नई दिल्ली। देश में आठवीं कक्षा तक के छात्रों को योग्यता के आधार पर उत्तीर्ण करने और ‘नो डिटेशन नीति’ वापस लेने से संबंधित ‘निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधयेक 2019’ पर आज संसद की मुहर लग गई।
राज्यसभा ने लगभग एक घंटे की चर्चा के बाद वामदलों के वाकआउट के बीच इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। लाेकसभा इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी है। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि आठवीं कक्षा तक के छात्रों को भी परीक्षा में याेग्यता के आधार उत्तीर्ण किया जाएगा। अभी तक की ‘नो डिटेशन नीति’ के अनुसार आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अनुत्तीर्ण नहीं किया जा सकता है।
चर्चा का जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि नए कानून में किसी को विद्यालय से बाहर करने का प्रावधान नहीं है बल्कि इससे बच्चों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तथा बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में शिक्षा के बजट में 40 प्रतिशत की वृद्धि की गई है और यह 82 हजार करोड़ से बढकर एक लाख 15 हजार करोड़ रुपए हो गया है। उन्होंने कहा कि इसे और बढाने की जरुरत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नए प्रावधानों में राज्य को अधिक अधिकार दिए गए हैं।