नई दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता एवं पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल से करोड़ों रुपये के हुए उड्डयन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को आठ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की।
पटेल ईडी के दिल्ली स्थित कार्यालय में सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर पहुंचे तथा धन शोधन निवारण कानून के तहत अपने बयान दर्ज कराए।
संघीय एजेंसी ने उन्हें एयरलाइंस सीट आवंटन घोटाले से संबंधित एक मामले में समन किया था। जांच एजेंसी ने अगस्त 2017 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एनएसीआईएल एवं एयर इंडिया के अधिकारियों तथा अज्ञात निजी लोगों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से दर्ज एफआईआर के आधार पर अपनी जांच शुरू की थी।
पटेल को गुरुवार को जांच एजेंसी में तलब किया गया था, लेकिन उन्होंने अपने वकील के माध्यम से इस मामले पेशी के लिए और समय मांगा था।
ईडी ने पहले आरोप लगाया था कि गिरफ्तार किए गए एविएशन लॉबिस्ट दीपक तलवार प्रफुल पटेल के साथ नियमित संपर्क में थे। दीपक विदेशी निजी एयरलाइंस के पक्ष में बातचीत करने के लिए बिचौलिए के रूप में काम कर रहा था जिससे राष्ट्रीय कंपनी एयर इंडिया को नुकसान हुआ था।
छानबीन और गिरफ्तारी से बचने के लिए दीपक तलवार देश छोड़कर भाग गया था। हालांकि, उसे इस साल 31 जनवरी को दुबई के आव्रजन प्राधिकरण की ओर से प्रत्यर्पित कर दिया गया था और बाद में ईडी ने दीपक को गिरफ्तार कर लिया था।
एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि पटेल को दीपक तलवार की ओर से किए गए खुलासे और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज इस मामले में जांच एजेंसी द्वारा एकत्र किए गए सबूतों का सामना करना है।
अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने पटेल की भूमिका को संदेह के दायरे में लाने वाले महत्वपूर्ण ईमेल भी बरामद किए हैं।
अधिकारियों ने कहा कि अब तक की जांच में पता चला है कि दीपक पटेल और अन्य राजनेताओं के साथ-साथ नागरिक उड्डयन मंत्रालय तथा अन्य संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ मिलकर अमीरात, एयर अरबिया और कतर के विमान कंपनियों के लिए अनुचित लाभ हासिल करने में लगा था।
वर्ष 2008-09 के दौरान एयर इंडिया की कीमत पर दीपक इन एयरलाइन कंपनियों के लिए अनुकूल यातायात अधिकारों को सुरक्षित करने में सफल रहा था। ईडी की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि अनुकूल यातायात अधिकार हासिल करने के एवज में विदेशी एयरलाइंस कंपनियों ने 2008-09 के दौरान दीपक तलवार को 272 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया था।