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सहिष्णुता हमारी सबसे बड़ी पहचान : प्रणव मुखर्जी
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सहिष्णुता हमारी सबसे बड़ी पहचान : प्रणव मुखर्जी

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सहिष्णुता हमारी सबसे बड़ी पहचान : प्रणव मुखर्जी
Pranab Mukherjee RSS speech: 'Intolerance will dilute India's identity'
Pranab Mukherjee RSS speech: ‘Intolerance will dilute India’s identity’

नागपुर। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सहिष्णुता, एकता तथा विविधता को भारत की सबसे बड़ी पहचान बताते हुए आज कहा कि हमें ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जहां लोगों के भीतर डर नहीं हों और सब एकजुट होकर देश की तरक्की के लिए काम करें।

मुखर्जी ने महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय में संघ शिक्षा वर्ग के वार्षिक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे संविधान ने सभी को समान अधिकार दिए हैं और हमारी प्राचीन तथा गौरवशाली संस्कृति ने भी हमें एक सूत्र में बंधे रहने की शिक्षा दी है।

महात्मा गांधी ने अहिंसा को सबसे बडा हथियार बनाया और कहा कि था कि राष्ट्रवाद आक्रामक नहीं होना चाहिए। आधुनिक भारत के निर्माता पंडित नेहरू ने भी सबको मिलकर साथ रहने और आगे बढने की शिक्षा दी है।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के राष्ट्रवाद में वैश्विकता की भावना है। हमने दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र दिया है। हमारे राष्ट्रवाद में पूरी दुनिया के सुख की कामना की गयी है। भारत हमेशा एक खुली सोच का समाज रहा है और इसका प्रमाण हमारे धर्मग्रंथ और हमारी संस्कृति में है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि 5000 साल से कोई हमारी एकता को नहीं तोड पाया।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारत पूरी दुनिया को एक परिवार मानता है और वह पूरे विश्व में सुख-शांति चाहता है। सहिष्णुता देश की शक्ति है और हम विविधता का सम्मान करते हैं। राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान होती है और राष्ट्र के लिए समर्पण ही देशभक्ति है।

मुखर्जी ने कहा कि भारत 1800 साल तक शिक्षा का केन्द्र रहा और यहां की विश्वविद्यालय परम्परा काफी प्राचीन है। विदेशी शासन के बावजूद संस्कृत सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि भारत में राष्ट्र की परिभाषा यूरोप से अलग है।

मुखर्जी ने कहा कि देश में लोगों का गुस्सा बढ रहा है लेकिन बातचीत से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है। भारत दुनिया में तेजी से उभरता अर्थ व्यवस्था है और देश को सम्पन्न बनाने में सभी लोगों का योगदान है। इसके बावजूद आज लोगों में गुस्सा बढ रहा है और हर दिन हिंसा की खबरें आ रही है।

विचारों की समानता के लिए संवाद को जरुरी बताते हुए उन्होंने कहा कि विविधताओं के बावजूद संविधान एक है। राष्ट्रवाद जाति, धर्म और भाषा से उुपर है और भारत एक धर्म या भाषा का देश नहीं है। देश में 122 से अधिक भाषाएं बोली जाती है। राष्ट्रवाद किसी बंधन में नहीं बंधा है और हर धर्म को मिलाकर राष्ट्र बना है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी से मिलकर देश बनता है।

इससे पूर्व संघ प्रमुख चालक मोहन भागवत ने कहा कि मुखर्जी के इस कार्यक्रम में भाग लेने को लेकर चर्चा नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ बड़े कार्यक्रमों के लिए विशिष्ट लोगों को आमंत्रित करता है और जो लाेग सहमति देते हैं विह आते है। उन्होंने कहा कि देश में मतभिन्नता के बावजूद सभी लोग एक हैं। इस देश में जन्मा हर व्यक्ति भारतीय है और संगठित समाज ही देश बदल सकता है।

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