भीलवाड़ा। वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में अनेक प्रकार के व्यक्तित्व अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करके विशेष पहचान बना रहे हैं। ऐसी पहचान राजस्थान भर में अनेक क्षेत्रों में बनी है। जैविक कृषि के क्षेत्र में झालावाड़ के पद्मश्री हुकम चंद पाटीदार ने कृषि क्षेत्र में विशेष प्रयोग किए हैं, सेवा के क्षेत्र में भरतपुर के डॉक्टर भारद्वाज ने मनोरोगी मानवता की सेवा करते हुए 5000 लोगों के लिए अपना घर निर्माण किया है। भीलवाड़ा भी इसी दिशा में आगे बढ़ा है। भारत की स्थिति विश्व का नेतृत्व करने वाली बनती जा रही है।
यह बात राष्ट्र संघ के अखिल भारतीय ग्राम विकास संयोजक दिनेश कुमार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भीलवाड़ा महानगर की ओर से आयोजित प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि इंग्लैंड में भारत मूल के लोगों के निवास स्थानों पर अपराध शून्यता आई है। विश्व के अनेक देशों ने भारत के लोगों को वीजा देने में लचीलापन किया है।आर्थिक योगदान में 24% भारत के मूल लोगों का रहा है। परिवार व्यवस्था विश्व के लिए भारत ने दी है। केवल परिवार के लिए धन उपार्जन नहीं करके अपने ग्राम नगर और देश के लिए धन उपार्जन करना, भामाशाह शब्द मेवाड़ द्वारा की देन है। परिवार के वृद्धजनों की सेवा करना विश्व के अन्य देशों से अलग भारत देश में है। मंच पर अंतरराष्ट्रीय नृत्यांगना ने अपने क्षेत्र में विशेष प्रयोग हम सब के लिए प्रेरणास्पद हैं।
संपूर्ण विश्व भारत से शिक्षा ग्रहण करता है। स्वतंत्र भारत में हमने पाश्चात्य करण का अनुसरण किया है परंतु वर्तमान परिस्थितियां बदलती नजर आ रही है। पूरे विश्व में योग को सराहा गया है और उसका अनुकरण किया है। रामायण महाभारत जैसे सीरियल के माध्यम से टेलीविजन को नया जीवन मिला है। उत्तराखंड की थारू बुक्सा जनजाति ने बाराराणा में राणा प्रताप की प्रतिमा बनाई और लोगों को देश भक्ति जागरण का कार्य किया है। राजस्थान के प्रबुद्धजनों ने अनेक क्षेत्रों में राजस्थान को गति प्रदान की है।
हमारे सामने लिंगानुपात एक चुनौती के रूप में है वस्तुतः नारीत्व का उत्कृष्ट रूप ही हम सब के लिए पूज्य है। वर्तमान में सर्वाधिक कम लिंगानुपात गुड़गांव में प्रति 100 पुरुषों पर 83 महिलाएं हैं कारण जीवन मूल्यों की शिक्षा में घटता क्रम है। परंतु ऐसे क्षेत्र जिसमें सामान्य साक्षरता है उन क्षेत्रों में जीवन मूल्यों की शिक्षा के कारण से वहां का लिंगानुपात बढा है। राष्ट्रपति रहे एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत को रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ाया है। हम जानें भारत को बेहतर इस स्लोगन के साथ महार रेजिमेंट, गोरखा रेजीमेंट, राजपूत रेजीमेंट ने भारत की सेना का मान विश्व में बढ़ाया है।
संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख ने युवाओं को ग्रामीण भारत की रचना को गांव के माध्यम से चित्रकूट उत्तर प्रदेश में साकार किया है। वर्तमान समय में सब प्रबुद्धजनों को माता बहनों का सम्मान स्वदेशी का आचरण और व्यवहार और हमारे प्राचीन भारत की ख्याति को आगे बढ़ाने का प्रयास करना है। भारत को भारत मानना राष्ट्र को प्रथम स्थान पर रखना देशभक्ति प्रथम इसी सूक्ति के माध्यम से हम आगे बढ़ सकते हैं। विश्व इस्कॉन के माध्यम से कृष्ण को मानते हैं। साम्यवाद पूंजीवाद समापन की ओर नजर आते हैं। 51 सौ वर्ष पूर्व महाभारत का काल हमें गौरवान्वित करता है।
मैक्स मूलर द्वारा अंग्रेजी शासनकाल में भारत की न्याय व्यवस्था हिंदी व्यवस्था को विशेषता करके उसका अनुसरण करने का प्रयास किया है। परंतु हम अंधानुकरण की दौड़ दौड़ में इन सब को पीछे छोड़ दिया है। सर्व सामान्य व्यक्ति धर्म की जय करता है। विश्व का कल्याण करता है। इसलिए एकमात्र भारत ही विश्व को दिशा दे सकता है। परिवार के जीवन मूल्यों को विश्व में आगे बढ़ाया जा सकता है।
वर्तमान में वंशावली लेखन का कार्य अत्यंत आवश्यक है। हम अपने पूर्वजों को पहचाने और उनकी ख्याति के आधार पर आगे बढ़े। भारत का भविष्य अत्यंत उज्जवल नजर आता है। भारत के पड़ोसी राष्ट्रों का जन्म हुआ है। हमारे संस्कृति में जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। भगिनी निवेदिता ने कहा है कि आने वाले समय में विश्व का नेतृत्व भारत कर रहा है। इसलिए हम भी जो काम कर रहे हैं उसे अच्छा करें और उसको उत्तम से उत्तम बनाने का प्रयत्न करें और सब कार्य के बाद में भारत माता की जय करें।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रमा पचीसिया ने कहा की भारत धर्म प्रधान देश है और नृत्य में साक्षात ईश्वर निवास करता है। कथा कहे जो कत्थक हैं। भगवान को समर्पित किए जाने वाला नृत्य हैं। कत्थक ने गुरु शिष्य परंपरा को जीवंत किया है। मुगल काल में आक्रमणों के दौरान नृत्य परंपरा विकसित हुई है। शास्त्रीय संगीत की उज्जवल परंपरा ही इसकी संवाहक है। नारीत्व को उज्जवल करना बेटियां दो परिवार की संवाहक है। कथक नृत्य को आरंभ करते समय भूमि को प्रणाम कर क्षमा मांगने का पवित्र भाव है।
कथक नृत्य में घुंघरू की पूजा होती है, पूजा के स्थान पर घुंघरू को रखा जाता है। ताल और लय के कारण जीवन चलता है। आवर्तन में समय की कीमत को पहचाना जाता है। वर्तमान समय में मोबाइल का सदुपयोग कर हम आगे बढ़ सकते हैं। माता पिता को अपनी संतानों के शिक्षा के साथ संस्कारों की विशेष चिंता की जानी चाहिए।उन्होंने इस अवसर पर अपने गुरुदेव को स्मरण किया।
कार्यक्रम में अपने क्षेत्रों में विशेष कार्य करने वाले विष्णु सांगाबत गौ माता के संरक्षण के क्षेत्र में, गोपाल विजयवर्गीय रक्तदान में विशेष कार्य करने के लिए, गौ भक्त किशोर लखवानी द्वारा परावर्तन के क्षेत्र में घर वापसी के किए गए, कार्य कृषि महाविद्यालय के उपकुलपति के रूप में रहते हुए जैविक कृषि को उन्नत करने के क्षेत्र में एवं मधुबाला यादव शिक्षा के क्षेत्र में स्काउटिंग शिक्षा के क्षेत्र में और संस्कारित शिक्षा के क्षेत्र में विशेष कार्य करने पर उनको सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में महानगर संघचालक कैलाश खोईवाल ने आभार प्रदर्शन किया। मंच पर चांदमल सोमानी विभाग संघचालक भीलवाड़ा उपस्थित रहे।