भारत के नीति और वित्तीय वातावरण में कई बड़े परिवर्तन हो रहे हैं। उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरण उद्योग को भी कई प्रकार की कठिन चुनौतिओं का सामना करना पड़ रहा है। भारत में पारम्परिक रूप से घर के टिकाऊ उत्पादों में निवेश कम रहा है।
वर्तमान आंकड़ों के गोदरेज बजट अनुसार निवेश स्तर रेफ्रिजरेटर के लिए 30% (चीन में 92%), स्मार्ट फोन के लिए 23% (चीन में 70%), वॉशिंग मशीन के लिए 13% (चीन में 88%), इसके बाद एसी में 8% (चीन में 87%) और माइक्रोवेव ओवन में 4% (चीन में 54%) है, यह सभी टेलीविजन की तुलना में बहुत कम हैं (भारत में 65%, जबकि चीन में 95%)। हालांकि कम निवेश वृद्धि का अवसर दर्शाता है लेकिन निवेश में बढ़ोतरी की धीमी गति का श्रेणी के लिए मांग के स्तर पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
इस वर्ष उद्योग में काफी हद तक स्थिरता रही है लेकिन सीमा शुल्क में वृद्धि, वैश्विक स्तर पर हो रहे आर्थिक परिवर्तन और परिणामस्वरूप मुद्रा और सामग्री मूल्यों में उतार-चढ़ाव को मद्देनजर रखते हुए अगले साल के लिए मांग के स्तर का अनुमान लगाना मुश्किल है।
हाल ही में भारत ने विश्व बैंक के कारोबार सूचकांक में 23 अंक ऊपर बढ़त हासिल करते हुए आसानी से 77 वा स्थान पाया जो एक अच्छा संकेत है। यह बात है जो अन्य अर्थव्यवस्थाओं की अपेक्षा समस्त रूप से स्थिर अर्थव्यवस्था के साथ बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा में भी आनेवाले नए खिलाड़िओं को प्रोत्साहन प्रदान करती रहेगी। कई ब्रांड्स के लिए आज ऑनलाइन चैनल यह बाजार में प्रवेश का आसान जरिया है।
कई विनियामक परिवर्तन भी हुए हैं। हम जीएसटी, ऊर्जा व्यवस्था, एसी पर तापमान सेटिंग के बारे में निर्देश, क्यूसीओ का कार्यान्वयन, प्लास्टिक प्रतिबंध और अन्य पर्यावरणीय नियमों का स्वागत करते हैं क्योंकि ये देश के हित में हैं। परन्तु विनियमों का निवेश, संचालन और कभी-कभी कीमतों पर भी प्रभाव पड़ता है।
शुरुआत में, बड़े उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक्स उच्चतम जीएसटी टैक्स स्लैब में थे। पिछले साल जुलाई में जीएसटी में किए गए सुधार के बाद, कई उत्पादों के लिए कर दरों में कमी की गई थी, लेकिन एयर कंडीशनर और बड़े स्क्रीन वाले टेलीविज़न के लिए अभी भी 28% के उच्चतम कर स्लैब जारी है।
टैक्स स्लैब को 18% तक कम करने से एयर कंडीशनर (स्प्लिट और विंडो) और टेलीविज़न (68 सेमी से ऊपर) के लिए कीमतों का दबाव संतुलित रहेगा और मांग में बढ़ोतरी होने में मदद मिलेगी, जिससे ग्राहकों खरीदने की क्षमता बढ़ेगी और उन उत्पादों के निर्माण में निवेश भी बढ़ेगा। परिणामस्वरूप बाजार में विशेष रूप से से एसी श्रेणी में प्रवेश और निवेश आसान होगा।
ऊर्जा मानदंडों को लगातार कड़ा किया जाना, शोध एवं विकास और सामग्री की लागत को बढ़ाना, ऊर्जा कुशल उत्पादों के लिए कीमतों बढ़ना इन बातों से उपभोक्ता निरुत्साहित रहते हैं। एयर कंडीशनर (4 *, 5 * विंडो एसी स्प्लिट एसी इन्वर्टर मॉडल) और रेफ्रिजरेटर (डायरेक्ट कूल और फ्रॉस्ट फ्री) जैसे पर्यावरण-स्नेही और ऊर्जा कुशल उत्पादों के लिए जीएसटी टैक्स स्लैब को 12% तक कम करने से मांग में वृद्धि होगी और भारतीय उपभोक्ताओं में पर्यावरण-स्नेही उत्पादों को पसंद करने की आदत बढ़ेगी। आगामी बजट में निर्माताओं को इन ऊर्जा-कुशल उत्पादों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहन की पेशकश करनी चाहिए, जो कि पर्यवरण और ऊर्जा संरक्षण और संवर्धन के बारे में सरकार की नीति के अनुरूप भी होगा।
आज भी भारत में घरेलु मांग का बहुत बड़ा हिस्सा तैयार माल आयात करके पूरा किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2018 में एसीई उद्योग (ओपन सेल्स, डिस्प्ले पैनल्स और कॉम्प्रेसर्स) के लिए महत्वपूर्ण घटक बड़ी मात्रा में अकेले चीन से आयात किए गए थे, जोकि घटकों की कुल आयात का 59% हिस्सा था। भले ही पिछले कुछ वर्षों में उपभोक्ता की मांग बढ़ी हो, लेकिन स्थानीय विनिर्माण बढ़ती उपभोक्ता मांग और आकांक्षाओं के साथ तालमेल नहीं रख पाए हैं।
जब घटकों की बात आती है, तो चीन को बड़े पैमाने पर विनिर्माण क्षमता का लाभ मिलता है जिसके कारण उनके निर्यात बढे हैं और यही बात भारतीय निर्माताओं के लिए नुकसानदायी है। इसके अलावा, कुछ घटकों का निर्माण आज भी भारत में नहीं किया जाता है, क्योंकि इनको आयात करना सस्ता है और निवेश, मूलभूत सुविधाएं और लॉजिस्टिक के महंगे खर्च निवेशकों को निरुत्साही करते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स में शुन्य आयात के सरकार के उद्देश्य के विपरीत, हमारे विभिन्न मुक्त व्यापार समझौतों की बदौलत तैयार माल को अक्सर हिस्सों के आयात से भी कम शुल्क पर देश में आयात किया जाता है। आदर्श रूप से, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, सरकार को आयात शुल्क का पुनर्गठन करना चाहिए – इसे तैयार माल के लिए उच्चतर बनाना चाहिए (जैसे, टीवी, एसी, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन), इसके बाद मध्यस्थ और घटकों के लिए उसे सबसे कम होना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर, सुरक्षा और निगरानी उत्पादों के मामले में, बाजार में मांग बढ़ रही है फिर भी उन्हें बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है। हम प्रस्ताव रखते हैं कि, स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयातों को कम करने के लिए, स्वदेशी उत्पादन का समर्थन करने के लिए सीसीटीवी कैमरा और सीसीटीवी रिकॉर्डर्स के लिए मूल सीमा शुल्क में 15% से 20% तक बढ़ोतरी की जाए।
सरकार को ओपन सेल, डिस्प्ले पैनल और कॉम्प्रेसर्स जैसे घटकों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 10% से घटाकर 5% करने के लिए कुछ अल्पकालिक उपायों को शुरू करने पर भी विचार करना चाहिए। इसके अलावा, स्थानीय रूप से निर्मित उत्पादों के विनिर्माण पर सब्सिडी देने से घटकों के विनिर्माण के विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा जोकि ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देगा। इससे स्थानीय निर्माताओं को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर माल का उत्पादन करने में मदद मिलेगी और निर्यात के साथ-साथ एसीई वस्तुओं के निर्यात पर कर लाभ को बढ़ावा मिलेगा।
हम आगामी बजट के प्रति हम अत्यधिक आशावादी हैं और उम्मीद करते हैं कि यह सुधारों और विनियमों के संतुलित संयोजन की शुरूआत करेगा, जो एसीई उद्योग को बढ़ावा देगा, भारत की विकास यात्रा में सकारात्मक योगदान देगा।
संक्षेपण:
ब्योरे | वर्तमान कर दर | प्रस्तावित कर दर |
मूल सीमा शुल्क में कटौती | घटक – 7.5% औसत | 0 – 5 % |
मूल सीमा शुल्क में बढ़ोतरी – सीसीटीवी कैमरा और सीसीटीवी रिकॉर्डर्स | 15% | 20% |
एयर कंडीशनर्स, टीवी (68 सेमी से ऊपर) के लिए जीएसटी में कटौती | 28% | 18% |
ऊर्जा कुशल उत्पादों के लिए जीएसटी में कटौती | एयर कंडीशनर के लिए (4 *, 5 * विंडो एसी और स्प्लिट एसी इन्वर्टर मॉडल) – 28%, रेफ्रिजरेटर (डायरेक्ट कूल और फ्रॉस्ट फ्री) – 18% | 12% |