर होना है, कर्म खंड में भक्ति की ओर अग्रसर होना है तथा सचखंड में जीवन में मोक्ष प्राप्त करना।
यही गुरु नानक देव जी का विचार है जो वर्तमान समय में मानव कल्याण का मंत्र है। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव जी ने समाज सुधार के लिए हमेशा संवाद का मार्ग अपनाया। गुरु नानक देव जी के बताए हुए चिंतन को अपनाकर वर्तमान समय की सभी सामाजिक समस्याओं का निदान किया जा सकता है। उनके बताए मार्ग पर चलकर मानव कल्याण संभव है।
इस अवसर पर विशेष अतिथि अजीत सिंह नारंग, कर्मवीर सिंह ने भी विचार प्रस्तुत किए इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष शिक्षाविद प्रोफेसर पुरुषोत्तम परांजपे ने भी गुरु नानक देव जी के जीवन दर्शन पर अपने विचार रखे। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधि डॉक्टर सब्र उल हक तथा भावना ने अतिथियों तथा प्रबुद्ध जनों का धन्यवाद ज्ञापित किया।